हल्द्वानी. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections) में हार के बाद कांग्रेस के नेताओं को पार्टी में अनुशासन की याद आ रही है. यही नहीं, बैठक कोई भी हो, लेकिन नेता कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी में अनुशासन का राग अलाप रहे हैं. इन दिनों कांग्रेस का जोर डिजिटल मेंबरशिप पर है. इसी का ब्यौरा लेने के लिए कांग्रेस के सांसद और उत्तराखंड में पार्टी संगठन के चुनाव के लिए चुनाव अधिकारी बनाए गए जीसी चंद्रशेखर, सह चुनाव अधिकारी जयशंकर पाठक और मनोज भारद्वाज कुमाऊं के दौरे पर हैं. तीनों नेताओं ने शुक्रवार को कुमाऊं के कांग्रेस नेताओं के साथ हल्द्वानी में बैठक की.
इस बैठक का एजेंडा कांग्रेस का सदस्यता अभियान था. उत्तराखंड में कांग्रेस कैसे 10 लाख लोगों को अपनी सदस्यता दिला सकती है. हालांक बैठक में एजेंडे से ज्यादा पार्टी की विधानसभा चुनाव में हार पर फोकस हो गई. नेता इशारों-इशारों में एक-दूसरे पर हमला करते रहे और पार्टी में अनुशासन की पैरवी करते दिखे. बैठक से बाहर निकलकर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य ने स्वीकार किया कि कांग्रेस को 2022 विधानसभा चुनाव में अनुशासनहीनता झेलनी पड़ी है, जिसका असर चुनाव परिणाम पर भी पड़ा है.
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इस वक्त उत्तराखंड में पार्टी संगठन के चुनाव के लिए प्रभारी बनाए गए जीसी चंद्रशेखर, सह चुनाव अधिकारी जयशंकर पाठक और मनोज भारद्वाज कुमाऊं के दौरे पर हैं.
कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने कही ये बात
हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने तो दो कदम आगे बढ़कर वरिष्ठ नेताओं को ही सलाह दे डाली. उन्होंने कहा कि जो भी बातें किसी को कहनी हैं वो पार्टी फोरम पर कहे. मीडिया और सोशल मीडिया में बयानबाजी से कांग्रेस को कुछ हासिल नहीं होने वाला है. वहीं, पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भुवन चंद्र कापड़ी ने साफ कहा कि अनुशासनहीनता साफ दिखी है, जिस पर लगाम लगानी होगी. जबकि रानीखेत से चुनाव हार चुके करन माहरा ने कहा कि पार्टी नेताओं की लड़ाई किसी को बाहर लाने की जरूरत नहीं है बल्कि नेता खुद ही इसे बाहर ला रहे हैं, जो पार्टी के लिए अच्छा नहीं है. कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी जैसी पार्टी से है, इसलिए बेहतर अनुशासन और काम से ही 2024 में पांचों लोकसभा सीटें कांग्रेस जीत सकती है.
हैरानी की बात है कि बीजेपी जहां खुद को अनुशासित पार्टी दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती है, तो वहीं कांग्रेस में खुलेआम बयानबाजी से आए दिन अनुशासन शब्द की धज्जियां उड़ाई जाती हैं. वहीं, ऐसा करने वाला कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ही हैं. ऐसे में पार्टी के भीतर अनुशासन की मांग जोर पकड़ रही है.
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