नई दिल्ली. निवेशकों द्वारा लंबे वीकेंड से पहले बिकवाली के कारण इस छोटे कारोबारी सप्ताह में प्रमुख सूचकांकों में कुछ नरमी देखी गई. निफ्टी 50 इंडेक्स 1.74 फीसदी की साप्ताहिक गिरावट के साथ 17,500 के नीचे बंद हुआ. सप्ताह के अंत में 50 शेयरों वाला ये इंडेक्स 18,115 के अपने उच्च स्तर से गिरकर 17,500 अंक से नीचे आ गया है.
इस दौरान मिडकैप शेयरों ने शुरू में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन दिखाया क्योंकि बड़े बाजारों में अच्छी खरीदारी देखी गई. हालांकि, निफ्टी मिडकैप इंडेक्स में लंबे वीकेंड से पहले कुछ बिकवाली देखने को मिली. चूंकि बाजार लंबे अंतराल के बाद सोमवार को खुलने जा रहा है, इसलिए निवेशकों और व्यापारियों के लिए उन महत्वपूर्ण ट्रिगर्स को जानना लाभदायक होगा जो अल्पावधि में बाजार की चाल निर्धारित कर सकते हैं.
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बाजार शुरु होने से पहले इन 5 महत्वपूर्ण बिंदु पर ध्यान दें.
चौथी तिमाही के परिणाम/कॉर्पोरेट आय
अत्यधिक अस्थिर बाजार में निवेशकों और ट्रेडर्स की एक बड़ी संख्या ने कुछ चुनिंदा शेयरों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है. ऐसे ट्रेडर्स और निवेशकों के लिए इस सप्ताह आने वाले कंपनियों की चौथी तिमाही के आंकड़े महत्वपूर्ण हो सकते हैं.
एफआईआई व्यापार पैटर्न
कुछ सत्रों के लिए शुद्ध खरीदारों के रूप में डीआईआई के साथ आने के बाद एफआईआई ने एक बार फिर से बिक्री की होड़ शुरू कर दी है. 6 अप्रैल 2022 से एफआईआई लगातार शुद्ध विक्रेता बने हुए हैं. निफ्टी 17,750 से 17,800 के स्तर के बीच घूम रहा है. जानकारों का कहना है कि अगर एफआईआई द्वारा बिक्री जारी रहती है तो इसे पार करना निफ्टी के लिए मुश्किल हो जाएगा इसलिए शुरुआती कुछ दिन में एफआईआई का ट्रेड पैटर्न महत्वपूर्ण होगा.
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भारत में कोविड-19 के मामले
भारत में पिछले 24 घंटों में कोविड-19 के 1150 नए मामले सामने आए हैं जिसने महामारी की चौथी लहर की चर्चाओं को हवा दी है. भारत में ताजा कोविड-19 मामलों में शुक्रवार के मुकाबले वृद्धि हुई है. एफआईआई अभी शुद्ध विक्रेता बने हुए हैं और अगर कोरोना वायरस की चौथी लहर का अंदेशा होता है तो यह बिक्री को और बढ़ा सकता है.
वैश्विक मुद्रास्फीति
पिछले हफ्ते अमेरिकी मुद्रास्फीति 40 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. कच्चे तेल में कोई भी वृद्धि वैश्विक इक्विटी बाजारों के लिए मुद्रास्फीति की चिंता को और बढ़ा सकती है. आईआईएफएल सिक्योरिटीज के अनुज गुप्ता कहते हैं कि रूस-यूक्रेन के बीत लड़खड़ाती शांति वार्ता ईंधन की कीमतों में वृद्धि की आशंका बढ़ा सकती है और यह वैश्विक बाजारों के लिए मुद्रास्फीति की ताजा चिंता पैदा कर सकता है.
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यूएस आईआईपी डेटा
पिछले हफ्ते निराशाजनक मुद्रास्फीति के आंकड़ों के बाद, पूरी दुनिया इस सप्ताह यूएस आईआईपी नंबरों का बेसब्री से इंतजार कर रही है क्योंकि यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिति का संकेत देगा. अमेरिकी सरकार की ओर से कोई और निराशाजनक आंकड़ा दुनिया भर में इक्विटी निवेशकों की धारणा को प्रभावित करेगा और भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं रहेगा.
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