टू प्लस टू वार्ता का ए टू जेड : अमेरिका ने सुरक्षा परिषद और एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए जताया समर्थन


सार

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि भारत के रूस के साथ दशकों पुराने संबंध हैं और ऐसे वक्त से हैं जब अमेरिका दक्षिण एशियाई देश का साझेदार नहीं था। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ वाणिज्य, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के काबिल और इच्छुक हैं। हमारे बीच इसी को लेकर बातचीत हुई है।

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राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। अमेरिका ने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में एक सदस्य के तौर पर भारत के अहम योगदान की सराहना भी की। 

भारत-अमेरिका के बीच हुई ‘टू-प्लस-टू’ मंत्रिस्तरीय बैठक के समापन पर यहां जारी एक साझा बयान में, अमेरिका ने 2021-2022 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य के रूप में अहम योगदान के लिए भारत को बधाई दी। 

बयान के मुताबिक, इस संदर्भ में, अमेरिका ने सुरक्षा परिषद की तीन समितियों के प्रमुख के तौर पर भारत के नेतृत्व की तारीफ की। इन समितियों में 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति, 1970 लीबिया प्रतिबंध समिति और 1373 आतंकवाद रोधी समिति शामिल हैं। भारत के विदेश मंत्री जयशंकर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन तथा रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने यह वार्ता की।

चीन करता रहा है विरोध
पांच परमाणु हथियारों से लैस देशों में से एक चीन ने एनएसजी की सदस्यता हासिल करने की कोशिश का इस आधार पर विरोध किया है कि नई दिल्ली ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उसके विरोध ने समूह में भारत के प्रवेश को मुश्किल बना दिया है, क्योंकि एनएसजी आम सहमति के सिद्धांत पर काम करता है। भारत नेदो दिसंबर को कहा था कि वह एनएसजी सदस्यता के लिए समूह के सदस्यों से बात करेगा।

शांति अभियानों की अगुआई को सराहा
शांति अभियानों की अगुवाई करने में भारत के विशिष्ट इतिहास को स्वीकार करते हुए, अमेरिका ने 2022 में बहुपक्षीय शांति स्थापना प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का, तीसरे देश के भागीदारी के साथ संयुक्त क्षमता निर्माण प्रयासों का विस्तार करने का और अमेरिका के साथ साझेदारी में एक नया संयुक्त राष्ट्रीय जांच अधिकारी प्रशिक्षण प्रशिक्षक पाठ्यक्रम शुरू करने का स्वागत किया।

तालिबान से की मानवाधिकारों के सम्मान की अपील
चारों मंत्रियों ने तालिबान से यूएनएससी के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करने का आह्वान किया। इसके अनुसार, अफगानिस्तान क्षेत्र का इस्तेमाल फिर कभी किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकियों को प्रशिक्षित करने या आतंकी हमलों की योजना बनाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने तालिबान से महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यक समूहों समेत मानवाधिकारों का सम्मान करने की भी अपील की। 

काट्सा के तहत भारत पर प्रतिबंध या छूट पर कोई फैसला नहीं : ब्लिंकेन
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका ने रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने को लेकर भारत पर काट्सा कानून के तहत प्रतिबंधों लगाने या छूट देने का अभी कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा, हम सभी देशों से यह अनुरोध करते रहेंगे कि वे खासकर यूक्रेन में रूस की कार्रवाई के मद्देनजर रूसी हथियार प्रणालियों संबंधी बड़ा एवं नया लेनदेन करने से बचें।

बता दें कि अमेरिका में रूस से हथियार खरीदी को लेकर भारत पर काट्सा (सीएटीएसएए) के तहत प्रतिबंध लगाने की मांग काफी तेज हुई है। अमेरिकी प्रशासन इस कानून के तहत ईरान, उत्तर कोरिया या रूस के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ प्रतिबंध लगा सकता है। ब्लिंकेन यहां ‘टू-प्लस-टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन और भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तथा विदेश मंत्री जयशंकर के साथ एक साझा प्रेसवार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने रूस से भारत द्वारा एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदे जाने संबंधी सवाल के जवाब में यह कहा।

भारत के रूस के साथ संबंध तब से हैं जब अमेरिका भारत का साझेदार नहीं था : ब्लिंकेन
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि भारत के रूस के साथ दशकों पुराने संबंध हैं और ऐसे वक्त से हैं जब अमेरिका दक्षिण एशियाई देश का साझेदार नहीं था। उन्होंने कहा, आज हम भारत के साथ वाणिज्य, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के काबिल और इच्छुक हैं। आज हमारे बीच इसी को लेकर बातचीत हुई है। जब बात तेल खरीद, प्रतिबंध आदि की आती है तो मैं बस यही कहूंगा कि तेल खरीद के लिए यह जटिल प्रक्रिया है। हालांकि उन्होंने रूस से तेल खरीद आगे बढ़ाने से रोकने की उम्मीद जताई।

भारत में मानवाधिकारों के हनन में वृद्धि की निगरानी
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने एक असहज करने वाली टिप्पणी के तहत कहा कि भारत में मानवाधिकारों के हनन में वृद्धि की अमेरिका निगरानी कर रहा है। उन्होंने कहा, हम भारत में कुछ हालिया घटनाओं की निगरानी कर रहे हैं, जिनमें कुछ सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन में वृद्धि शामिल है। यह टिप्पणी अमेरिकी प्रतिनिधि इल्हान उमर के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने सवाल किया था कि बाइडन प्रशासन मानवाधिकारों के मुद्दे पर मोदी सरकार की आलोचना करने से इतना परहेज क्यों करता रहा है।

वैश्विक अस्थिरता कम करने के लिए काम कर रहा भारत : एस. जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच टू-प्लस-टू मंत्रिस्तरीय वार्ता से दोनों देशों को उस अस्थिरता व अनिश्चितता को कम करने के लिए रणनीति बनाने में मदद मिली, जिसका दुनिया वर्तमान समय में सामना कर रही हैं। कहा- भारत इस दिशा में काम कर रहा है। जयशंकर ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन तथा रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ साझा प्रेसवार्ता में कहा, यह रणनीति स्वाभाविक रूप से हमारी नीतियों में नजर आएगी। 

जो बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद दोनों देशों के मंत्रियों की यह पहली टू-प्लस-टू मंत्रिस्तरीय वार्ता थी। चर्चा में दोनों देशों को विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दीर्घकालिक चुनौतियों पर एक साथ सोचने का मौका मिला। यूक्रेन पर रूसी हमले रोकने के लिए दबाव बनाने के सवाल पर जयशंकर ने कहा, मुझे लगता है कि हमारी चर्चा का एक लक्ष्य, नफरत को खत्म करने के लिए दबाव बनाना भी है। इससे ही मामले सुलझेंगे और दुनिया में अनिश्चितता कम होगी। भारत पहले ही यूक्रेन में दवाओं व जरूरी मदद पर काम कर रहा है।

साझा हितों को बढ़ावा देने से बनते हैं भारत-अमेरिका जैसे गठजोड़
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका जैसे सामरिक गठजोड़ साझा हितों, मूल्यों और सतत रूप से इन्हें बढ़ावा देने से ही बनते हैं। उन्होंने कहा, बदलती दुनिया में दोनों देशों के रिश्ते न केवल आगे बढ़ रहे हैं बल्कि वास्तव में वैश्विक शांति में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में उभरे हैं। जयशंकर ने कहा, यह स्वाभाविक है कि हम अपने परिप्रेक्ष्य, अनुभवों एवं प्राथमिकताओं के आधार पर भारत-अमेरिकी रिश्तों को आगे ले जाएं। उन्होंने कहा, कारोबार व निवेश पुख्ता तरीके से आगे बढ़ रहे है। हमने कारोबार, निवेश, संपर्क, आधारभूत ढांचा क्षेत्र, डिजिटल मुद्दों, जलवायु परिवर्तन व ऊर्जा क्षेत्रों पर चर्चा की।

क्वाड विश्व कल्याण की ताकत बनकर उभरा
जापान में अगले महीने होने वाले क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) शिखर सम्मेलन से पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका का यह अनौपचारिक समूह विश्व कल्याण की एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है। उन्होंने कहा, टू-प्लस-टू वार्ता में हिंद-प्रशांत की चुनौतियों पर विशेष ध्यान दिया गया। कहा- हम अमेरिका द्वारा क्वाड पर दिए गए ध्यान की सराहना करते हैं। इससे संपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लाभ हुआ है।

चीन वर्चस्ववादी हितों के लिए वैश्विक व्यवस्था बदलना चाहता है : ऑस्टिन 
अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को एक ऐसा नया रूप देना चाहता है जो उसके वर्चस्ववादी हितों की पूर्ति करे। उन्होंने जोर दिया कि भारत के साथ एक मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी अधिक लचीले, क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना में महत्वपूर्ण है। ऑस्टिन ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तथा विदेश मंत्री जयशंकर के साथ ‘टू-प्लस-टू’ बैठक में शुरुआती टिप्पणी में कहा, चीन एक बड़ी चुनौती बन गया है। 

उन्होंने कहा, हम सभी हिंद-प्रशांत में हमारे समक्ष मौजूद चुनौतियों को समझते हैं। चीन अपने वर्चस्ववादी हितों की पूर्ति के लिए क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को अधिक व्यापक व नए सिरे से तैयार करना चाहता है। लेकिन अपने रक्षा समझौतों को लागू करके हम इस क्षेत्र में शक्ति के अनुकूल संतुलन को बनाए रख सकते हैं और इसे मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने सूचना साझा करने व औद्योगिक सहयोग सहित कई द्विपक्षीय रक्षा प्राथमिकताओं पर चर्चा को लेकर आशा जताई। 

साझा मूल्यों के लिए साथ खड़े हों लोकतांत्रिक देश
अमेरिकी रक्षामंत्री ने कहा, जिन मूल्यों को हम साझा करते हैं उनकी रक्षा के लिए लोकतंत्रों को एक साथ खड़ा होना चाहिए। बाद में एक प्रेसवार्ता के दौरान ऑस्टिन ने कहा कि ‘टू-प्लस-टू’ वार्ता कई चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर संवाद के खुले माध्यमों को बनाए रखने के लिए उनकी गहरी प्रतिबद्धता दर्शाती है। ऑस्टिन ने कहा, मेरा मानना है कि आज हमने जो निवेश किया है, वह यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि सुरक्षित व खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का हमारा दृष्टिकोण आने वाले दशकों में फले-फूले।

भारत-अमेरिका ने अंतरिक्ष में स्थिति को लेकर जागरूकता संबंधी समझौते पर किए हस्ताक्षर
भारत और अमेरिका ने अंतरिक्ष में स्थिति को लेकर जागरूकता संबंधी एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे दोनों देशों के बढ़ते रक्षा सहयोग में एक नया अध्याय जुड़ा है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा, हम साइबर सुरक्षा में भी सहयोग गहरा कर रहे हैं। इस समझौते पर टू-प्लस-टू मंत्री स्तरीय बैठक से इतर दोनों देशों के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए। बैठक की सह-मेजबानी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने की। 

इसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भाग लिया। ऑस्टिन ने संवाददाताओं से कहा, मुझे खुशी है कि अंतरिक्ष में स्थिति को लेकर जागरूकता संबंधी द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर से हमें अंतरिक्षीय सहयोग व सूचनाओं का आदान-प्रदान बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, हम साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में इस वर्ष के अंत में प्रशिक्षण व अभ्यास शामिल करेंगे। इससे अंतरिक्ष, साइबर क्षेत्र सहित उभरते रक्षा क्षेत्र में सहयोग तथा प्रौद्योगिकी संबंधी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

अमेरिकी रक्षा कंपनियों को ‘मेक इन इंडिया’ में निवेश के लिए किया आमंत्रित : राजनाथ
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी कंपनियों से भारत आकर निवेश करने और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को समर्थन देने की अपील की। सिंह ने विदेश मंत्री जयशंकर और अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन व अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के साथ एक साझा प्रेसवार्ता में कहा, मैंने अमेरिकी कंपनियों को ‘मेक इन इंडिया’, विमानन क्षेत्र और वैश्विक कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित किया है। 

उन्होंने ‘टू-प्लस-टू’ मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद कहा, हम सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए अमेरिकी कंपनियों से बात कर रहे हैं। हम उनके सामने यह प्रस्ताव रख रहे हैं। हमने अमेरिकी कंपनियों से उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु गलियारे में काम करने और उस इलाके में निवेश करने को कहा है। सिंह ने कहा, मैंने जोर दिया है कि भारत सह-विकास उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगा और सभी निवेशकों को भारत आना चाहिए। 

वे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दे सकते हैं, क्योंकि हम सब कुछ भारत में निर्माण करना चाहते हैं। सिंह ने वार्ता की शुरुआत में कहा कि भारत अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को बहुत प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा, हिंद महासागर का केंद्र व लोकतंत्र होने के नाते भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ और ‘पड़ोसी पहले’ नीति की अहम भूमिकाएं हैं।

रक्षा सहयोग का दायरा बढ़ाने को तत्पर
राजनाथ सिंह ने कहा कि वैश्विक महामारी के बावजूद संचार की उच्च क्षमता, निकटता से सूचना साझा करने और साजो-सामान संबंधी आपसी समर्थन में वृद्धि के साथ भारत-अमेरिकी सैन्य सहयोग बढ़ा है। उन्होंने कहा, एक दशक में अमेरिका के रक्षा आपूर्तिकर्ता नगण्य से 20 अरब डॉलर से अधिक हुए हैं। हम स्वतंत्र, खुले व समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हमारे साझा दृष्टिकोण को प्रभावी बनाने के लिए रक्षा सहयोग का दायरा बढ़ाने को तत्पर हैं। 

राजनाथ-जयशंकर की अमेरिकी विदेश-रक्षा मंत्रियों से चीन-यूक्रेन पर चर्चा
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने पेंटागन में दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी के विकास पर चर्चा की। इस दौरान क्षेत्र और दुनियाभर में चीन व रूस द्वारा पैदा की गई समस्याएं शामिल रहीं। इसके बाद दोनों मंत्री विदेश मंत्रालय जाकर विदेश मंत्री जयशंकर और एंटनी ब्लिंकेन वार्ता में शामिल हुए। राजनाथ सिंह ने कहा, यह बैठक वास्तव में हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है। मैं सकारात्मक हूं कि हमारी यह यात्रा भारत-अमेरिकी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाएगी।

विस्तार

राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। अमेरिका ने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में एक सदस्य के तौर पर भारत के अहम योगदान की सराहना भी की। 

भारत-अमेरिका के बीच हुई ‘टू-प्लस-टू’ मंत्रिस्तरीय बैठक के समापन पर यहां जारी एक साझा बयान में, अमेरिका ने 2021-2022 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य के रूप में अहम योगदान के लिए भारत को बधाई दी। 

बयान के मुताबिक, इस संदर्भ में, अमेरिका ने सुरक्षा परिषद की तीन समितियों के प्रमुख के तौर पर भारत के नेतृत्व की तारीफ की। इन समितियों में 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति, 1970 लीबिया प्रतिबंध समिति और 1373 आतंकवाद रोधी समिति शामिल हैं। भारत के विदेश मंत्री जयशंकर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन तथा रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने यह वार्ता की।

चीन करता रहा है विरोध

पांच परमाणु हथियारों से लैस देशों में से एक चीन ने एनएसजी की सदस्यता हासिल करने की कोशिश का इस आधार पर विरोध किया है कि नई दिल्ली ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उसके विरोध ने समूह में भारत के प्रवेश को मुश्किल बना दिया है, क्योंकि एनएसजी आम सहमति के सिद्धांत पर काम करता है। भारत नेदो दिसंबर को कहा था कि वह एनएसजी सदस्यता के लिए समूह के सदस्यों से बात करेगा।

शांति अभियानों की अगुआई को सराहा

शांति अभियानों की अगुवाई करने में भारत के विशिष्ट इतिहास को स्वीकार करते हुए, अमेरिका ने 2022 में बहुपक्षीय शांति स्थापना प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का, तीसरे देश के भागीदारी के साथ संयुक्त क्षमता निर्माण प्रयासों का विस्तार करने का और अमेरिका के साथ साझेदारी में एक नया संयुक्त राष्ट्रीय जांच अधिकारी प्रशिक्षण प्रशिक्षक पाठ्यक्रम शुरू करने का स्वागत किया।

तालिबान से की मानवाधिकारों के सम्मान की अपील

चारों मंत्रियों ने तालिबान से यूएनएससी के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करने का आह्वान किया। इसके अनुसार, अफगानिस्तान क्षेत्र का इस्तेमाल फिर कभी किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकियों को प्रशिक्षित करने या आतंकी हमलों की योजना बनाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने तालिबान से महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यक समूहों समेत मानवाधिकारों का सम्मान करने की भी अपील की। 



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