सार
जो बाइडन और पुतिन शिखर वार्ता की घोषणा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने की थी। मैक्रों ने बाइडन की पहल पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन से बात की थी।
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चारो ओर (समुद्र और तीन जमीनी क्षेत्र) से यूक्रेन को घेरने और बिना यूक्रेन में रूस की सेना को प्रवेश कराए पुतिन ने पड़ोसी देश पर उच्च स्तर का दबाव बना दिया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने पुतिन से मिलने, समस्या के समाधान पर चर्चा का प्रस्ताव दिया पर रूस ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस बीच लगातार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी के चांसलर ओलॉफ स्कॉल्ज से पुतिन की बात हो रही है।
जो बाइडन और पुतिन शिखर वार्ता की घोषणा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने की थी। मैक्रों ने बाइडन की पहल पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन से बात की थी। इस बातचीत के दौरान मैक्रों ने दोनों शीर्ष शिखर नेताओं के बीच बैठक का प्रस्ताव दिया था। मैक्रों ने एक दिन पहले कहा था कि रूस भी इस शिखर बैठक के लिए तैयार है।
इस बैठक में यूक्रेन के ताजा संकट पर चर्चा होगी और रूस ने यूक्रेन पर हमला न करने का भरोसा दिया है। इसके समानांतर रूस के राजनयिकों का कहना है कि अमेरिका ने रूस पर लगातार आरोप लगाए। रूस का कहना है कि अमेरिका लगातार भड़काने वाले बयान दे रहा है। वहीं, अमेरिका समय और तारीख का हवाला देकर रूस के हमला करने की योजना का खुलासा कर रहा है।
भारत ने बड़ी सावधानी से खेला कूटनीतिक दांव
अमेरिका की लाख कोशिश के बाद भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत के इस कदम की रूस ने भी तारीफ की है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि भारत ने समझदारी दिखाई है। बताते हैं कि ट्रंप प्रशासन के समय भारत और अमेरिका के संबंध काफी करीब चले गए थे। इस कूटनीतिक पहल को भांपकर रूस ने भारत के साथ अनमना सा व्यवहार करना शुरू कर दिया था। लेकिन रूस के साथ एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षी प्रणाली का सौदा करने और अमेरिकी दबाव के आगे न झुककर भारत ने फिर से रूस का भरोसा जीतना शुरू किया। दूसरी पहल हाल में संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन संकट को लेकर अमेरिका द्वारा लाए प्रस्ताव की वोटिंग से बाहर रहने का निर्णय रहा।
यूक्रेन की मौजूदगी में हो उनके देश के बारे में बात
यूक्रेन नहीं चाहता है कि उस पर आसन्न संकट का समाधान बाइडन और पुतिन के शिखर सम्मेलन से हो जाए। यूक्रेन के राजनयिकों का कहना है कि शिखर सम्मेलन या इस तरह की पहल में यूक्रेन का भी साझीदार होना जरूरी है। इस बीच यूक्रेन ने अमेरिका के दबदबे वाले वाले नाटो संगठन पर सदस्य बनाने का दबाव तेज कर दिया है। यूक्रेन का कहना है कि वह नाटो का सदस्य देश बनना चाहता है और इसके बारे में अमेरिका तथा नाटो देशों के प्रमुख को खुलकर अपनी राय रखनी चाहिए। हालांकि माना जा रहा है कि इस तरह की कोई पहल या घोषणा होते ही रूस यूक्रेन पर अपनी कार्रवाई को अंजाम दे सकता है।
क्या है व्लादिमीर पुतिन के मन में?
- अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन खुद कहते हैं कि पुतिन का दिमाग पढ़ना मुश्किल है। यह नहीं पता कि वह आगे क्या करने वाले हैं। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने रूस को चेतावनी दी है कि रूस ने यदि यूक्रेन पर हमला किया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। हालांकि पिछले कुछ दिन से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन कम बोल रहे हैं।
- ऐसे में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति पुतिन 2014-15 की नीति पर चलते हुए क्राइमिया को रूस में मिलाने जैसी पहल कर रहे हैं। रूस ने कुछ इसी अंदाज में यूक्रेन की घेराबंदी कर रखी है। पड़ोसी देश बेलारूस उसकी इस शतरंज की चाल में बड़ा मोहरा है।
- मौजूदा समय में यूक्रेन की सीमा पर डोढ़ लाख से अधिक रूसी फौज तैनात है। रूस के टैंक, बैलिस्टिक मिसाइल, मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली, विध्वंसक, युद्धपोत, परमाणु पनडुब्बी सब तैनात है। रूस की योजना अपनी सीमा में सैन्य तैनाती करके यूक्रेन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना, उसकी अर्थ व्यवस्था को ध्वस्त करना, साइबर अटैक करना तथा यूक्रेन विद्रोहियों को हवा देना है।
- बेलारूस को शह देकर उसके सहारे बिना यूक्रेन में सेना उतारे अपने लक्ष्य को साधना है। अपनी इस योजना में फिलहाल वह अमेरिका, यूरोप समेत अन्य के दबाव में न झुकने का संकेत दे रहे हैं। मास्को में रह रहे विनोद कुमार का कहना है कि रूस को अमेरिका और नाटो संगठन से गारंटी चाहिए। रूस चाहता है कि उसे यह गारंटी दी जाए कि यूक्रेन को नाटो संगठन में नहीं शामिल किया जाएगा।