पंजाब में आप का महा आगाज: यह जीत आकस्मिक नहीं, इसकी गूंज दूर तलक जाएगी


सार

आप ने जनता से लगातार अपील की है कि अब तक जनता ने शिअद-भाजपा और कांग्रेस को अपनाया लेकिन कुछ खास नहीं मिला। सिर्फ एक मौका हमें दीजिए। इसके बाद हमारा काम बोलेगा, जनता को यह अंदाज पसंद आ गया। 

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पंजाब में आप की ऐतिहासिक जीत कोई आकस्मिक नहीं है। इसकी पटकथा 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान लिख दी गई थी। पार्टी ने पंजाब की राजनीति में पहली बार प्रवेश करते हुए 13 में से चार लोकसभा सीटों पर जीत का परचम फहराया था और उसे करीब 24 फीसदी मत मिले थे। 

इसके बाद 2017 के विधानसभा, 2019 के लोकसभा चुनाव में इसकी धार तीखी होती गई। पंजाब की जनता नशा, अवैध खनन, शराब, केबल और ट्रांसपोर्ट माफिया से मुक्ति की राह तलाश रही थी। शिअद-भाजपा और कांग्रेस कसौटी पर खरी नहीं उतर पा रही थीं। 

आम आदमी पार्टी ने जनता की नब्ज अच्छी तरह टटोल ली थी और अपने प्रचार में इन्हें दमदार तरीके से उठाया। इसके अलावा मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं को एक हजार रुपये प्रति माह का वादा भी जनता को भा गया। केजरीवाल का दिल्ली मॉडल, शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूक परिवर्तन, मोहल्ला क्लीनिक, भ्रष्टाचार रहित पारदर्शी सुशासन भी पंजाब में आकर्षण का विषय बना। वहीं, अरविंद केजरीवाल ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर पंजाबियों को फैसला लेने की राह आसान कर दी। 

प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुखबीर बादल, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, बिक्रमजीत सिंह मजीठिया और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे दिग्गजों की पराजय से यह साफ है कि पंजाब की जनता सोहणा पंजाब बनाने के लिए ताजी हवा का झोंका और उर्वर जमीन चाहती थी। पंजाब हमेशा से जातिगत वोट बैंक की राजनीति में उलझा रहा लेकिन अब समय बदल गया है। आप ने जनता से लगातार अपील की है कि अब तक जनता ने शिअद-भाजपा और कांग्रेस को अपनाया लेकिन कुछ खास नहीं मिला। सिर्फ एक मौका हमें दीजिए। इसके बाद हमारा काम बोलेगा, जनता को यह अंदाज पसंद आ गया। 

आम आदमी पार्टी की पंजाब में आंधी…
इस बार आप की दस्तक जबरदस्त ढंग से थी। विधानसभा चुनाव में पंजाब के हर कोने एक बात सुनने को मिलती, बदलाव चाहिए। हम अकाली दल और कांग्रेस से थक गए हैं। आम आदमी पार्टी को इस बार आजमाना है बुराई भी क्या है? एक बार मौका देना तो बनता है। आप यानी की आम आदमी पार्टी के प्रति पंजाब के आम मतदाताओं का यह रुझान देखते ही बनता था और शायद यही वजह थी कि इस बार पंजाब के सारे समीकरणों की धज्जियां उड़ गईं। पंजाब के लोगों के मन में केजरीवाल दिल्ली मॉडल बैठाने में कामयाब रहे। शराब के ठेकों को लेकर पंजाब के विरोधियों ने शोर मचाया लेकिन पंजाब में शराब का मुद्दा उतना नहीं गरमाया जितना ड्रग्स का। पंजाब को ड्रग्स ने भारी नुकसान पहुंचाया है। 

पंजाब में जबरदस्त जीत आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा मौका है। पहली बार पार्टी दिल्ली से बाहर किसी राज्य की सत्ता में आई है और धमाकेदार अंदाज में। दिल्ली में मुफ्त बिजली, मुफ्त इलाज, मोहल्ला क्लीनिक, शिक्षा में सुधार जैसे कदमों को अरविंद केजरीवाल शोकेस ‘दिल्ली मॉडल’ के तौर पर देश के सामने पेश करते रहे हैं।

अगर पंजाब में भी भगवंत मान गवर्नेंस और विकास का कोई ‘पंजाब मॉडल’ तैयार करने में कामयाब होते हैं तो यह पार्टी के दूसरे राज्यों में विस्तार में मददगार होगा। पंजाब की राजनीति ने ऐतिहासिक करवट ली है। जात-पात और डेरा पंथक समीकरण को छिन्न-भिन्न कर दिया है। अगर आप किए गए वादे के अनुसार सुशासन में कामयाब रही तो इस जीत की गूंज दूर तलक जाएगी। आगे हिमाचल और गुजरात हैं। 

चुनौती यह भी है…

  • पंजाब कर्ज में डूबा हुआ है। 2.80 लाख करोड़ के कर्ज का पहाड़ है
  • नशा और अवैध खनन माफिया हावी है
  • युवाओं के लिए रोजगार और एसवाईएल मुद्दा भी मुंह बाए खड़ा है
  • सीमावर्ती राज्य होने के कारण बॉर्डर पार हथियारों की तस्करी तथा पाक की ओर से राज्य को अस्थिर करने का लगातार प्रयास किया जाता है। पंजाब ने आतंकवाद का भयावह दौर झेला है
  • पहली बार पूर्ण राज्य में सरकार चलाने जा रही है। इसलिए जिम्मेदारियां बढ़ना स्वाभाविक हैं
  • राज्य की बेहतरी के लिए केंद्र के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना आवश्यक होगा

विस्तार

पंजाब में आप की ऐतिहासिक जीत कोई आकस्मिक नहीं है। इसकी पटकथा 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान लिख दी गई थी। पार्टी ने पंजाब की राजनीति में पहली बार प्रवेश करते हुए 13 में से चार लोकसभा सीटों पर जीत का परचम फहराया था और उसे करीब 24 फीसदी मत मिले थे। 

इसके बाद 2017 के विधानसभा, 2019 के लोकसभा चुनाव में इसकी धार तीखी होती गई। पंजाब की जनता नशा, अवैध खनन, शराब, केबल और ट्रांसपोर्ट माफिया से मुक्ति की राह तलाश रही थी। शिअद-भाजपा और कांग्रेस कसौटी पर खरी नहीं उतर पा रही थीं। 

आम आदमी पार्टी ने जनता की नब्ज अच्छी तरह टटोल ली थी और अपने प्रचार में इन्हें दमदार तरीके से उठाया। इसके अलावा मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं को एक हजार रुपये प्रति माह का वादा भी जनता को भा गया। केजरीवाल का दिल्ली मॉडल, शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूक परिवर्तन, मोहल्ला क्लीनिक, भ्रष्टाचार रहित पारदर्शी सुशासन भी पंजाब में आकर्षण का विषय बना। वहीं, अरविंद केजरीवाल ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर पंजाबियों को फैसला लेने की राह आसान कर दी। 



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