आखिर आईपीएल ही हर बार पंड्या का हार्दिक स्वागत क्यों करता है?


हार्दिक पंड्या की कहानी पूरी तरह से फिल्मी है. जिस तरह से बिल्कुल गुमनामी से अचानक स्टारडम का रास्ता उन्होंने पलक झपकते तय किया है, उससे तो इस बात पर है ज्यादा हैरानी है कि आखिर अब तक किसी डायेरक्टर ने उन पर बॉयोपिक बनाने में बारें में सोचा तक क्यों नहीं! खैर, एक बार फिर से पंड्या के जीवन में आईपीएल ने सबसे बड़े सहायक की भूमिका निभायी है. मुझे याद है कि दिसंबर 2016 में पहली बार जब पंड्या का चयन टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए हुआ था, उन्होंने मुंबई इंडियंस के कोच रिकी पोटिंग और आईपीएल को इसका सेहरा दिया था. आईपीएल का मतलब उस वक्त मुबंई की टीम थी, जिसने पंड्या जैसी प्रतिभा पर दांव खेला था और ये बेहद शानदार फैसला साबित हुआ. मुंबई के लिए भी और पंड्या के लिए भी.

कुछ ऐसा ही जुआ, करीब 6 साल बाद आईपीएल में एक और टीम गुजरात टाइटंस ने पंड्या पर खेला. पंड्या भले ही भारत के लिए खेल चुके थे, लेकिन इस सीजन आईपीएल में आने से पहले वो सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में थे. पिछले 2 साल से उन्होंने आईपीएल में एक गेंद तक नहीं डाली थी. उनकी बल्लेबाजी में भी वो पहली वाली धार 2020 और 2012 में नहीं दिखी थी. उनके केस को खराब करने के लिए 2021 में यूएई में होने होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में उनका साधारण खेल ही काफी था. रही-सही कसर तो उनकी फिटनेस और मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा के उस बयान ने कर दी थी, जहां उन्होंने ये कहा कि पंड्या को पहले खुद को साबित करना होगा, तभी उन्हें फिर से दोबारा टीम इंडिया में वापस लिए जाने के बारे में सोचा जा सकता है.

पंड्या को एक तरह ये खुली ललकार थी. चैंपियन खिलाड़ियों की खासियत होती है कि वो सार्वजिनक मंच पर दिये गये ऐसे ललकार से आहत नहीं होते हैं, बल्कि इसे चुनौती मानकर जीतने की कोशिश करते हैं. बस, उन्हें इस बात की हसरत होती है, कोई तो इस नाजुक लम्हें में उनके कंधे पर थोड़ा हाथ रखे, पुचकारे और ये कहे कि- अरे जा ना भाई, बिंदास खेल. मैं हूं ना तुम्हारे साथ. ये बात पंड्या के लिए गुजरात के हेड कोच आशीष नेहरा ने की. ये नेहरा का पंड्या की काबिलियत पर अटूट भरोसा था जिसने नई टीम के मालिक को ये सवाल तक करने का मौका नहीं दिया कि जिस खिलाड़ी के पास कप्तानी का कोई अनुभव ही नहीं है, उसे इतनी बड़ी जिम्मेदारी अचानाक से ही इतने दबाव वाले टूर्नामेंट में कैसे दी जा सकती है.

और यहीं पर नेहरा ने हर किसी को ये कहानी बतायी कि आखिर वो वड़ोदरा के इस ऑलराउंडर क इतने बड़े फैन क्यों हैं. नेहरा से ज्यादा बेहतर घरेलू क्रिकेट और प्रतिभाओं की समझ बहुत कम खिलाड़ियों में हैं. नेहरा जब पहली बार पंड्या से टीम इंडिया ड्रेसिंग रूम में मिले थे, तो किसी ने उन्हें बताया था कि हार्दिक का ने उस वक्त तक 13 फर्स्ट क्लास मैचों में महज 27 की मामूली औसत से रन बनाए थे और विकेट थे बस 17. 28 टी20 मैचों में भी पंड्या का औसत महज़ 26.47 का था और जिस स्ट्राइक रेट की दुहाई हमेशा से दी जाती रही है वो भी तब भी साधारण (122.68) ही था. विकेट भी फर्सट क्लास की तरह, यहां भी 17 ही थे जबकि मैच दोगुने से ज्यादा उन्होंने खेल डाले थे. पंड्या का हाल तो ऐसा था कि उन्हें वड़ोदरा की रणजी टीम में बी नियमित तौर पर जगह नहीं मिलती थी. लेकिन, पंड्या को हमेशा जिंदगी में कुछ बड़ा हासलि करने की हसरत रहती थी.

इसी जूनून और सोच ने उन्हें अलग बनाया और जब यही रूप धोनी, नेहरा, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों ने देखा तो उन्हें भी एहसास गो गया कि लड़का भले ही थोड़ा बड़बोला दिखता हो, बचपना उसमें खूब भरा हो, लेकिन है तो दमदार खिलाड़ी.

आईपीएल 2022 में पंड्या ने ना सिर्फ बल्ले और गेंद से बल्कि अपनी कप्तानी से भी हर किसी को प्रभावित किया. पंड्या के खेल का ये तीसरा पहलू अब तक तो उनके घरवालों से भी अंजान था. अरे, दुनिया और दूसरी टीमों की बातें तो छोड़ दे, जब रणजी ट्रॉफी में कप्तान के चयन की बात आयी तो उनके सगे भाई क्रुणाल को लीडरशीप रोल के लिए अधिक काबिल समझा गया!

लेकिन, पंड्या की ये खासियत रही है कि वो हमेशा मौके की नजाकत के लिहाज से ना सिर्फ अपने खेल में बदलाव करते हैं, बल्कि वो अपनी शख्सियत में भी उसी तरह का ठहराव ला सकते हैं, जिसकी उस समय जरूरत होती है. आज गुजरात की टीम में मोहम्मद शामी, डेविड मिलर, राशिद खान और लॉकी फर्ग्युसन उनके लिए दोस्त की तरह हैं, जिनके साथ वो खूब मजकक-मस्ती करते हैं, तो शुभमन गिल और साई किशोर के लिए वो एक सीनियर खिलाड़ी और आदर्श, जो सीधे अपने खेल और नजरिये से उनपर सकारात्मक प्रभाव डालता है. वो बहुत जल्दी अपने अनुभव से सीखने वालों में से हैं.

मुझे अभी भी अच्छी तरह से याद है, जब उन्होंने पहले इटंरव्यू में इस लेखक को कहा था कि वो भारत के लिए जैक कैलिस वाली भूमिका निभाना चाहते हैं. लेकिन, कुछ महीनों बाद फिर से मैनें उनसे यही सावल दोहराया था, उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा किसी की फोटो कॉपी ना होकर एक ओरिजनल बनने की है. अब वो भारत के हार्दिक पंड्या बनना चाहतें हैं. कपिल देव जैसे महान ऑलराउंडर की झलक भी, जब उनमें कई जानकारों को दिखती तो वो बस मुस्करा कर इन बातों को टाल दिया करते थे.

बहरहाल, पंड्या की कहानी खत्म करने से पहले एक किस्सा आप सभी के साथ जरूत साझा करना चाहूंगा. मुझे याद है उन्होंने बताया कि कैसे अंत्तराष्ट्रीय क्रिकेट में कामयाबी के लिए वो विराट कोहली का कॉपी एंड पेस्ट वाला फॉर्मूला अपनाना चाहते हैं. कॉपी एंड पेस्ट? मैंने उनसे तपाक से पूछा तो उनका जवाब बहुत ही सामान्य था-  कॉपी एंड पेस्ट  करो का मतलब ये है कि अगर आपने शतक बनाया है और जिस तरीके से और जिस तैयारी से आपको ये कामयाबी मिली, आप उसी को दोहरा डालो. क्यों कुछ नया करने की जरूरत है. लेकिन, अब परिपक्व हो चुके पंड्या ने उस फॉर्मूले को बदल दिया है.

अगर ऐसा नहीं होता तो जिस बल्लेबाज की शैली पहली गेंद से ही छक्का लगाकर गेंदबाजों के हौसले चूर-चूर करने की रही, हो तो वो अचानक से ही मिडिल ऑर्डर में नंबर 4 वाला जिम्मेदार बल्लेबाज कैसे बन जाता है. इतना ही नहीं अपनी शानदार कप्तानी से पंड्या इतनी लंबी उछाल मारी है कि उनके दोस्त के एल राहुल और ऋषभ पंत के लिए भविष्य में टी20 फॉर्मेट में कप्तानी की दावेदारी को तगड़ी चुनौती भी मिल सकती है.  और अगर ऐसा होता तो पंड्या फिर से यही कहेंगे कि- मेरी हर कामयाबी के लिए आईपीएल को ही इसका सेहरा दिया जाना चाहिए.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

ब्लॉगर के बारे में

विमल कुमार

विमल कुमार

न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.

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