सार
अमर उजाला से बातचीत में किसान नेताओं का कहना है कि उनका यह आंदोलन केवल इस बात को लेकर नहीं है कि पूर्व की सरकारों ने उनकी जमीनों का अधिग्रहण कर लिया और उनसे किया वादा नहीं निभाया। किसान संगठनों के बड़े आक्रोश का एक कारण यह भी है कि 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी उन्होंने एक बड़ा आंदोलन किया था…
छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में पिछले 52 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में अब किसान नेता राकेश टिकैत की भी एंट्री हो गई है। उत्तर प्रदेश का चुनावी शोर थमने के बाद टिकैत किसानों के समर्थन के लिए छत्तीसगढ़ कूच करेंगे। हालांकि किसानों के मुद्दे को लेकर उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार से भी फोन पर बात की है। इस बीच किसान नेताओं ने कहा कि अगर बघेल सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो हम आंदोलन तेज करेंगे। अगली बार से दूसरे राज्यों के हर चुनाव में जहां-जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जाएंगे वहां-वहां हम लोग जाकर कांग्रेस सरकार की हकीकत बताएंगे।
दरअसल, नया रायपुर स्थित मंत्रालय भवन के ठीक सामने दिल्ली की तर्ज पर 27 गांव के लगभग 7000 किसान अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं। इन किसानों को देशभर के दूसरे किसान संगठनों का पुरजोर समर्थन भी मिल रहा है। किसान संगठनों की मांग है कि छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर के विकास में सहयोग देने वाले गांव के प्रभावित सभी किसानों को पुनर्स्थापन मिले, चाहे वे भूस्वामी हों या भूमिहीन। किसानों को रोजगार मिले और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। वहीं सरकार की ओर से उन्हें संपूर्ण बसाहट का पट्टा मिले। किसानों का आरोप है कि गांवों की जमीन अधिग्रहण के समय राज्य सरकार ने जो वादा किया था, उसे नहीं निभाया है। किसान अपनी जिद पर अड़े हैं और सरकार से लिखित आश्वासन की मांग कर रहे हैं।
अपने वादे से मुकर रही है बघेल सरकार
अमर उजाला से बातचीत में किसान नेताओं का कहना है कि उनका यह आंदोलन केवल इस बात को लेकर नहीं है कि पूर्व की सरकारों ने उनकी जमीनों का अधिग्रहण कर लिया और उनसे किया वादा नहीं निभाया। किसान संगठनों के बड़े आक्रोश का एक कारण यह भी है कि 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी उन्होंने एक बड़ा आंदोलन किया था। उस समय कांग्रेस ने हमारे आंदोलन का समर्थन किया था। तभी किसान संगठनों से वादा किया था कि राज्य में सरकार बनने के बाद उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाएगा।
उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 27 गांवों की जमीन पूर्व की सरकार ने नवा रायपुर इलाके को विकसित करने के लिए ली थी, किसान चाहते थे कि उन्हें इसका चार गुना मुआवजा दिया जाए। वहीं हर परिवार को 1200 वर्ग फीट जमीन देने के साथ हर परिवार के एक बेरोजगार व्यक्ति को रोजगार देने की व्यवस्था भी की जाए। लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार को आए करीब तीन साल हो गए हैं लेकिन उन्होंने अब तक हमारी मांगे पूरी नहीं की हैं।
भाजपा जैसी ही निकली कांग्रेस भी
किसानों का यह भी कहना है कि जब दिल्ली में किसान संगठन तीन कृषि कानून को लेकर आंदोलन कर रहे थे तब भूपेश बघेल ने किसानों के इस आंदोलन का समर्थन किया था। जबकि लखीमपुर की घटना में पीड़ित किसान के परिवार को राज्य सरकार ने 50 लाख का मुआवजा देने का एलान भी किया था। ऐसे में ये सरकार हमारी मांगे अब तक क्यों पूरी नहीं कर रही है।
किसान नेता चंद्राकर ने कहा कि यह कांग्रेस सरकार भी उनके लिए भाजपा जैसी ही निकली। जब ये लोग विपक्ष में थे तो इन्हीं मुद्दों पर हमारे आंदोलन के साथ थे। अब सरकार में हैं तो इतने बड़े आंदोलन के बाद भी इनके कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। इस सरकार के लोग किस मुंह से दूसरे राज्यों में जाकर यह कह रहे हैं कि हमने हर वचन निभाया है। अगली बार से दूसरे राज्यों के हर चुनाव में जहां-जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जाएंगे वहां-वहां हम लोग जाकर कांग्रेस सरकार की हकीकत बताएंगे।
टिकैत से मिले छत्तीसगढ़ के किसान नेता
नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने बताया कि सिसौली में किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात हुई है। उन्हें नवा रायपुर के किसानों द्वारा 51 दिनों से जारी आंदोलन की जानकारी दी गई। उनके सामने भी किसानों ने अपनी समस्या रखी है। टिकैत ने सभी बिंदुओं को सुनने के बाद नई राजधानी के किसानों का साथ देने की बात कही है और भरोसा दिया है कि वे जल्द ही रायपुर आएंगे। किसानों की मांग पूरी होने पर टिकैत सरकार का आभार जताएंगे या फिर मांग पूरी नहीं होने की स्थिति में आंदोलन को अपना समर्थन देंगे।
मुलाकात के दौरान राकेश टिकैत ने कहा है कि यदि सरकार इन मांगों को मान लेती है तो ठीक है लेकिन अगर नहीं मानती तो राजधानी के किसानों के साथ आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। राकेश टिकैत के साथ ही योगेंद्र यादव ने भी किसानों के समर्थन में रायपुर पहुंचकर आंदोलन में शामिल होने की बात कही है।
इन मुद्दों पर है किसानों का आंदोलन
- सन 2005 से स्वतंत्र भू क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
- प्रभावित 27 ग्रामों के लिए घोषित नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना निरस्त की जाए।
- सम्पूर्ण ग्रामीणों को बसावट का पट्टा दिया जाए ।
- प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखंड का वितरण किया जाए।
- आपसी सहमति भू-अर्जन के तहत अर्जित भूमि के अनुपात में शुल्क आवंटन हो।
- अर्जित भूमि पर वार्षिक राशि का भुगतान तत्काल किया जाए।
- सशक्त समिति की 12वीं बैठक के निर्णयों का पूर्णतया पालन हो।
- भू-स्वामियों को चार गुना मुआवजे का प्रावधान हो।
सरकार कुछ मांगों पर सहमत, किसान पूरी मांगों पर अड़े
51 दिनों के आंदोलन और तीन दौर की चर्चा के बाद राज्य सरकार कुछ मांगों को मानने को तैयार हो गई है। दो दिन पहले कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था कि सरकार आठ में से छह मांगों को मानने के लिए तैयार है। किसान संगठनों ने उनके इस बयान को धोखा बताया। उनका कहना था कि जिन बातों का मंत्री जिक्र कर रहे हैं, उनमें उनके मांगपत्र के एक-दो बिंदु ही शामिल हैं। प्रमुख मांगों पर तो सरकार कुछ कह ही नहीं रही है। जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जातीं आंदोलन जारी रहेगा।
विस्तार
छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में पिछले 52 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में अब किसान नेता राकेश टिकैत की भी एंट्री हो गई है। उत्तर प्रदेश का चुनावी शोर थमने के बाद टिकैत किसानों के समर्थन के लिए छत्तीसगढ़ कूच करेंगे। हालांकि किसानों के मुद्दे को लेकर उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार से भी फोन पर बात की है। इस बीच किसान नेताओं ने कहा कि अगर बघेल सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो हम आंदोलन तेज करेंगे। अगली बार से दूसरे राज्यों के हर चुनाव में जहां-जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जाएंगे वहां-वहां हम लोग जाकर कांग्रेस सरकार की हकीकत बताएंगे।
दरअसल, नया रायपुर स्थित मंत्रालय भवन के ठीक सामने दिल्ली की तर्ज पर 27 गांव के लगभग 7000 किसान अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं। इन किसानों को देशभर के दूसरे किसान संगठनों का पुरजोर समर्थन भी मिल रहा है। किसान संगठनों की मांग है कि छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर के विकास में सहयोग देने वाले गांव के प्रभावित सभी किसानों को पुनर्स्थापन मिले, चाहे वे भूस्वामी हों या भूमिहीन। किसानों को रोजगार मिले और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। वहीं सरकार की ओर से उन्हें संपूर्ण बसाहट का पट्टा मिले। किसानों का आरोप है कि गांवों की जमीन अधिग्रहण के समय राज्य सरकार ने जो वादा किया था, उसे नहीं निभाया है। किसान अपनी जिद पर अड़े हैं और सरकार से लिखित आश्वासन की मांग कर रहे हैं।
अपने वादे से मुकर रही है बघेल सरकार
अमर उजाला से बातचीत में किसान नेताओं का कहना है कि उनका यह आंदोलन केवल इस बात को लेकर नहीं है कि पूर्व की सरकारों ने उनकी जमीनों का अधिग्रहण कर लिया और उनसे किया वादा नहीं निभाया। किसान संगठनों के बड़े आक्रोश का एक कारण यह भी है कि 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी उन्होंने एक बड़ा आंदोलन किया था। उस समय कांग्रेस ने हमारे आंदोलन का समर्थन किया था। तभी किसान संगठनों से वादा किया था कि राज्य में सरकार बनने के बाद उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाएगा।
उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 27 गांवों की जमीन पूर्व की सरकार ने नवा रायपुर इलाके को विकसित करने के लिए ली थी, किसान चाहते थे कि उन्हें इसका चार गुना मुआवजा दिया जाए। वहीं हर परिवार को 1200 वर्ग फीट जमीन देने के साथ हर परिवार के एक बेरोजगार व्यक्ति को रोजगार देने की व्यवस्था भी की जाए। लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार को आए करीब तीन साल हो गए हैं लेकिन उन्होंने अब तक हमारी मांगे पूरी नहीं की हैं।
भाजपा जैसी ही निकली कांग्रेस भी
किसानों का यह भी कहना है कि जब दिल्ली में किसान संगठन तीन कृषि कानून को लेकर आंदोलन कर रहे थे तब भूपेश बघेल ने किसानों के इस आंदोलन का समर्थन किया था। जबकि लखीमपुर की घटना में पीड़ित किसान के परिवार को राज्य सरकार ने 50 लाख का मुआवजा देने का एलान भी किया था। ऐसे में ये सरकार हमारी मांगे अब तक क्यों पूरी नहीं कर रही है।
किसान नेता चंद्राकर ने कहा कि यह कांग्रेस सरकार भी उनके लिए भाजपा जैसी ही निकली। जब ये लोग विपक्ष में थे तो इन्हीं मुद्दों पर हमारे आंदोलन के साथ थे। अब सरकार में हैं तो इतने बड़े आंदोलन के बाद भी इनके कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। इस सरकार के लोग किस मुंह से दूसरे राज्यों में जाकर यह कह रहे हैं कि हमने हर वचन निभाया है। अगली बार से दूसरे राज्यों के हर चुनाव में जहां-जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जाएंगे वहां-वहां हम लोग जाकर कांग्रेस सरकार की हकीकत बताएंगे।
टिकैत से मिले छत्तीसगढ़ के किसान नेता
नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने बताया कि सिसौली में किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात हुई है। उन्हें नवा रायपुर के किसानों द्वारा 51 दिनों से जारी आंदोलन की जानकारी दी गई। उनके सामने भी किसानों ने अपनी समस्या रखी है। टिकैत ने सभी बिंदुओं को सुनने के बाद नई राजधानी के किसानों का साथ देने की बात कही है और भरोसा दिया है कि वे जल्द ही रायपुर आएंगे। किसानों की मांग पूरी होने पर टिकैत सरकार का आभार जताएंगे या फिर मांग पूरी नहीं होने की स्थिति में आंदोलन को अपना समर्थन देंगे।
मुलाकात के दौरान राकेश टिकैत ने कहा है कि यदि सरकार इन मांगों को मान लेती है तो ठीक है लेकिन अगर नहीं मानती तो राजधानी के किसानों के साथ आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। राकेश टिकैत के साथ ही योगेंद्र यादव ने भी किसानों के समर्थन में रायपुर पहुंचकर आंदोलन में शामिल होने की बात कही है।
इन मुद्दों पर है किसानों का आंदोलन
- सन 2005 से स्वतंत्र भू क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
- प्रभावित 27 ग्रामों के लिए घोषित नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना निरस्त की जाए।
- सम्पूर्ण ग्रामीणों को बसावट का पट्टा दिया जाए ।
- प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखंड का वितरण किया जाए।
- आपसी सहमति भू-अर्जन के तहत अर्जित भूमि के अनुपात में शुल्क आवंटन हो।
- अर्जित भूमि पर वार्षिक राशि का भुगतान तत्काल किया जाए।
- सशक्त समिति की 12वीं बैठक के निर्णयों का पूर्णतया पालन हो।
- भू-स्वामियों को चार गुना मुआवजे का प्रावधान हो।
सरकार कुछ मांगों पर सहमत, किसान पूरी मांगों पर अड़े
51 दिनों के आंदोलन और तीन दौर की चर्चा के बाद राज्य सरकार कुछ मांगों को मानने को तैयार हो गई है। दो दिन पहले कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था कि सरकार आठ में से छह मांगों को मानने के लिए तैयार है। किसान संगठनों ने उनके इस बयान को धोखा बताया। उनका कहना था कि जिन बातों का मंत्री जिक्र कर रहे हैं, उनमें उनके मांगपत्र के एक-दो बिंदु ही शामिल हैं। प्रमुख मांगों पर तो सरकार कुछ कह ही नहीं रही है। जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जातीं आंदोलन जारी रहेगा।
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