पंजाब चुनाव: सियासत में उतरे किसान संगठनों के निलंबन पर टकराहट, प्रतिनिधियों ने रखी एसकेएम के विस्तार की मांग


सार

‘कीर्ति किसान यूनियन’ की राज्य कमेटी के सदस्य रमिंद्र सिंह ने बताया, किसान आंदोलन की शुरुआत से लेकर इसके दिल्ली से वापस लौटने तक, उसमें पंजाब के किसान संगठनों का विशेष योगदान रहा है। रविवार को पंजाब के किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें 32 में से 23 संगठनों से हिस्सा लिया है। सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि सात फरवरी को पंजाब में दो घंटे के लिए चक्का जाम किया जाएगा…

पंजाब चुनाव: संयुक्त समाज मोर्चा
– फोटो : Agency (File Photo)

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पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ रहे किसान संगठनों के ‘संयुक्त किसान मोर्चे’ से निलंबन को लेकर किसान नेताओं के बीच टकराहट बढ़ने लगी है। पंजाब के किसान संगठनों का कहना है कि एसकेएम (संयुक्त किसान मोर्चा) ने 23 संगठनों को निलंबित कर रखा है, जबकि उनमें से केवल आठ संगठन ही सीधे तौर पर चुनाव में कूदे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि अगर किसी ने एसकेएम के नियमों का उल्लंघन किया है तो उसकी सजा व्यक्ति को मिलनी चाहिए न कि संगठन को। एसकेएम के इस निर्णय के खिलाफ पंजाब के दो दर्जन से अधिक किसान संगठनों ने समन्वय समिति की बैठक बुलाने की मांग की है। यह बैठक फरवरी के आखिरी सप्ताह या मार्च के शुरू में हो सकती है। पंजाब के किसान संगठन, निलंबन के अलावा ‘संयुक्त किसान मोर्चे’ की ‘समन्वय समिति’ के विस्तार को लेकर अपना पक्ष रखेंगे।

‘संयुक्त समाज मोर्चा’ ने सौ से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारे

पंजाब के किसान संगठनों द्वारा गठित राजनीतिक दल ‘संयुक्त समाज मोर्चा’, का नेतृत्व बलबीर सिंह राजेवाल कर रहे हैं। इनके साथ भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी की ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ भी आ गई है। ‘संयुक्त समाज मोर्चा’ ने सौ से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। मोर्चे ने सभी 117 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा की थी। हालांकि किसान आंदोलन के दौरान एसकेएम ने तय किया था कि कोई भी सदस्य किसी राजनीतिक प्लेटफार्म पर नहीं जाएगा। न ही किसी राजनेता को एसकेएम के मंच पर जगह मिलेगी।

आंदोलन खत्म होने के बाद एसकेएम ने कहा था कि मोर्चे का नाम किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं किया जाएगा। अगर कोई सदस्य इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे निलंबन का सामना करना पड़ेगा। पिछले साल जब पहली बार गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने चुनाव लड़ने की बात कही तो उन्हें कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद योगेंद्र यादव जब लखीमपुर खीरी में भाजपा के एक कार्यकर्ता के घर पर गए तो उन्हें भी एक माह तक निलंबित कर दिया गया था।

सात फरवरी को चक्का जाम

‘कीर्ति किसान यूनियन’ की राज्य कमेटी के सदस्य रमिंद्र सिंह ने बताया, किसान आंदोलन की शुरुआत से लेकर इसके दिल्ली से वापस लौटने तक, उसमें पंजाब के किसान संगठनों का विशेष योगदान रहा है। रविवार को पंजाब के किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें 32 में से 23 संगठनों से हिस्सा लिया है। सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि सात फरवरी को पंजाब में दो घंटे के लिए चक्का जाम किया जाएगा। आलू की खराब हुई फसल का मुआवजा देने और राज्य में स्कूल खोलने की मांग को लेकर सरकार को चेताया जाएगा। बैठक में इस पर भी विस्तार से चर्चा की गई है कि एसकेएम ने पंजाब के किसान संगठनों को निलंबित कर एक गलत परंपरा शुरू की है। व्यक्ति का निलंबन हो सकता है, मगर उसके संगठन को निलंबित करना ठीक नहीं है। पंजाब में केवल आठ किसान संगठन ही चुनाव लड़ रहे हैं। बाकी कोई संगठन किसी के समर्थन में हो सकता है। इस कोताही पर व्यक्ति को सस्पेंड करें, संगठन पर कार्रवाई करना गलत है।

एसकेएम के कई नेता लड़ चुके हैं चुनाव

पंजाब के 22 संगठनों ने सर्वसम्मति ने फैसला लिया है कि वे अपने निलंबन को लेकर एसकेएम से आग्रह करेंगे। किसान संगठनों का कहना है कि निलंबन के फैसले पर दोबारा से विचार हो। सभी किसान संगठन एक ‘कॉमन मिनीमम प्रोग्राम’ को लेकर किसान आंदोलन में उतरे थे। किसानों के बीच आपसी टकराहट न हो, इसके लिए एसकेएम को अपने फैसले पर सोच विचार करना चाहिए। अगर एसकेएम इस दिशा में आगे नहीं बढ़ता है तो किसान आंदोलन कमजोर होगा। किसान नेताओं का कहना है कि आजकल डॉ. दर्शनपाल, योगेंद्र यादव, हन्नान मोल्लाह, जगजीत सिंह, जोगेंद्र सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा ‘कक्का जी’ और युद्धवीर सिंह एसकेएम की तरफ से बयान जारी होते हैं। इनमें से कई नेता तो अपने जीवन में चुनाव लड़ चुके हैं। अब ये नेता पंजाब के किसान संगठनों को चुनाव लड़ने के कारण निलंबित कर रहे हैं।

पंजाब के किसान संगठनों का कहना है कि एसकेएम को उनकी बात पर गौर करना होगा। मोर्चे की समन्वय समिति के सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाएगी। उसमें पंजाब के किसान संगठनों को सम्मानजनक संख्या एवं स्थान मिले। मोर्चे का नए सिरे से गठन करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

विस्तार

पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ रहे किसान संगठनों के ‘संयुक्त किसान मोर्चे’ से निलंबन को लेकर किसान नेताओं के बीच टकराहट बढ़ने लगी है। पंजाब के किसान संगठनों का कहना है कि एसकेएम (संयुक्त किसान मोर्चा) ने 23 संगठनों को निलंबित कर रखा है, जबकि उनमें से केवल आठ संगठन ही सीधे तौर पर चुनाव में कूदे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि अगर किसी ने एसकेएम के नियमों का उल्लंघन किया है तो उसकी सजा व्यक्ति को मिलनी चाहिए न कि संगठन को। एसकेएम के इस निर्णय के खिलाफ पंजाब के दो दर्जन से अधिक किसान संगठनों ने समन्वय समिति की बैठक बुलाने की मांग की है। यह बैठक फरवरी के आखिरी सप्ताह या मार्च के शुरू में हो सकती है। पंजाब के किसान संगठन, निलंबन के अलावा ‘संयुक्त किसान मोर्चे’ की ‘समन्वय समिति’ के विस्तार को लेकर अपना पक्ष रखेंगे।

‘संयुक्त समाज मोर्चा’ ने सौ से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारे

पंजाब के किसान संगठनों द्वारा गठित राजनीतिक दल ‘संयुक्त समाज मोर्चा’, का नेतृत्व बलबीर सिंह राजेवाल कर रहे हैं। इनके साथ भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी की ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ भी आ गई है। ‘संयुक्त समाज मोर्चा’ ने सौ से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। मोर्चे ने सभी 117 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा की थी। हालांकि किसान आंदोलन के दौरान एसकेएम ने तय किया था कि कोई भी सदस्य किसी राजनीतिक प्लेटफार्म पर नहीं जाएगा। न ही किसी राजनेता को एसकेएम के मंच पर जगह मिलेगी।

आंदोलन खत्म होने के बाद एसकेएम ने कहा था कि मोर्चे का नाम किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं किया जाएगा। अगर कोई सदस्य इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे निलंबन का सामना करना पड़ेगा। पिछले साल जब पहली बार गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने चुनाव लड़ने की बात कही तो उन्हें कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद योगेंद्र यादव जब लखीमपुर खीरी में भाजपा के एक कार्यकर्ता के घर पर गए तो उन्हें भी एक माह तक निलंबित कर दिया गया था।

सात फरवरी को चक्का जाम

‘कीर्ति किसान यूनियन’ की राज्य कमेटी के सदस्य रमिंद्र सिंह ने बताया, किसान आंदोलन की शुरुआत से लेकर इसके दिल्ली से वापस लौटने तक, उसमें पंजाब के किसान संगठनों का विशेष योगदान रहा है। रविवार को पंजाब के किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें 32 में से 23 संगठनों से हिस्सा लिया है। सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि सात फरवरी को पंजाब में दो घंटे के लिए चक्का जाम किया जाएगा। आलू की खराब हुई फसल का मुआवजा देने और राज्य में स्कूल खोलने की मांग को लेकर सरकार को चेताया जाएगा। बैठक में इस पर भी विस्तार से चर्चा की गई है कि एसकेएम ने पंजाब के किसान संगठनों को निलंबित कर एक गलत परंपरा शुरू की है। व्यक्ति का निलंबन हो सकता है, मगर उसके संगठन को निलंबित करना ठीक नहीं है। पंजाब में केवल आठ किसान संगठन ही चुनाव लड़ रहे हैं। बाकी कोई संगठन किसी के समर्थन में हो सकता है। इस कोताही पर व्यक्ति को सस्पेंड करें, संगठन पर कार्रवाई करना गलत है।

एसकेएम के कई नेता लड़ चुके हैं चुनाव

पंजाब के 22 संगठनों ने सर्वसम्मति ने फैसला लिया है कि वे अपने निलंबन को लेकर एसकेएम से आग्रह करेंगे। किसान संगठनों का कहना है कि निलंबन के फैसले पर दोबारा से विचार हो। सभी किसान संगठन एक ‘कॉमन मिनीमम प्रोग्राम’ को लेकर किसान आंदोलन में उतरे थे। किसानों के बीच आपसी टकराहट न हो, इसके लिए एसकेएम को अपने फैसले पर सोच विचार करना चाहिए। अगर एसकेएम इस दिशा में आगे नहीं बढ़ता है तो किसान आंदोलन कमजोर होगा। किसान नेताओं का कहना है कि आजकल डॉ. दर्शनपाल, योगेंद्र यादव, हन्नान मोल्लाह, जगजीत सिंह, जोगेंद्र सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा ‘कक्का जी’ और युद्धवीर सिंह एसकेएम की तरफ से बयान जारी होते हैं। इनमें से कई नेता तो अपने जीवन में चुनाव लड़ चुके हैं। अब ये नेता पंजाब के किसान संगठनों को चुनाव लड़ने के कारण निलंबित कर रहे हैं।

पंजाब के किसान संगठनों का कहना है कि एसकेएम को उनकी बात पर गौर करना होगा। मोर्चे की समन्वय समिति के सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाएगी। उसमें पंजाब के किसान संगठनों को सम्मानजनक संख्या एवं स्थान मिले। मोर्चे का नए सिरे से गठन करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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