बसपा प्रमुख एक्टिव : चुनाव हारने के बाद मायावती के निशाने पर सपा-भाजपा, 29 दिन में आठ बयान बताते हैं नई रणनीति


सार

बहुजन समाज पार्टी को इस बार विधानसभा चुनाव में केवल एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। इसके पहले 2017 विधानसभा चुनाव में बसपा को 19 और 2012 में 80 सीटें मिलीं थीं। 
 

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उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की बुरी हार के बाद मायावती एक्टिव हो गईं हैं।  मायावती ने पार्टी को नए स्वरूप में फिर से खड़ा करने का फैसला लिया है। इसके लिए अपने भतीजे आकाश आनंद को भी आगे कर दिया है। खुद मायावती ने पार्टी को मजबूत करने की कमान संभाल ली है। 

मायावती के सामने अभी भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों से जूझने की चुनौती है। इसके लिए वह इन दोनों पार्टियों पर हमला करने से कोई मौका नहीं छोड़ रहीं हैं। 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद से अब तक मायावती ने आठ ऐसे बयान दिए हैं, जिसने सपा और भाजपा दोनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 

  • चुनाव नतीजों के बाद मायावती ने अपने भतीजे यानी आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया। मतलब साफ है कि अब पार्टी को युवा हाथों में सौंपने की कवायद शुरू हो गई है।  
  • तीन नए प्रभारी बनाए गए हैं जो सीधे आकाश आनंद को रिपोर्ट करेंगे। यह जिम्मेदारी मुनकाद अली, राजकुमार गौतम और डॉ. विजय प्रताप को दी गई है।
  • बसपा की सभी इकाइयों को भंग कर दिया गया है। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्षों को छोड़कर बाकी सभी को पद से हटा दिया गया है।
  • बसपा का साथ छोड़ने वाले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को वापस पार्टी में शामिल कराया गया और आजमगढ़ से उन्हें लोकसभा उप-चुनाव का प्रत्याशी बना दिया है। 
  • संगठन के सभी जिम्मेदार पदाधिकारियों से चुनाव हारने के कारणों की रिपोर्ट मांगी गई है। 
  • मायावती ने रितेश पाण्डेय को लोकसभा में पार्टी के नेता के पद से हटा दिया। उनकी जगह गिरीश चंद्र जाटव को लोकसभा में पार्टी का नया नेता बनाया गया है।

1. चुनाव खर्च को लेकर निशाना : बसपा प्रमुख ने चुनाव में बड़े राजनीतिक दलों के खर्चों को लेकर सवाल उठाए। मायावती के निशाने पर भाजपा, कांग्रेस, सपा थीं। उन्होंने कहा, ‘कारपोरेट जगत व धन्नासेठों के धनबल के प्रभाव ने देश में चुनावी संघर्षों में गहरी अनैतिकता व असमानता की खाई तथा ‘लेवल प्लेइंग फील्ड’ खत्म करके यहां लोकतंत्र एवं लोगों का बहुत उपहास बनाया जा रहा है। गुप्त ‘चुनावी बाण्ड स्कीम’ से इस धनबल के खेल को और भी ज्यादा हवा मिल रही है।’ 

बसपा प्रमुख ने आगे कहा, ‘अब काफी समय बाद सुप्रीम कोर्ट चुनावी बाण्ड से सम्बन्धित याचिका पर सुनवाई शुरू करेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि धनबल पर आधारित देश की चुनावी व्यवस्था में आगे चलकर कुछ बेहतरी हो। चुनिंदा पार्टियों के बजाय गरीब-समर्थक पार्टियों को खर्चीले चुनावों की मार से कुछ राहत मिले। 

2. महंगाई, बेरोजगारी पर केंद्र पर निशाना : बसपा सुप्रीमो मायावती ने सात अप्रैल को महंगाई और बेरोजगारी को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया। लिखा, ‘देश में बढ़ती हुई महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी की जबर्दस्त मार व तनाव झेल रही जनता अब पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस आदि आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण घुट-घुटकर जीने को मजबूर है। यह अति-चिंताजनक है। केंद्र सरकार इस मामले को जरूर गंभीरता से ले।’

3. पेपर आउट मामले में यूपी सरकार को घेरा : यूपी बोर्ड 12वीं अंग्रेजी के पेपर लीक मामले में भी मायावती ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, ‘यूपी बोर्ड परीक्षाओं में पेपर लीक होने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज दोपहर इण्टर की अंग्रेजी विषय की परीक्षा होने से पहले पेपर लीक होने के बाद गोरखपुर व वाराणसी सहित प्रदेश के 24 जिलों में परीक्षा रद्द करनी पड़ी है। छात्रों के जीवन से बार-बार ऐसा खिलवाड़ क्या उचित?’

मायावती ने आगे लिखा, ‘उत्तर प्रदेश में बार-बार पेपर लीक होने से ऐसा लगता है कि नकल माफिया सरकार की पकड़ व सख्ती से बाहर हैं, किन्तु इस प्रकार की गंभीर घटनाओं से प्रदेश की पूरे देश में होने वाली बदनामी आदि के लिए असली कसूरवार व जवाबदेह कौन?’ बसपा प्रमुख ने इस मामले में आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की। 

4. सपा पर हमला : मायावती ने चुनाव परिणाम आने के बाद ट्वीट किया। लिखा, ‘मुस्लिम समाज और भाजपा से नाराज हिंदुओं ने समाजवादी पार्टी का साथ देकर गलती की है। अगर यह लोग बसपा के दलित वोट के साथ जुड़ जाते तो भाजपा को आसानी से हराया जा सकता था।’ 
5. अखिलेश-मुलायम को आड़े हाथों लिया : बसपा प्रमुख ने 22 मार्च को फिर से सपा पर निशाना साधा। इस बार अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव सीधे उनके निशाने पर थे। मायावती ने लिखा, ‘यूपी में अंबेडकरवादी लोग कभी भी सपा मुखिया अखिलेश यादव को माफ नहीं करेंगे। जिसने, अपनी सरकार में इनके नाम से बनी योजनाओं व संस्थानों आदि के नाम अधिकांश बदल दिये। जो अति निन्दनीय व शर्मनाक भी है।’ 

आगे लिखा, ‘बीजेपी से बीएसपी नहीं बल्कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह मिले हैं। जिन्होंने योगी आदित्यनाथ के पिछले शपथ समारोह में अखिलेश को बीजेपी से आर्शीवाद भी दिलाया था। अब अपने काम के लिए परिवार के एक सदस्य को बीजेपी में भेज दिया है। यह जग-जाहिर है।’

6. मुसलमानों को साधने की कोशिश : मायावती ने 27 मार्च को कहा, ‘ये वक्त हताश होने का नहीं, बल्कि एकजुट होकर संघर्ष करने का है। भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए मुसलमानों ने सपा का साथ दिया और वे विफल हुए। अब मुसलमान भी यह समझ चुके हैं कि भाजपा को बसपा ही हरा सकती है। इसलिए मुसलमानों को अकेले छोड़ने की बजाय अब उन्हें साथ लेकर चलना है।’

7. सेना भर्ती को लेकर सरकार पर प्रहार : 28 मार्च को मायावती ने सेना भर्तियों को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा। लिखा, ‘कोरोना के कारण सेना में भर्ती रैलियों के आयोजन पर पिछले दो साल से लगी हुई रोक अभी आगे लगातार जारी रहेगी। संसद में दी गई यह जानकारी निश्चय ही देश के नौजवानों, बेरोजगार परिवारों व खासकर सेना में भर्ती का जज्बा रखने वाले परिश्रमी युवाओं के लिए अच्छी खबर नहीं है।’

उन्होंने आगे लिखा, ‘मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इसको लेकर सैन्य अफसर भी चिन्तित हैं, क्योंकि उनके अनुसार इस आर्मी रिक्रूटमेन्ट रैलियों पर अनवरत पाबन्दी का बुरा प्रभाव सेना की तैयारियों पर नीचे तक पड़ेगा। अब जबकि कोरोना के हालात नार्मल हैं, केन्द्र सरकार दोनों पहलुओं पर यथासमय पुनर्विचार करे।’ 

8. भाजपा-सपा दोनों रहे टारगेट पर : 29 मार्च को बसपा प्रमुख ने लिखा, ‘यूपी में सपा व भाजपा की अन्दरूनी मिलीभगत जग-जाहिर रही है कि इन्होंने विधान सभा चुनाव को भी हिन्दू-मुस्लिम कराकर यहां भय व आतंक का माहौल बनाया। जिससे खासकर मुस्लिम समाज गुमराह हुआ व सपा को एकतरफा वोट देने की भारी भूल की, जिसको सुधार कर ही भाजपा को यहां हराना संभव है।’

विस्तार

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की बुरी हार के बाद मायावती एक्टिव हो गईं हैं।  मायावती ने पार्टी को नए स्वरूप में फिर से खड़ा करने का फैसला लिया है। इसके लिए अपने भतीजे आकाश आनंद को भी आगे कर दिया है। खुद मायावती ने पार्टी को मजबूत करने की कमान संभाल ली है। 

मायावती के सामने अभी भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों से जूझने की चुनौती है। इसके लिए वह इन दोनों पार्टियों पर हमला करने से कोई मौका नहीं छोड़ रहीं हैं। 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद से अब तक मायावती ने आठ ऐसे बयान दिए हैं, जिसने सपा और भाजपा दोनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 



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