जहांगीरपुरी में बुलडोजर : हिंसा, उन्माद और तोड़फोड़ के बाद 100 से अधिक परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट


सार

इलाके में बुधवार की शाम से ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी है। इसका खामियाजा इलाके में रहने वाले एक सौ से अधिक परिवारों के सामने रोजी रोजी का संकट पैदा हो गया है। उनके समक्ष जीविका चलाने के लाले पड़ गए हैं।

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जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के दिन पथराव होने के बाद स्थिति में कुछ सुधार होने लग गया था, मगर यहां बुधवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद हालत बिगड़ गए है। इलाके में बुधवार की शाम से ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी है। इसका खामियाजा इलाके में रहने वाले एक सौ से अधिक परिवारों के सामने रोजी रोजी का संकट पैदा हो गया है। उनके समक्ष जीविका चलाने के लाले पड़ गए हैं।

जहांगीरपुरी स्थित कुशल चौक के साथ जी ब्लाक में आटा चक्की चलाने वालेे पप्पू सुबह से लेकर शाम तक काम करने के बजाए कभी चारपाई पर लेटते है तो कभी कुर्सी पर बैठते है। अब उनके पास कोई व्यक्ति अनाज पिसवाने के लिए नहीं आ रहा है। न ही आटा खरीदने के लिए आ रहा है। उनकी दुकान के दोनों ओर पुलिस ने अवरोधक लगा रखे हैं। इस कारण उनकी दुकान तक व्यक्ति नहीं पहुंच रहे हैं। पहले उनके पास रोजाना सौ से अधिक ग्राहक आते थे, अब पांच दिन से दिनभर में एक भी ग्राहक नहीं आ रहा है ।

जी ब्लाक में ही खाना बेचने की रेहड़ी लगाने वाली कमला की स्थिति भी पप्पू जैसी है। वह भी पांच दिन से रेहड़ी नहीं लगा पा रही है, क्योंकि कुशल चौक की ओर से आने वाली जी ब्लाक की मुख्य सड़क पर पुलिस तैनात है।  पुलिस ने अवरोधक लगा रखे है। वह कहती है कि कुछ लोगों के राजनीतिक स्वार्थ के कारण उन जैसे सैकड़ों लोगों का काम ठप हो गया है। वह रोज शाम तक करीब एक हजार रुपये की आमदनी कर लेती थी, लेकिन अब  उधार मांगने को मजबूर हो गई है।

छठे दिन शांति बहाल करने की कोशिश
जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के छठे दिन क्षेत्र में शांति बहाल    करने की कोशिशें जारी हैं।  क्षेत्र में दोबारा ऐसे हालात पैदा न हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले दिनों  दो समुदायों के बीच हिंसा, पथराव की घटना के बाद सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।

सिख परिवार से ताल्लुक रखने वाले  81 वर्षीय हरभजन सिंह  का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। उसी के बाद से वह दिल्ली आए और यहीं पर रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां दो समुदायों के बीच कभी भी ऐसी घटना नहीं हुई थी। सभी धर्म के लोग आपस में मिल जुलकर रहते हैं। आगे भी सभी की कोशिश है कि पहले जैसे हालात बहाल किए जाएं। इसी इलाके में रहने वाले दिलीप सोनकर ने बताया कि इस तरह की घटना पहले कभी नहीं हुई। स्कूल खुले हैं तो जरूरी सामान की भी खरीदारी में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। हालांकि बैरिकेडिंग होने की वजह से कुछ दूर लोगों को पैदल चलना पड़ रहा है।

दुकानें भी खुलने लगी हैं और जल्द ही हालात एक बार फिर पहले की तरह होने की उम्मीद है। नाजिर अली का कहना है कि इस घटना के बाद हुई कार्रवाई में उनके बेटों की दुकानों को हटा दिया गया। इसमें काफी नुकसान हो गया।  इसकी भरपाई   होने में वक्त लगेगा। सभी के बीच दोबारा जल्द अमन और भाईचारा कायम हो, यही सभी की दुआ है। इसके लिए कौम की तरफ से भी कोशिश की जा रही है।

सीढ़ी हटाने के बाद से सब्जी लेने नहीं गई अम्मा
बिरयानी की दुकान चलाने वाले बसीम का कहना है कि ब्लॉक सी में अपनी दुकान और पहली मंजिल के कमरे तक पहुंचने के लिए लगी लोहे की सीढ़ी हटाए जाने से  मुश्किलें काफी बढ़ गई है। अब आलम यह है कि बुधवार को हुई कार्रवाई के बाद से घर से महिलाएं बाहर नहीं निकल सकी हैं। सब्जी लेने के लिए कभी उनकी अम्मा या भाभी चली जाती थीं, लेकिन अब मुश्किल हो गया है। इस कार्रवाई से करीब 80 हजार रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। इसके लिए अब क्या करें, इसी सोच में हूं कि कैसे भरपाई होगी।  

विस्तार

जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के दिन पथराव होने के बाद स्थिति में कुछ सुधार होने लग गया था, मगर यहां बुधवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद हालत बिगड़ गए है। इलाके में बुधवार की शाम से ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी है। इसका खामियाजा इलाके में रहने वाले एक सौ से अधिक परिवारों के सामने रोजी रोजी का संकट पैदा हो गया है। उनके समक्ष जीविका चलाने के लाले पड़ गए हैं।

जहांगीरपुरी स्थित कुशल चौक के साथ जी ब्लाक में आटा चक्की चलाने वालेे पप्पू सुबह से लेकर शाम तक काम करने के बजाए कभी चारपाई पर लेटते है तो कभी कुर्सी पर बैठते है। अब उनके पास कोई व्यक्ति अनाज पिसवाने के लिए नहीं आ रहा है। न ही आटा खरीदने के लिए आ रहा है। उनकी दुकान के दोनों ओर पुलिस ने अवरोधक लगा रखे हैं। इस कारण उनकी दुकान तक व्यक्ति नहीं पहुंच रहे हैं। पहले उनके पास रोजाना सौ से अधिक ग्राहक आते थे, अब पांच दिन से दिनभर में एक भी ग्राहक नहीं आ रहा है ।

जी ब्लाक में ही खाना बेचने की रेहड़ी लगाने वाली कमला की स्थिति भी पप्पू जैसी है। वह भी पांच दिन से रेहड़ी नहीं लगा पा रही है, क्योंकि कुशल चौक की ओर से आने वाली जी ब्लाक की मुख्य सड़क पर पुलिस तैनात है।  पुलिस ने अवरोधक लगा रखे है। वह कहती है कि कुछ लोगों के राजनीतिक स्वार्थ के कारण उन जैसे सैकड़ों लोगों का काम ठप हो गया है। वह रोज शाम तक करीब एक हजार रुपये की आमदनी कर लेती थी, लेकिन अब  उधार मांगने को मजबूर हो गई है।

छठे दिन शांति बहाल करने की कोशिश

जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के छठे दिन क्षेत्र में शांति बहाल    करने की कोशिशें जारी हैं।  क्षेत्र में दोबारा ऐसे हालात पैदा न हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले दिनों  दो समुदायों के बीच हिंसा, पथराव की घटना के बाद सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।

सिख परिवार से ताल्लुक रखने वाले  81 वर्षीय हरभजन सिंह  का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। उसी के बाद से वह दिल्ली आए और यहीं पर रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां दो समुदायों के बीच कभी भी ऐसी घटना नहीं हुई थी। सभी धर्म के लोग आपस में मिल जुलकर रहते हैं। आगे भी सभी की कोशिश है कि पहले जैसे हालात बहाल किए जाएं। इसी इलाके में रहने वाले दिलीप सोनकर ने बताया कि इस तरह की घटना पहले कभी नहीं हुई। स्कूल खुले हैं तो जरूरी सामान की भी खरीदारी में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। हालांकि बैरिकेडिंग होने की वजह से कुछ दूर लोगों को पैदल चलना पड़ रहा है।

दुकानें भी खुलने लगी हैं और जल्द ही हालात एक बार फिर पहले की तरह होने की उम्मीद है। नाजिर अली का कहना है कि इस घटना के बाद हुई कार्रवाई में उनके बेटों की दुकानों को हटा दिया गया। इसमें काफी नुकसान हो गया।  इसकी भरपाई   होने में वक्त लगेगा। सभी के बीच दोबारा जल्द अमन और भाईचारा कायम हो, यही सभी की दुआ है। इसके लिए कौम की तरफ से भी कोशिश की जा रही है।

सीढ़ी हटाने के बाद से सब्जी लेने नहीं गई अम्मा

बिरयानी की दुकान चलाने वाले बसीम का कहना है कि ब्लॉक सी में अपनी दुकान और पहली मंजिल के कमरे तक पहुंचने के लिए लगी लोहे की सीढ़ी हटाए जाने से  मुश्किलें काफी बढ़ गई है। अब आलम यह है कि बुधवार को हुई कार्रवाई के बाद से घर से महिलाएं बाहर नहीं निकल सकी हैं। सब्जी लेने के लिए कभी उनकी अम्मा या भाभी चली जाती थीं, लेकिन अब मुश्किल हो गया है। इस कार्रवाई से करीब 80 हजार रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। इसके लिए अब क्या करें, इसी सोच में हूं कि कैसे भरपाई होगी।  



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