यूपी : मंत्रिमंडल गठन के बाद नौकरशाही में बड़े फेरबदल की पृष्ठभूमि तैयार, आचार संहिता हटते ही कई आईएएस अफसर होंगे इधर से उधर


सार

योगी सरकार-2.0 में बड़ी संख्या में नए चेहरे शामिल किए गए हैं। कई पुराने मंत्रियों के  विभाग भी बदले गए हैं। अब नई चुनौती व नए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नौकरशाही में भी बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट है।

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प्रदेश में नई सरकार के कामकाज संभालने के बाद नौकरशाही को नए सिरे से सजाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। शासन में कई वरिष्ठ अधिकारी अगले माह सेवानिवृत्त हो जाएंगे। कई जिलों में सचिव स्तर के अधिकारी तैनात हैं, जिनका हटना तय माना जा रहा है। एक ही विभाग में लंबे समय से जमे अफसर भी हटाए जा सकते हैं। अफसरशाही में बड़ा फेरबदल एमएलसी चुनाव संपन्न होने के बाद 15 अप्रैल से मई के बीच हो सकते हैं।

योगी सरकार-2.0 में बड़ी संख्या में नए चेहरे शामिल किए गए हैं। कई पुराने मंत्रियों के  विभाग भी बदले गए हैं। अब नई चुनौती व नए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नौकरशाही में भी बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट है। मुख्य सचिव के बाद राजस्व परिषद चेयरमैन व कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। राजस्व परिषद के मौजूदा चेयरमैन मुकुल सिंघल व एपीसी आलोक सिन्हा 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इन दोनों ही पदों पर नई तैनाती की जाएगी।

मुकुल की सेवानिवृत्ति के बाद परिषद के चेयरमैन पद पर यदि पूर्व मुख्य सचिव व यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम के चेयरमैन आरके तिवारी की तैनाती की गई तो निगम के चेयरमैन पद पर भी किसी वरिष्ठ अफसर की तैनाती करनी होगी। एपीसी के पास अपर मुख्य सचिव (एसीएस) ऊर्जा व अतिरिक्त ऊर्जा की भी जिम्मेदारी है। इस बड़े महकमे के लिए भी वरिष्ठ अफसर की तलाश की जानी है। अपर मुख्य सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण एमवीएस रामीरेड्डी भी 30 अप्रैल को ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस महकमे में भी नए अफसर की जरूरत होगी।

प्रदेश में स्थानिक आयुक्त का पद भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस अधिकारी का काम दिल्ली में रहकर राज्य से जुड़े मामलों की केंद्र में पैरवी व समन्वय करना होता है। अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी प्रभात सारंगी दिल्ली में राज्य के स्थानिक आयुक्त हैं। वे भी 30 अप्रैल को ही रिटायर हो रहे हैं। इसलिए किसी वरिष्ठ अधिकारी को इस पद पर तैनात करना होगा।

सियासी हवा भांपने में चूकने वाले अफसर भी हटेंगे
शासन के कई अधिकारी चुनावी हवा नहीं भांप पाए। चार तो चुनाव नतीजे आने से पहले विपक्षी खेमे से पींगे बढ़ाने पहुंच गए थे। इनमें एक अपर मुख्य सचिव व तीन सचिव स्तर के अधिकारी हैं। चार में तीन तो बेहद महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। अपर मुख्य सचिव के विभागीय मंत्री चुनाव जीतने के बावजूद सरकार में स्थान नहीं बना पाए हैं। माना जा रहा है कि ये अपर मुख्य सचिव व दोनों सचिव शासन में तबादलों के समय साइडलाइन किए जा सकते हैं। एक अपर मुख्य सचिव व एक सचिव स्तर के अधिकारी की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनाती के लिए उपलब्धता की रिपोर्ट केंद्र को काफी पहले भेजी जा चुकी है। महत्वपूर्ण पदों पर तैनात इन दोनों अफसरों की केंद्र में तैनाती के बाद इनके स्थान पर नए अफसर तैनात करने होंगे।

लखनऊ, वाराणसी व अलीगढ़ सहित 10 जिलों के डीएम बदलने की संभावना
लखनऊ, वाराणसी व अलीगढ़ में सचिव स्तर के अधिकारी जिलाधिकारी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। एमएलसी चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद इन अफसरों को हटाकर नए की तैनाती करनी होगी। इन अफसरों को आयुक्त व सचिव स्तर के पदों पर नई तैनाती मिलेगी। इसके अलावा बरेली सहित चार जिलों में चुनाव आयोग ने सरकार द्वारा तैनात जिलाधिकारियों को हटाकर नए अफसरों की तैनात किया था। आयोग से तैनात अफसरों में ऐसे अफसर भी थे, जिन्हें पूर्व में सरकार की नाराजगी की वजह से हटाया गया था। संकेत है कि तबादलों के दौरान नाराजगी से जुड़े जिलों की कमान संभाल रहे अफसरों की जगह नए की तैनाती की जा सकती है। कुछेक जिलाधिकारियों की चुनावी हवा बदलने का अनुमान लगाकर सत्ता पक्ष के खिलाफ झुकाव की शिकायतें भी हैं। ऐसे अफसर भी हटाए जा सकते हैं। हालांकि, ये एमएलसी चुनाव में निष्ठा दिखाकर कुर्सी बदलने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।

कई सीडीओ व एडीएम भी हटेंगे
जिलों में सीडीओ के पद पर तैनात कई डायरेक्टर आईएएस अधिकारियों का समय दो वर्ष से अधिक हो गया है। उन्हें नगर निगमों में नगर आयुक्त तथा विकास प्राधिकरणों में वीसी या अन्य समकक्ष पदों पर नई तैनाती दी जा सकती है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव के दौरान कई एडीएम, सीआरओ व एसडीएम ने बदली हवा का अनुमान लगाकर कर्मचारियों के बीच सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का काम किया। शपथग्रहण के लिए आए कई विधायकों ने ऐसे अफसरों की शिकायत करनी शुरू कर दी है। इसलिए ऐसे अफसर भी हटाकर साइडलाइन किए जा सकते हैं।

विस्तार

प्रदेश में नई सरकार के कामकाज संभालने के बाद नौकरशाही को नए सिरे से सजाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। शासन में कई वरिष्ठ अधिकारी अगले माह सेवानिवृत्त हो जाएंगे। कई जिलों में सचिव स्तर के अधिकारी तैनात हैं, जिनका हटना तय माना जा रहा है। एक ही विभाग में लंबे समय से जमे अफसर भी हटाए जा सकते हैं। अफसरशाही में बड़ा फेरबदल एमएलसी चुनाव संपन्न होने के बाद 15 अप्रैल से मई के बीच हो सकते हैं।

योगी सरकार-2.0 में बड़ी संख्या में नए चेहरे शामिल किए गए हैं। कई पुराने मंत्रियों के  विभाग भी बदले गए हैं। अब नई चुनौती व नए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नौकरशाही में भी बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट है। मुख्य सचिव के बाद राजस्व परिषद चेयरमैन व कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। राजस्व परिषद के मौजूदा चेयरमैन मुकुल सिंघल व एपीसी आलोक सिन्हा 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इन दोनों ही पदों पर नई तैनाती की जाएगी।

मुकुल की सेवानिवृत्ति के बाद परिषद के चेयरमैन पद पर यदि पूर्व मुख्य सचिव व यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम के चेयरमैन आरके तिवारी की तैनाती की गई तो निगम के चेयरमैन पद पर भी किसी वरिष्ठ अफसर की तैनाती करनी होगी। एपीसी के पास अपर मुख्य सचिव (एसीएस) ऊर्जा व अतिरिक्त ऊर्जा की भी जिम्मेदारी है। इस बड़े महकमे के लिए भी वरिष्ठ अफसर की तलाश की जानी है। अपर मुख्य सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण एमवीएस रामीरेड्डी भी 30 अप्रैल को ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस महकमे में भी नए अफसर की जरूरत होगी।

प्रदेश में स्थानिक आयुक्त का पद भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस अधिकारी का काम दिल्ली में रहकर राज्य से जुड़े मामलों की केंद्र में पैरवी व समन्वय करना होता है। अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी प्रभात सारंगी दिल्ली में राज्य के स्थानिक आयुक्त हैं। वे भी 30 अप्रैल को ही रिटायर हो रहे हैं। इसलिए किसी वरिष्ठ अधिकारी को इस पद पर तैनात करना होगा।

सियासी हवा भांपने में चूकने वाले अफसर भी हटेंगे

शासन के कई अधिकारी चुनावी हवा नहीं भांप पाए। चार तो चुनाव नतीजे आने से पहले विपक्षी खेमे से पींगे बढ़ाने पहुंच गए थे। इनमें एक अपर मुख्य सचिव व तीन सचिव स्तर के अधिकारी हैं। चार में तीन तो बेहद महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। अपर मुख्य सचिव के विभागीय मंत्री चुनाव जीतने के बावजूद सरकार में स्थान नहीं बना पाए हैं। माना जा रहा है कि ये अपर मुख्य सचिव व दोनों सचिव शासन में तबादलों के समय साइडलाइन किए जा सकते हैं। एक अपर मुख्य सचिव व एक सचिव स्तर के अधिकारी की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनाती के लिए उपलब्धता की रिपोर्ट केंद्र को काफी पहले भेजी जा चुकी है। महत्वपूर्ण पदों पर तैनात इन दोनों अफसरों की केंद्र में तैनाती के बाद इनके स्थान पर नए अफसर तैनात करने होंगे।

लखनऊ, वाराणसी व अलीगढ़ सहित 10 जिलों के डीएम बदलने की संभावना

लखनऊ, वाराणसी व अलीगढ़ में सचिव स्तर के अधिकारी जिलाधिकारी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। एमएलसी चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद इन अफसरों को हटाकर नए की तैनाती करनी होगी। इन अफसरों को आयुक्त व सचिव स्तर के पदों पर नई तैनाती मिलेगी। इसके अलावा बरेली सहित चार जिलों में चुनाव आयोग ने सरकार द्वारा तैनात जिलाधिकारियों को हटाकर नए अफसरों की तैनात किया था। आयोग से तैनात अफसरों में ऐसे अफसर भी थे, जिन्हें पूर्व में सरकार की नाराजगी की वजह से हटाया गया था। संकेत है कि तबादलों के दौरान नाराजगी से जुड़े जिलों की कमान संभाल रहे अफसरों की जगह नए की तैनाती की जा सकती है। कुछेक जिलाधिकारियों की चुनावी हवा बदलने का अनुमान लगाकर सत्ता पक्ष के खिलाफ झुकाव की शिकायतें भी हैं। ऐसे अफसर भी हटाए जा सकते हैं। हालांकि, ये एमएलसी चुनाव में निष्ठा दिखाकर कुर्सी बदलने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।

कई सीडीओ व एडीएम भी हटेंगे

जिलों में सीडीओ के पद पर तैनात कई डायरेक्टर आईएएस अधिकारियों का समय दो वर्ष से अधिक हो गया है। उन्हें नगर निगमों में नगर आयुक्त तथा विकास प्राधिकरणों में वीसी या अन्य समकक्ष पदों पर नई तैनाती दी जा सकती है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव के दौरान कई एडीएम, सीआरओ व एसडीएम ने बदली हवा का अनुमान लगाकर कर्मचारियों के बीच सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का काम किया। शपथग्रहण के लिए आए कई विधायकों ने ऐसे अफसरों की शिकायत करनी शुरू कर दी है। इसलिए ऐसे अफसर भी हटाकर साइडलाइन किए जा सकते हैं।



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