यूपी चुनाव के बाद BJP ने किया कर्नाटक पर फोकस, EWS व OBC आरक्षण आंदोलन ने बढ़ाई चिंता


बेंगलुरु: पांच राज्यों में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा कर्नाटक में चुनावी लड़ाई की तैयारी में जुट गई है. इसके साथ ही जाति की राजनीति एक बार फिर मुद्दा बन रही है. विभिन्न जातियां आरक्षण की अपनी लड़ाई को पुनर्जीवित करने के लिए फिर से लामबंद हो रही हैं. इसके साथ ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टोन सेट होने लगा है.

ब्राह्मण समुदाय का एक धड़ा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) जो नियमित आरक्षण से चूक गए हैं, को 10% कोटा प्रदान को लेकर सरकार पर दबाव डालने के लिए मीसालथी होराता समिति (ईएमएचएस) का गठन किया है. गुजरात और तेलंगाना सहित 11 राज्यों ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद ईडब्ल्यूएस कोटा लागू कर दिया है. कर्नाटक में राजनीतिक कारणों से ईडब्ल्यूएस कोटा लागू नहीं कर सका है. ईएमएचएस इसे चुनावी मुद्दा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.

ईएचएमएस के अध्यक्ष डॉ शंकर गुहा द्वारकानाथ बेलूर का कहना है, ”सत्तारूढ़ दल ईडब्ल्यूएस समुदायों को यह सोचकर अनदेखा कर रहा है कि वे अन्य समुदायों के विपरीत जो जनसंख्या में ज्यादा हैं, कभी भी एक बड़ा वोटबैंक नहीं हो सकते हैं. अगर सरकार ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने में विफल रहती है तो विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, क्योंकि ईडब्ल्यूएस समुदाय के वोट कम से कम 50 निर्वाचन क्षेत्रों में निर्णायक हैं.”

कर्नाटक में केंद्र सरकार की नौ​करियों में ही ईडब्ल्यूएस कोटा
वर्तमान में, ईडब्ल्यूएस कोटा कर्नाटक में केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित है और इसे राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में भी विस्तारित करने की मांग की जा रही है. यदि इसे लागू किया जाता है, तो इससे राज्य में पांच समुदायों ब्राह्मण, वैश्य, जैन, मुदलियार और नायर को लाभ होगा.

कर्नाटक ब्राह्मण विकास बोर्ड के अध्यक्ष एचएस सच्चिदानंद मूर्ति ने कहा कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन कुमार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से मुलाकात करेगा और उनसे तत्काल ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने का आग्रह करेगा.

पंचमासली लिंगायतों के लिए ओबीसी आरक्षण की मांग
पंचमासली लिंगायतों के लिए 2ए श्रेणी के तहत ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन की अगुवाई कर रहे कुदलसंगम पचमसाली पीठ ने अपनी लड़ाई फिर से शुरू कर दी है और 22 मार्च को एक गोलमेज बैठक बुलाई है. कुदलसंगम पचमसाली पीठ ने प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सरकार से 30 मार्च से पहले पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करने और 14 अप्रैल को या उससे पहले पंचमसालियों के लिए 2A आरक्षण की घोषणा करने की मांग की गई है, वर्ना राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी गई है.

बैठक में भाजपा विधायक बसनगौड पाटिल यतनाल, अरविंद बेलाड, सिद्धू सावदी और कांग्रेस एमएलसी चन्नाराज हट्टीहोली शामिल हुए. मंत्री सीसी पाटिल और शंकर पाटिल मुनेनकोप्पा शामिल नहीं हुए. कुदलसंगम पचमसाली पीठ के पदाधिकारी बसव जया मृत्युंजय स्वामी ने कहा, “सरकार ने आरक्षण प्रदान करने के लिए पिछले साल समय सीमा तय की थी, जो 15 मार्च 2022 को समाप्त हो चुकी है. हम अब और इंतजार नहीं करना चाहते.”

भाजपा कर्नाटक में बना सकती है 4 उपमुख्यमंत्री
समाज के इन वर्गों द्वारा आंदोलन की चेतावनी ने भाजपा को परेशानी में डाल दिया है. भाजपा कथित तौर कैबिनेट में फेरबदल के रूप में 4 उपमुख्यमंत्रियों को नियुक्त करने की योजना बना रही है, और यतनाल को उनमें से एक माना जा रहा है. सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के राजनीतिक आरक्षण के मुद्दे को हल करने के लिए उच्चतम न्यायालय के फैसले उस फैसले के मद्देनजर प्रयास कर रही है, जिसमें कहा गया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण अनुभवजन्य आंकड़ों पर आधारित होना चाहिए. इस बीच, अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधियों ने आरक्षण को 2% से बढ़ाकर 7% करने के लिए अपना आंदोलन तेज कर दिया है.

Tags: Karnataka, OBC, Reservation



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