Akshay Kumar Exclusive: ‘मैं कहता हूं कि कोई एक ऐसा चैनल खोलो, ‘सॉल्यूशन चैनल’, मेरी बात मानिए, वह बहुत चलेगा’


बिना किसी फिल्मी पृष्ठभूमि के हिंदी सिनेमा में सफल होने वाले गिनती के सितारों में हैं अक्षय कुमार। अक्षय कुमार ने एक्शन फिल्मों से लेकर कॉमेडी और बायोपिक में अपनी काबिलियत साबित की है। वह कहते हैं कि फिल्मों में वह पैसा कमाने आए थे लेकिन लगातार काम करते रहने ने उनके भीतर बेहतर अभिनय की भूख पैदा की और इसी के चलते वह निर्माता बने। नायिकाओँ के नाम पर वह अब भी कुछ बोलते नहीं, बस चुप्पी साध जाते हैं। तीन दशक के सिनेमाई सफर में आए अहम पड़ावों, जीवन में सुख के मायनों और आने वाली फिल्म ‘पृथ्वीराज’ के बारे में अक्षय कुमार से ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने ये एक्सक्लूसिव बातचीत की।

पृथ्वीराज चौहान की जो प्रतिष्ठा रही है भारतीय इतिहास में, उसे देखते हुए जब पहली बार फिल्म ‘पृथ्वीराज’ की कहानी आपके पास आई तो आपके मस्तिष्क में पहली तस्वीर क्या घूमी होगी?

मैंने, आपने सम्राट पृथ्वीराज चौहान को उतना ही जाना है जितना स्कूल की किताबों में पढ़ाया जाता है। लेकिन उनकी वीरता और उनके शौर्य की असली कथा मुझे इस फिल्म के निर्देशक डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने ही बताई। शरण में आए हुए की रक्षा करना, शत्रु का भी सम्मान करना, स्त्री के अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिए समाज से लड़ जाना, ये वे गुण हैं जिनके बारे में मुझे वह धीरे धीरे बताते रहे। ये वीरता की एक बड़ी कहानी है। किसी भी ऐतिहासिक चरित्र की अलग अलग कहानियां होती हैं। कुछ न कुछ कहानियों में तो सच्चाई भी नहीं है।

जो चरित्र निभाने को मिले, उसके बारे में पहले से जानकारी होना एक अभिनेता के लिए जरूरी भी नहीं है, ऐसा किसी और फिल्म में भी हुआ?

हां, जैसे महाराणा पृथ्वीराज चौहान के बारे में मुझे आहिस्ता आहिस्ता पता चला वैसे ही फिल्म ‘एयरलिफ्ट’ में हुआ। और, वह घटना ऐसी है कि जिसके बारे में मीडिया के भी तमाम लोगों  नहीं पता था। जबकि ये ऐसा एक अभियान था जिसमें एक लाख 70 हजार लोगों को बचाकर वापस लाया गया। तो ‘पृथ्वीराज’ की कहानी भी मुझे आहिस्ता आहिस्ता पता चली और फिर मुझे लगा कि ये जो काम है, इसमें मजा आएगा।

मेरा सवाल था ‘पृथ्वीराज’ की कोई खास तस्वीर आपके जेहन में थी क्या जब ये फिल्म बनने की बात सामने आई?

सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तस्वीर तो वही है जो हम सबने इतिहास की किताबों में देखी है। मुझे भी वही याद आई। मैंने तभी फिल्म के निर्देशक से कहा कि हमने इतिहास की किताबों में जो देखा, उस कद काठी से मेरा साम्य नहीं है। तब उन्होंने बताया कि उनके शोध के मुताबिक ये चरित्र एक कसरती, व्यायामी पुरुष का है। मैं देखता हूं कि कई लोग बात करते हैं। मुझे भी बताते हैं कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जो हमने तस्वीर देखी है, वैसे तो आप नहीं लगते हो। लेकिन, सच ये भी है कि उनका असली फोटो तो किसी के पास नहीं है।

11 साल का एक किशोर गुजरात से आकर अजमेर का राजा बन गया, उसमें ऐसा कुछ आकर्षण तो जरूर होगा जिसका साम्य डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने अक्षय कुमार में देखा होगा?

इसके लिए मैं डॉक्टर साहब को ही श्रेय देना चाहूंगा। 18 साल तक वह इस किरदार को सीने से लगाए रहे हैं। उन्होंने इस पर जितना शोध किया है, उसके अनुसार ही उन्होंने मुझे चुना होगा। फिल्म के निर्माता आदित्य चोपड़ा ने उनके इस शोध पर विश्वास करके ही इसमें पैसे लगाए होंगे। तो एक बार जब तय हो गया कि ये करना है तो फिर सारी मेहनत उन्हीं की रही। मैं तो बस उनके इशारे पर काम करता गया।



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