अमर उजाला ग्राउंड रिपोर्ट: नस-नस में बस नशा, रिश्ते आने भी बंद… बहू-बेटियां भी आईं नशे की गिरफ्त में


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हरियाणा के सिरसा के गांव शाहपुर बेगू की नस नस में धीरे-धीरे नशा बस रहा है। स्थिति खराब है और गांव के प्रत्येक परिवार तक नशे की आंच पहुंचने लगी है। जो नशा करते हैं, वह मजबूर हैं लेकिन अब बेचने वालों की स्थिति भी ठीक नजर नहीं आ रही। नशा बेचने से इंकार करने वालों को भी धमकियां मिलती हैं। 

गांव में नशा इस प्रकार हावी है कि अब यहां के लड़कों की शादी के लिए रिश्ते आने भी बंद हो गए हैं। गांव की लड़कियां और बहुएं भी नशे की चपेट में है। ऐसे में अब ग्रामीणों गांव में किसी भी अनजान संदिग्ध व्यक्ति को देखते ही उसे घेर लेते हैं और गांव के लोग मार पिटाई तक उतारू हो जाते हैं। संवाददाताओं ने गुरुवार को करीब साढ़े तीन घंटे तक गांव का दौरा कर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की।

नशा के खिलाफ अभियान और प्रयासों के बावजूद स्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही है। ऐसे में गांव शाहपुर के ग्रामीण दो दिन पहले पुलिस अधीक्षक कार्यालय आए। इस दौरान प्रशासन और पुलिस के खिलाफ जमकर भड़ास भी निकाली। इतना ही नहीं, अब एक-दो दिन के भीतर एक बार फिर ग्रामीण एकत्र होकर लघु सचिवालय आएंगे और प्रशासन का घेराव करेंगे। साथ ही मीडिया को भी गांव की स्थिति से अवगत करवाएंगे। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। गांव के मौजिज लोगों ने मंथन के बाद फैसला ले लिया है।
  
यह रही स्थिति

  • सुबह करीब 8:30 बजे : गांव के स्कूल के आसपास संदिग्ध युवक खड़े नजर आए। सूचना मिली कि यहां स्कूल के सामने नशा बिकता है, लेकिन किसी ग्रामीण ने नाम बताने से इंकार कर दिया।
  • सुबह करीब 9 बजे : गांव के मुख्य हनुमान मंदिर के साथ वाली गली में प्रवेश किया तो यहां कुछ ग्रामीण एकत्र हुए थे। झगड़ा चल रहा था। एक घर में अवैध शराब बेचने का ग्रामीण विरोध कर रहे थे। ये झगड़ा करीब एक घंटे तक चला और कैमरा निकलते ही सभी ग्रामीण इधर उधर बिखर गए।
  • करीब 10 बजे : गांव की गलियों का चक्कर लगाया तो ग्रामीणों ने अनजान व्यक्ति को देखते ही घेर लिया और पहचान बताने पर ही शांत हुए, अन्यथा स्थिति मार पिटाई तक पहुंचने की आशंका थी।
  • करीब साढ़े 10 बजे: गांव में मीडिया की टीम पहुंचने की सूचना पर पुरुष सामने नहीं आए, लेकिन गांव की महिलाएं एकत्र होकर आ गई और गांव में फैल रहे नशा की कहानी खुलकर सामने रखी। करीब दो घंटे तक महिलाओं से हुई बातचीत के दौरान गांव के कई चौंकाने वाले राज खुलकर सामने आए।

 
घरों में बिकती है शराब, मेडिकल नशा किया जाता है मिक्स
गांव की महिलाओं ने बताया कि गांव पूरी तरह नशे की चपेट में है। यहां घरों में अवैध शराब बिकती है। इतना ही नहीं शराब में मेडिकल नशा भी मिक्स किया जाता है ताकि शराब में नशा की मात्रा बढ़ाई जा सके। ग्रामीणों के विरोध पर यदि कोई व्यक्ति नशा बेचने का काम बंद भी करता है तो उसे शराब के ठेकेदारों द्वारा धमकियां मिलनी शुरू हो जाती है। इतना ही नहीं यदि किसी आरोपी को पुलिस के हवाले कर भी दिया जाए तो वह तुरंत छूटकर आ जाता है और गांव में दबंगई भी करता है। महिलाओं की मानें तो अब गांव के युवकों के रिश्ते भी आने बंद हो गए हैं और शादी नहीं हो रही। गांव में युवतियों से छेड़छाड़ की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। ग्रामीण बताते हैं कि लोन देने वाली कंपनियों ने इस गांव को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है और मोबाइल, वाशिंग मशीन सहित अन्य सामान खरीदने के लिए लोन की अनुमति देने से भी इंकार कर देते हैं। महिलाएं बताती है कि यदि किसी आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया जाए तो वह शाम तक ही छूटकर आ जाता है और धमकियां देता है।
 
बहु करती है चिट्टे का नशा, दिव्यांग पैदा हुआ बच्चा  
बातचीत के दौरान एक दर्दनाक किस्सा सामने आया है। गांव के एक युवक की शादी के बाद पता चला कि नई बहु चिट्टे का नशा करती है। जब शादी के बाद बच्चा हुआ तो इसका असर उस पर भी नजर आया। बच्चा जन्म से ही दिव्यांग पैदा हुआ। इसके अलावा गांव की कई युवतियां भी नशे की चपेट में बताई जा रही हैं। गांव के एक युवक मंगत राम ने नशा मुक्ति के लिए अभियान चलाया, लेकिन उसे धमकियां मिलनी शुरू हो गई। एक बार तो रात के समय घर भी नहीं आ पाया और ड्यूटी के बाद मिल्क प्लांट में ही सोना पड़ा। इसी प्रकार एक अन्य युवक सर्वजीत ने भी गांव में नशामुक्ति के लिए वर्ष 2015 में अभियान चलाया, लेकिन धमकियां मिलने के बाद एक बार अभियान रोकना पड़ा।

विस्तार

हरियाणा के सिरसा के गांव शाहपुर बेगू की नस नस में धीरे-धीरे नशा बस रहा है। स्थिति खराब है और गांव के प्रत्येक परिवार तक नशे की आंच पहुंचने लगी है। जो नशा करते हैं, वह मजबूर हैं लेकिन अब बेचने वालों की स्थिति भी ठीक नजर नहीं आ रही। नशा बेचने से इंकार करने वालों को भी धमकियां मिलती हैं। 

गांव में नशा इस प्रकार हावी है कि अब यहां के लड़कों की शादी के लिए रिश्ते आने भी बंद हो गए हैं। गांव की लड़कियां और बहुएं भी नशे की चपेट में है। ऐसे में अब ग्रामीणों गांव में किसी भी अनजान संदिग्ध व्यक्ति को देखते ही उसे घेर लेते हैं और गांव के लोग मार पिटाई तक उतारू हो जाते हैं। संवाददाताओं ने गुरुवार को करीब साढ़े तीन घंटे तक गांव का दौरा कर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की।

नशा के खिलाफ अभियान और प्रयासों के बावजूद स्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही है। ऐसे में गांव शाहपुर के ग्रामीण दो दिन पहले पुलिस अधीक्षक कार्यालय आए। इस दौरान प्रशासन और पुलिस के खिलाफ जमकर भड़ास भी निकाली। इतना ही नहीं, अब एक-दो दिन के भीतर एक बार फिर ग्रामीण एकत्र होकर लघु सचिवालय आएंगे और प्रशासन का घेराव करेंगे। साथ ही मीडिया को भी गांव की स्थिति से अवगत करवाएंगे। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। गांव के मौजिज लोगों ने मंथन के बाद फैसला ले लिया है।

  

यह रही स्थिति

  • सुबह करीब 8:30 बजे : गांव के स्कूल के आसपास संदिग्ध युवक खड़े नजर आए। सूचना मिली कि यहां स्कूल के सामने नशा बिकता है, लेकिन किसी ग्रामीण ने नाम बताने से इंकार कर दिया।
  • सुबह करीब 9 बजे : गांव के मुख्य हनुमान मंदिर के साथ वाली गली में प्रवेश किया तो यहां कुछ ग्रामीण एकत्र हुए थे। झगड़ा चल रहा था। एक घर में अवैध शराब बेचने का ग्रामीण विरोध कर रहे थे। ये झगड़ा करीब एक घंटे तक चला और कैमरा निकलते ही सभी ग्रामीण इधर उधर बिखर गए।
  • करीब 10 बजे : गांव की गलियों का चक्कर लगाया तो ग्रामीणों ने अनजान व्यक्ति को देखते ही घेर लिया और पहचान बताने पर ही शांत हुए, अन्यथा स्थिति मार पिटाई तक पहुंचने की आशंका थी।
  • करीब साढ़े 10 बजे: गांव में मीडिया की टीम पहुंचने की सूचना पर पुरुष सामने नहीं आए, लेकिन गांव की महिलाएं एकत्र होकर आ गई और गांव में फैल रहे नशा की कहानी खुलकर सामने रखी। करीब दो घंटे तक महिलाओं से हुई बातचीत के दौरान गांव के कई चौंकाने वाले राज खुलकर सामने आए।

 

घरों में बिकती है शराब, मेडिकल नशा किया जाता है मिक्स

गांव की महिलाओं ने बताया कि गांव पूरी तरह नशे की चपेट में है। यहां घरों में अवैध शराब बिकती है। इतना ही नहीं शराब में मेडिकल नशा भी मिक्स किया जाता है ताकि शराब में नशा की मात्रा बढ़ाई जा सके। ग्रामीणों के विरोध पर यदि कोई व्यक्ति नशा बेचने का काम बंद भी करता है तो उसे शराब के ठेकेदारों द्वारा धमकियां मिलनी शुरू हो जाती है। इतना ही नहीं यदि किसी आरोपी को पुलिस के हवाले कर भी दिया जाए तो वह तुरंत छूटकर आ जाता है और गांव में दबंगई भी करता है। महिलाओं की मानें तो अब गांव के युवकों के रिश्ते भी आने बंद हो गए हैं और शादी नहीं हो रही। गांव में युवतियों से छेड़छाड़ की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। ग्रामीण बताते हैं कि लोन देने वाली कंपनियों ने इस गांव को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है और मोबाइल, वाशिंग मशीन सहित अन्य सामान खरीदने के लिए लोन की अनुमति देने से भी इंकार कर देते हैं। महिलाएं बताती है कि यदि किसी आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया जाए तो वह शाम तक ही छूटकर आ जाता है और धमकियां देता है।

 

बहु करती है चिट्टे का नशा, दिव्यांग पैदा हुआ बच्चा  

बातचीत के दौरान एक दर्दनाक किस्सा सामने आया है। गांव के एक युवक की शादी के बाद पता चला कि नई बहु चिट्टे का नशा करती है। जब शादी के बाद बच्चा हुआ तो इसका असर उस पर भी नजर आया। बच्चा जन्म से ही दिव्यांग पैदा हुआ। इसके अलावा गांव की कई युवतियां भी नशे की चपेट में बताई जा रही हैं। गांव के एक युवक मंगत राम ने नशा मुक्ति के लिए अभियान चलाया, लेकिन उसे धमकियां मिलनी शुरू हो गई। एक बार तो रात के समय घर भी नहीं आ पाया और ड्यूटी के बाद मिल्क प्लांट में ही सोना पड़ा। इसी प्रकार एक अन्य युवक सर्वजीत ने भी गांव में नशामुक्ति के लिए वर्ष 2015 में अभियान चलाया, लेकिन धमकियां मिलने के बाद एक बार अभियान रोकना पड़ा।

नशे के दर्द से तड़प रहे ग्रामीणों ने बयां किए अपने हालात

दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पालण पोषण करती हूं। पति भी दिहाड़ी करता है, लेकिन मेरे किस काम की। क्योंकि वह तो अपनी कमाई अपने पर खर्च करता है। मुझे कभी दिहाड़ी मिलती है तो कभी नहीं। फिर भी में अपनी बेटी व बेटे का पेट भरकर यह उम्मीद लगाए बैठी हूं कि कम से कम नशे से दूर रहे तो मेरे बुढ़ापे का सहारा तो बने। – रानी देवी

गांव में हालात ऐसे हो चुके है कि अब तो यहां रहना भी मुश्किल हो रहा है। जाएं भी तो कहां? गांव हमारी जन्म भूमि जिसका जुड़ाव गांव से दूर ही नहीं होने देता। हमारे बच्चों का भविष्य हमें सता रहा है। जीवन में कभी सोचा नहीं था की एक दिन ऐसा भी आएगा। एक समय था जब हमारे गांव से लोग डरते थे आज हम खुद अपनों से ही डर रहे हैं। – जगसीर

पहले गांव के एक युवा ने नशे के खिलाफ आवाज उठाई थी। जिसके बाद मैने भी दो साल पहले यह बीड़ा उठाया, लेकिन गांव के रसूखदारों लोगों यह रास नहीं आया। अपने बच्चों का भविष्य देखते मैंने फिर भी  इस बुराई के खिलाफ आवाज उठाई है। लेकिन अब मुझे नशा सौदागरों से धमकी मिल रही है। बुधवार को मुझे इस संबंध में चेतावनी दे गई, जिसके बाद परिवार वालों की सहमति से में रात भर मिल्क प्लांट में सोकर समय बीताया किया, क्योंकि मैं वहां का कर्मचारी हूं, इसलिए मेरे लिए वह जगह सुरक्षित लगी। – मंगतराम

जनाब, गांव के हालात का मत पूछो, दिन में भी घरों के गेट बंद रखते हैं। घर में जवान बेटी जो है। एक समय था जब शाम के समय घर से बाहर घूमने के लिए निकल जाते थे, लेकिन अब तो दूसरे गांव वाले हमारे गांव में अपनी बेटी का रिश्ता करने से भी कतरा रहे हैं। यहां तक की अन्य निजी स्कूल वाले हमारे बच्चों को दाखिला भी नहीं दे रहे। – महेंद्र कौर

सूचना मिलने पर करते हैं कार्रवाई : पुलिस अधीक्षक

हमारा प्रयास रहता है कि नशा तस्करों पर कार्रवाई की जाए। कई बार झूठी सूचना आ जाती है। इसलिए कार्रवाई करने से पहले पुलिस अपने स्तर पर जांच करती है। फिर भी यदि कोई पुलिस कर्मचारी ड्यूटी में लापरवाही करेगा तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। – डॉ. अर्पित जैन, पुलिस अधीक्षक।



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