नई दिल्ली. अमेरिका की अगुआई में कई पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बीच वह भारत का सबसे बड़ा डीएपी खाद आपूर्तिकर्ता बन गया है. भारत ने रूस से अप्रैल-जुलाई के बीच 3.5 लाख टन डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद आयात खरीदने का करार किया है. यह आयात ऑर्डर इंडियन पोटास लिमिटेड, राष्ट्रीय कैमिकल फर्टिलाइजर्स, चंबल फर्टिलाइजर्स और कृषक भारती कोऑपरेटिव को मिला है.
इन कंपनियों को यह ऑर्डर 920-925 डॉलर प्रति टन की कीमत पर मिला है. इसमें माल पहुंचाने का भाड़ा भी शामिल है. गौरतलब है कि किसी अन्य देश को इतनी कम कीमत पर डीएपी खाद नहीं मिला है. बांग्लादेश ने करीब 8 लाख टन खाद के लिए 1,020-1,030 डॉलर प्रति टन की कीमत वार्षिक टेंडर दिया है. इंडोनेशिया और थाइलैंड ने क्रमश: 992 व 1000 डॉलर प्रति टन पर करार किया है. वहीं, पाकिस्तान 1,030 डॉलर प्रति टन पर भी अब तक डील फाइनल नहीं कर पाया है. इसका एक बड़ा कारण पाकिस्तान रुपये के मूल्य में डॉलर के मुकाबले बहुत अधिक गिरावट को समझा जा रहा है.
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अन्य निर्यात देशों पर बनेगा दबाव
रूस द्वारा रियायती दर पर डीएपी खाद की सप्लाई किए जाने से इसके अन्य सप्लायर देशों पर दबाव बनेगा. इसमें मोरोक्को का ओसीपी ग्रुप, चीन का वाईयूसी, सऊदी अरब का माडेन और साबिक शामिल है. संभव है कि मार्केट शेयर बनाए रखने के लिए इन्हें भी दामों में कटौती करनी पड़े.
भारत का कुल आयात
देश में अप्रैल से जुलाई के बीच कुल 9.5-9.6 लाख टन डीएपी खाद का आयात होने की संभावना है. इसमें से सर्वाधिक खाद रूस से आ रही है. जबकि सऊदी से 2.8 लाख टन, वाईयूसी से 1.27 लाख टन और ओसीपी से 1.03 लाख टन खाद आ रही है. भारत ने पिछले वित्त वर्ष में कुल 58.60 लाख टन डीएपी खाद का आयात किया था. इसमें से सर्वाधिक आयात (20.43 लाख टन) चीन से हुआ था. इसके बाद सऊदी अरब (19.33 लाख टन) और मोरोक्को (12.12 लाख टन) थे. इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि भारत द्वारा आयात द्वारा आपूर्ति स्रोतों को विस्तार देना एक समझदारी वाला कदम है. देश ने पहले यूरिया के मामले में ऐसा किया और पहली बार अमेरिका से 47,000 टन यूरिया मंगवाया. यही चीज डीएपी के साथ भी की जा रही है.
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खेती पर क्या होगा इसका असर
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का मानना है कि रियायती दर वाला आयात बिलकुल सही समय पर आया है क्योंकि खरीफ सीजन के लिए बुआई शुरू हो चुकी है और जुलाई तक अपने चरम पर होगी. गौरतलब है कि इससे खाद की कमी की समस्या तो दूर होगी ही किसानों को भी सस्ते दाम पर खाद मिल पाएगी जिससे उनके खर्च में कमी आ सकती है.
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FIRST PUBLISHED : June 30, 2022, 09:58 IST