एनालिसिस: मयंक अग्रवाल और शिखर धवन की धीमी बल्लेबाजी का खामियाजा पंजाब ने भुगता, रबाडा के एक ओवर में पलटा मैच


सार

वानखेड़े स्टेडियम में 190 से 200 रन के लक्ष्य को विपक्षी टीम आसानी से हासिल कर लेती है। यहां पंजाब को कम से कम 210 रन बनाने चाहिए थे, लेकिन टीम 20 ओवर में पांच विकेट पर 189 रन ही बना सकी। राजस्थान ने 19.4 ओवर में चार विकेट पर 190 रन बनाकर मैच अपने नाम कर लिया।

ख़बर सुनें

पंजाब किंग्स के लिए यह आईपीएल एक मैच में हार और एक मैच जीत की तरह रहा है। टीम सीजन में 11 मैच खेल चुकी है, लेकिन अब तक एक बार भी लगातार दो मुकाबलों में नहीं जीती है। हां, उसे लगातार दो मैचों में हार जरूर मिली है। गुजरात टाइटंस जैसी मजबूत टीम को पिछले मुकाबले में हराने वाली पंजाब की टीम राजस्थान के खिलाफ ढेर हो गई। इसका असर अंक तालिका में भी देखने को मिला। टीम 11 मैचों में पांच जीत के साथ सातवें स्थान पर है। इस हार के बाद प्लेऑफ में पहुंचने की उसकी उम्मीदों को झटका लगा है।

पंजाब को कप्तान शिखर धवन और मयंक अग्रवाल की धीमी पारियों का खामियाजा भुगतना पड़ा। फॉर्म में चल रहे धवन ने 16 गेंदों पर सिर्फ 12 रन बनाए। उनका स्ट्राइक रेट 75 का रहा। वहीं, कप्तान मयंक अग्रवाल 13 गेंद पर 15 रन ही बना सके। उनका स्ट्राइक रेट 115.38 का ही रहा। पंजाब के सिर्फ इनदोनों बल्लेबाजों ने 140 से कम के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। इस कारण टीम अपने स्कोर में 15-20 रन और नहीं जोड़ सकी। वानखेड़े स्टेडियम में 190 से 200 रन के लक्ष्य को विपक्षी टीम आसानी से हासिल कर लेती है। यहां पंजाब को कम से कम 210 रन बनाने चाहिए थे, लेकिन टीम 20 ओवर में पांच विकेट पर 189 रन ही बना सकी। राजस्थान ने 19.4 ओवर में चार विकेट पर 190 रन बनाकर मैच अपने नाम कर लिया।

राजस्थान की शानदार वापसी
दूसरी ओर, राजस्थान रॉयल्स ने लगातार दो हार के बाद शानदार वापसी की। पिछले दो मैचों में उसे मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। राजस्थान के अब 11 मैचों में 14 अंक हो गए और प्लेऑफ में पहुंचने की उसकी संभावनाएं मजबूत हो गई हैं। टीम को बाकी बचे तीन मैचों में सिर्फ एक जीत भी मिल जाती है तो वह प्लेऑफ में पहुंच सकती है।
मैच का टर्निंग पॉइंट
राजस्थान की पारी के 18वें ओवर में मैच पलट गया। यहां तक पंजाब किंग्स मुकाबले में बनी हुई थी, लेकिन कगिसो रबाडा के ओवर में 18 रन बनने के बाद राजस्थान के पक्ष में मैच झुक गया। रबाडा के ओवर में देवदत्त पडिक्कल ने दो चौके लगाए। वहीं, शिमरॉन हेटमायर ने एक छक्का लगाया। इस ओवर से पहले राजस्थान को 18 गेंद पर जीत के लिए 29 रन बनाने थे। वहीं, रबाडा के ओवर के बाद समीकरण 12 गेंद पर 11 रन का हो गया। अर्शदीप ने 19वें ओवर में तीन रन ही दिए, लेकिन यह काफी नहीं था। राजस्थान ने आखिरी ओवर में राहुल चाहर की गेंद पर आठ रन बनाकर मैच अपने नाम कर लिया।
दोनों कप्तानों का प्रदर्शन कैसा रहा?
दोनों टीमों के कप्तान बल्लेबाजी में कुछ खास नहीं कर पाए। मयंक अग्रवाल ने 13 गेंद पर 15 रन बनाए तो संजू सैमसन ने 12 गेंदों पर 23 रन की पारी खेली। संजू का स्ट्राइक रेट बेहतर था, लेकिन अच्छी शुरुआत को वो बड़ी पारी में बदल नहीं पाए। हां, फील्डिंग के दौरान उन्होंने बेहतर कप्तानी की। पंजाब की टीम एक समय बड़े स्कोर की ओर बढ़ रही थी, लेकिन उन्होंने चतुराई से गेंदबाजों को रोटेट किया और विपक्षी टीम को बांधे रखा।
पंजाब किंग्स के लिए मैच में क्या-क्या हुआ?
सकारात्मक पक्ष:
जॉनी बेयरस्टो की वापसी आखिरकार हो गई। लगातार फ्लॉप होने के बावजूद उन्हें टीम में बनाए रखा। यहां तक कि कप्तान मयंक अग्रवाल ने उनके लिए ओपनिंग छोड़ दी। बेयरस्टो ने 40 गेंद पर 56 रन बनाए। भानुका राजपक्षे, जितेश शर्मा और लियाम लिविंगस्टोन ने तेजी से उपयोगी रन बनाए। गेंदबाजी में अर्शदीप सिंह ने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने चार ओवर में 29 रन देकर दो विकेट झटके।

नकारात्मक पक्ष: शिखर धवन और मयंक अग्रवाल का बल्ला खामोश रहा। गेंदबाजी में संदीप शर्मा और कगिसो रबाडा की जोड़ी एक बार फिर से महंगी साबित हुई। दोनों ने 10 से ज्यादा की इकोनॉमी रेट से रन लुटाए। राहुल चाहर भी इस मैच में फ्लॉप रहे और 3.4 ओवर में 39 रन दे दिए। ऋषि धवन ने जरूर एक विकेट लिया, लेकिन उन्होंने तीन ओवर में 25 रन दिए।

राजस्थान के लिए मैच में क्या-क्या हुआ?
सकारात्मक पक्ष:
गेंदबाजी में रविचंद्रन अश्विन और युजवेंद्र चहल की जोड़ी ने कमाल किया। दोनों ने विपक्षी टीम को बांधे रखा। अश्विन ने चार ओवर में 32 रन दिए और एक विकेट अपने नाम किया। चहल ने चार ओवर में 28 रन देकर तीन विकेट लिए। बल्लेबाजी में युवा यशस्वी जायसवाल ने शानदार वापसी की। उन्होंने 41 गेंद पर 68 रन बना दिए। जायसवाल के बल्ले से नौ चौके और दो छक्के निकले। जोस बटलर ने 16 गेंद पर 30 रन बनाए। देवदत्त पडिक्कल और शिमरॉन हेटमायर ने टीम को जीत के करीब पहुंचाया। पडिक्कल ने 32 गेंद पर 31 और हेटमायर ने 16 गेंद पर 31 रन बनाए। दोनों ने अंतिम ओवरों में 27 गेंद पर 41 रनों की साझेदारी की। पडिक्कल ने एक तरफ से विकेट को संभाले रखा तो दूसरी ओर हेटमायर ने तेजी से रन बनाए।

नकारात्मक पक्ष: गेंदबाजी में तीनों तेज गेंदबाज महंगे साबित हुए। ट्रेंट बोल्ट ने चार ओवर में 36, प्रसिद्ध कृष्णा ने चार ओवर में 48 और कुलदीप सेन ने चार ओवर में 42 रन दे दिए। कृष्णा को एक सफलता मिली। बल्लेबाजी में संजू सैमसन फिर से अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में नहीं बदल सके। टूर्नामेंट अब आखिरी पड़ाव पर है। राजस्थान को अगर चैंपियन बनना है तो सैमसन के बल्ले का चलना जरूरी है।

विस्तार

पंजाब किंग्स के लिए यह आईपीएल एक मैच में हार और एक मैच जीत की तरह रहा है। टीम सीजन में 11 मैच खेल चुकी है, लेकिन अब तक एक बार भी लगातार दो मुकाबलों में नहीं जीती है। हां, उसे लगातार दो मैचों में हार जरूर मिली है। गुजरात टाइटंस जैसी मजबूत टीम को पिछले मुकाबले में हराने वाली पंजाब की टीम राजस्थान के खिलाफ ढेर हो गई। इसका असर अंक तालिका में भी देखने को मिला। टीम 11 मैचों में पांच जीत के साथ सातवें स्थान पर है। इस हार के बाद प्लेऑफ में पहुंचने की उसकी उम्मीदों को झटका लगा है।

पंजाब को कप्तान शिखर धवन और मयंक अग्रवाल की धीमी पारियों का खामियाजा भुगतना पड़ा। फॉर्म में चल रहे धवन ने 16 गेंदों पर सिर्फ 12 रन बनाए। उनका स्ट्राइक रेट 75 का रहा। वहीं, कप्तान मयंक अग्रवाल 13 गेंद पर 15 रन ही बना सके। उनका स्ट्राइक रेट 115.38 का ही रहा। पंजाब के सिर्फ इनदोनों बल्लेबाजों ने 140 से कम के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। इस कारण टीम अपने स्कोर में 15-20 रन और नहीं जोड़ सकी। वानखेड़े स्टेडियम में 190 से 200 रन के लक्ष्य को विपक्षी टीम आसानी से हासिल कर लेती है। यहां पंजाब को कम से कम 210 रन बनाने चाहिए थे, लेकिन टीम 20 ओवर में पांच विकेट पर 189 रन ही बना सकी। राजस्थान ने 19.4 ओवर में चार विकेट पर 190 रन बनाकर मैच अपने नाम कर लिया।

राजस्थान की शानदार वापसी

दूसरी ओर, राजस्थान रॉयल्स ने लगातार दो हार के बाद शानदार वापसी की। पिछले दो मैचों में उसे मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। राजस्थान के अब 11 मैचों में 14 अंक हो गए और प्लेऑफ में पहुंचने की उसकी संभावनाएं मजबूत हो गई हैं। टीम को बाकी बचे तीन मैचों में सिर्फ एक जीत भी मिल जाती है तो वह प्लेऑफ में पहुंच सकती है।



Source link

Enable Notifications OK No thanks