हाइलाइट्स
राहुल द्रविड़ ने अभिनव बिंद्रा के पॉडकास्ट पर अपने से जुड़ा अनसुना किस्सा सुनाया
कैसे स्कूल क्रिकेट में पहला शतक लगाने के बाद द्रविड़ के नाम को लेकर हुई गलफत?
बिंद्रा के ओलंपिक गोल्ड ने द्रविड़ को अपने करियर को पटरी पर लाने के लिए प्रेरित किया
नई दिल्ली. टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ हाल ही में ओलंपिक चैंपियन अभिनव बिंद्रा के पॉडकास्ट ‘इन द जोन’ में मेहमान बनकर आए थे. इसमें उन्होंने अपने स्कूल क्रिकेट से जुड़ा एक अनसुना किस्सा साझा किया. यह किस्सा उनके स्कूल क्रिकेट में पहले शतक से जुड़ा है. इसके बाद उनका गलत नाम अखबार में छपा था. न्यूज पेपर में उनका सरनेम द्रविड़ की जगह डेविड लिखा था. ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट शूटर बिंद्रा ने इस पर अगला सवाल पूछ लिया, तो द्रविड़ ने मजेदार जवाब दिया. उन्होंने कहा, “शायद अखबार के संपादक ने सोचा होगा कि यह स्पेलिंग मिस्टेक है और द्रविड़ नाम नहीं हो सकता, इसलिए डेविड लिख दिया गया होगा.”
राहुल द्रविड़ ने आगे कहा, “मुझे लगता है कि यह मेरे लिए यह अच्छा सबक था, यह महसूस करने के लिए मैं भले ही स्कूल क्रिकेट में सेंचुरी जड़ने को लेकर काफी उत्साहित और खुश था. लेकिन, अभी भी मुझे लोग अच्छे से नहीं जानते थे. उन्हें तो मेरा नाम तक ठीक से पता नहीं. वे मेरे नाम के सही होने तक पर भरोसा भी नहीं कर सकते हैं और इसलिए इसे बदल दिया.”
Rahul ‘David’ recounts a crucial lesson he learnt after scoring his 1st century in school cricket. Tune in to my podcast ‘In the Zone’ to dissect the mind of THE gentleman from the gentleman’s game.@under25universe https://t.co/A9iUknxEMu #InTheZoneWithAB #Under25Original pic.twitter.com/v2CAvNAPRB
— Abhinav A. Bindra OLY (@Abhinav_Bindra) July 25, 2022
अभिनव के ओलंपिक गोल्ड से प्रेरित हुए थे द्रविड़
कुछ साल पहले, द्रविड़ ने यह बताया था कि कैसे उन्हें अभिनव बिंद्रा के बीजिंग ओलंपिक के गोल्ड ने बेपटरी हुए करियर को दोबारा रास्ते पर लाने के लिए प्रेरित किया था.
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तब द्रविड़ ने कहा था, “2008 में अपने करियर के बुरे दौर से गुजर रहा था. मेरे बल्ले से रन नहीं निकल रहे थे और उम्र भी बढ़ी जा रही थी और भारतीय क्रिकेट में अगर आप ऐसे फंसे हों तो यह अच्छा नहीं रहता है. मुझे पता था कि मेरे भीतर अभी भी कुछ साल का क्रिकेट बाकी है. उसी दौरान मैंने अभिनव बिंद्रा को बीजिंग में ओलंपिक गोल्ड जीतते देखा. मुझे आज भी याद है कि अभिनव के गोल्ड जीतने के बाद मैंने जो उत्साह और जोश महसूस किया था. इसके बाद मैंने अभिनव की ऑटोबायोग्राफी पढ़ी. मुझे लगता है जो शख्स एक्सीलेंस की तलाश में है, उसे अभिनव की यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए. तब अभिनव की इस स्वर्णिम सफलता ने मुझे अपने करियर को दोबारा पटरी पर लाने की आखिरी कोशिश करने के लिए प्रेरित किया. अभिनव ने भी बिना शॉर्ट-कट अपनाए, बिना बहाने बनाए यहां तक का सफर तय किया था और मुझे लगता है कि हमें भी इस सोच को अपनाना चाहिए.”
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Tags: Abhinav bindra, Olympics, Rahul Dravid
FIRST PUBLISHED : July 26, 2022, 09:22 IST