अप्रैल आते ही तेजी से फैल रहीं पेट की बीमारियां, डॉक्‍टर बोले, ऐसे करें बचाव


नई दिल्‍ली. भारत में कोरोना का कहर थम गया है. देश में रोजाना एक हजार से भी कम कोरोना के मरीज सामने आ रहे हैं लेकिन इस राहत के बाद अप्रैल का महीना आते ही कुछ अन्‍य बीमारियों ने पैर पसारना शुरू कर दिया है. गर्मी का मौसम शुरू होते ही न केवल बच्‍चे बल्कि बड़े लोगों को भी पेट की बीमारियां अपनी चपेट में ले रही हैं. दिल्‍ली ही नहीं बल्कि छोटे-बड़े सभी प्रकार के शहरों के अस्‍पतालों में इस दौरान ओपीडी में भी पेट की तकलीफों से जूझ रहे मरीजों की संख्‍या बढ़ गई है. इस समय गेस्ट्रोइंट्रोटाइटिस, डायरिया, उल्‍टी, दस्‍त, पेट में दर्द, बुखार, शरीर में पानी की कमी के मरीज सबसे ज्‍यादा अस्‍पतालों में पहुंच रहे हैं.

पेट की बीमारियों के मरीजों को लेकर स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार अस्‍पतालों में बच्‍चों के अलावा बड़े भी पेट खराब की शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं. वैसे तो हर साल ही गर्मी ज्‍यादा पड़ने और दूषित पानी के इस्‍तेमाल के चलते डायरिया या उल्‍टी दस्‍त की बीमारी फैलती है लेकिन इस बार अप्रैल की शुरुआत से ही बड़ी संख्‍या में मरीज सामने आ रहे हैं. इनके अलावा गेस्ट्रोइंट्रोटाइटिस एक बड़ी वजह बनकर सामने आ रही है.

दिल्‍ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल के निदेशक डॉ. बीएल शेरवाल कहते हैं कि अप्रैल के महीने से डायरिया, गैस्‍ट्रो, उल्‍टी दस्‍त के मरीजों का आना शुरू हो जाता है. वहीं रोटावायरस के भी मरीज आते हैं, हालांकि ये पांच साल से कम उम्र के बच्‍चों में ही होता है. आमतौर पर रोटावायरस की जांच कराने की जरूरत नहीं होती, लक्षणों के आधार पर मरीजों का इलाज होता है. इस बार भी आरएमएल की ओपीडी और इमरजेंसी में पेट के सभी आयु वर्ग के मरीज आ रहे हैं.

आगरा स्थित सरोजनि नायडू मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक्‍स विभाग के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. राजेश्‍वर दयाल कहते हैं कि गर्मी और दूषित पानी या खानपान की गड़बड़ी के चलते हर साल डायरिया, उल्‍टी, दस्‍त और बुखार फैलता है. इस बार भी यही हाल है. जैसे ही तापमान बढ़ने लगा है, 5 साल से कम उम्र के बच्‍चे काफी संख्‍या में अस्‍पताल में इलाज के लिए आ रहे हैं. जहां तक रोटावायरस की बात है तो इसका इलाज और बच्‍चों में सामान्‍य रूप से पाए जाने वाले वायरल संक्रमण का इलाज लगभग एक जैसा ही होता है.

ये हैं बीमारियों के कारण
वहीं जनरल फिजिशियन डॉ. जीशान मलिक कहते हैं कि इस बार पेट की खराबी की समस्‍या बड़ों में देखी जा रही है. ज्‍यादातर मरीज 18 साल से ऊपर के आ रहे हैं. इन लोगों को अंदाजा भी नहीं है कि आखिर पेट में गड़बड़ कैसे हुई. पेट में अचानक तेज दर्द, खाना नहीं पचना, भूख न लगना, उल्‍टी इसके साथ दस्‍त होने की बीमारी इस समय ज्‍यादा चल रही है. जबकि अप्रैल की शुरुआत में मई-जून जैसी गर्मी भी नहीं है.

डॉ. कहते हैं कि अभी तक दूषित या संक्रमित पानी पीने की वजह से पेट खराब होने की सामने आ रही है. इसके साथ ही खुले में मिल रहे खाने-पीने के सामान, जंक फूड, बासी खाना, स्‍ट्रीट फूड, बाहर खुले में मक्‍खी-मच्‍छर के बैठने के बाद इस्‍तेमाल किए गए खाने से भी बीमारियां पैदा हो रही हैं. स्‍वच्‍छता का ध्‍यान न रखना भी बड़ी वजह है. इसके अलावा काफी देर तक कटे हुए फल, धूप में से आए तरबूज या खरबूज खाने, गर्मी में से आकर सीधे ठंडा पानी पीने से भी परेशानी हो रही है. यह बीमारी 4 से 6 दिन तक रहती है लेकिन बिना इलाज के बीमारी के बढ़ने पर सीधे अस्‍पताल में ही भर्ती होना पड़ रहा है.

ऐसे करें बचाव, इन चीजों का रखें ध्‍यान
. उबालकर, साफ और शुद्ध पानी पीएं. किसी भी जगह का दूषित पानी न पीएं. जगह-जग‍ह का पानी पीना भी नुकसानदेह है. खुले में मिल रहे छाछ, लस्‍सी, शिकंजी, आदि से भी बचें. इनमें जो पानी इस्‍तेमाल किया जाता है वह संक्रमित हो सकता है.
. घरों में टंकियों को साफ करें, अगर साफ नहीं हुई हैं तो टंकी का पानी न पीएं, ताजा पानी पीएं.
. किसी भी प्रकार के स्‍ट्रीट फूड, बाहर के खाने, खुले में मिल रहे खाने को न खाएं. इनमें तला-भुना और फ्राइड आयटम भी शामिल हैं. इसके अलावा बाहर से जंक फूड, फास्‍ट फूड या चाइनीज फूड न खाएं. ऐसी सब्जियां भी न खाएं जो एसिडिटी बनाती हैं.
. पानी या जूस की मात्रा ज्‍यादा लें लेकिन बाहर के जूस से बचें. जहां मक्खियां बैठी हों ऐसी जगह से खान-पान से बचें.
. धूप में से सीधे आकर पानी न पीएं. पोषणयुक्‍त सादा खाना खाएं.
. खाना खाने और बनाने से पहले हाथ साबुन से अच्‍छी तरह साफ करें.
. फल और सब्जियों को धोकर प्रयोग करें.
. छोटे बच्‍चों के कपड़ों, एक्‍सेसरीज जो वे मुंह में दे सकते हैं, को अच्‍छे से साफ करें, बच्‍चे को किसी भी संक्रमित वस्‍तु के संपर्क से बचाएं.

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