कोरोना से जंग: भारत में जानलेवा वायरस कैसे आया काबू में, आईसीएमआर की वैज्ञानिक प्रज्ञा यादव ने दी एक-एक जानकारी


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sat, 02 Apr 2022 11:07 AM IST

सार

 स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में बीते 24 घंटों में केवल 1260 मामले सामने आए हैं और 83 लोगों की मौत हुई है। 1404 लोग इस दौरान स्वस्थ भी हुए।

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भारत में कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बीते 24 घंटों में केवल 1260 मामले सामने आए हैं और 83 लोगों की मौत हुई है। इस बीच आईसीएमआर की वैज्ञानिक प्रज्ञा यादव ने कोरोना महामारी को लेकर कई अहम जानकारी दीं। उन्होंने बताया कि देश में कोरोना कैसे काबू में आया। प्रज्ञा ने कहा कि जैसे ही चीन ने अपने शुरुआती कोविड मामलों की रिपोर्ट करना शुरू किया, एनआईवी ने परीक्षण की तैयारी शुरू कर दी और वुहान से लौटे छात्रों में भारत में पहले 3 मामलों का पता लगाया। हमें पता था कि महामारी आ रही है और भारत को इससे निपटने के लिए संसाधनों को जमा करना होगा और हमने किया।

बड़े पैमाने पर टीकाकरण और वेरिएंट पर शोध के कारण पा सके काबू
प्रज्ञा यादव ने कहा कि हम लोग कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर डरे हुए थे कि कहीं ये डेल्टा की तरह तबाही न मचाए। लेकिन जनवरी के बाद हमें राहत मिली जब अधिकांश मामले असिम्पटोमेटिक थे। कम मृत्यु दर के साथ कोरोना का यह वैरिएंट उतना प्रभावशाली नहीं था। उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर टीकाकरण और वेरिएंट पर शोध के कारण हम ओमिक्रॉन पर काबू पा सके। लोगों ने भी मास्क पहनकार हमारे अभियान में साथ दिया।

कोविशील्ड और कोवाक्सिन के मिश्रण से अच्छे नतीजे मिले
डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा कि डेल्टा और अन्य खतरनाक एवं चिंताजनक वैरिएंट के मामले में पहली खुराक में कोविशील्ड और दूसरी खुराक में कोवाक्सिन दिए जाने पर अच्छे नतीजे मिले। अध्ययन के निष्कर्ष जर्नल ऑफ ट्रैवल मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं।

ओमिक्रॉन के मामले में प्रतिरोधी क्षमता छह महीने बाद कमजोर होने लगी
प्रज्ञा यादव ने कहा कि अध्ययन के तहत तीन श्रेणियों में टीके के प्रभाव का आकलन किया गया और परीक्षण के तहत सभी लोगों की नजदीक से निगरानी की गई। अध्ययन से पता चला कि ओमीक्रॉन के मामले में टीकाकरण उपरांत बनी प्रतिरोधी क्षमता छह महीने बाद कमजोर होने लगी। इससे टीकाकरण रणनीति में बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है।

विस्तार

भारत में कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बीते 24 घंटों में केवल 1260 मामले सामने आए हैं और 83 लोगों की मौत हुई है। इस बीच आईसीएमआर की वैज्ञानिक प्रज्ञा यादव ने कोरोना महामारी को लेकर कई अहम जानकारी दीं। उन्होंने बताया कि देश में कोरोना कैसे काबू में आया। प्रज्ञा ने कहा कि जैसे ही चीन ने अपने शुरुआती कोविड मामलों की रिपोर्ट करना शुरू किया, एनआईवी ने परीक्षण की तैयारी शुरू कर दी और वुहान से लौटे छात्रों में भारत में पहले 3 मामलों का पता लगाया। हमें पता था कि महामारी आ रही है और भारत को इससे निपटने के लिए संसाधनों को जमा करना होगा और हमने किया।

बड़े पैमाने पर टीकाकरण और वेरिएंट पर शोध के कारण पा सके काबू

प्रज्ञा यादव ने कहा कि हम लोग कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर डरे हुए थे कि कहीं ये डेल्टा की तरह तबाही न मचाए। लेकिन जनवरी के बाद हमें राहत मिली जब अधिकांश मामले असिम्पटोमेटिक थे। कम मृत्यु दर के साथ कोरोना का यह वैरिएंट उतना प्रभावशाली नहीं था। उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर टीकाकरण और वेरिएंट पर शोध के कारण हम ओमिक्रॉन पर काबू पा सके। लोगों ने भी मास्क पहनकार हमारे अभियान में साथ दिया।

कोविशील्ड और कोवाक्सिन के मिश्रण से अच्छे नतीजे मिले

डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा कि डेल्टा और अन्य खतरनाक एवं चिंताजनक वैरिएंट के मामले में पहली खुराक में कोविशील्ड और दूसरी खुराक में कोवाक्सिन दिए जाने पर अच्छे नतीजे मिले। अध्ययन के निष्कर्ष जर्नल ऑफ ट्रैवल मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं।

ओमिक्रॉन के मामले में प्रतिरोधी क्षमता छह महीने बाद कमजोर होने लगी

प्रज्ञा यादव ने कहा कि अध्ययन के तहत तीन श्रेणियों में टीके के प्रभाव का आकलन किया गया और परीक्षण के तहत सभी लोगों की नजदीक से निगरानी की गई। अध्ययन से पता चला कि ओमीक्रॉन के मामले में टीकाकरण उपरांत बनी प्रतिरोधी क्षमता छह महीने बाद कमजोर होने लगी। इससे टीकाकरण रणनीति में बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है।



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