चंद्रकांत पंडित के कड़क कोच बनने के पीछे इस दिग्गज का हाथ, वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भी उतरे


नई दिल्ली. चंद्रकांत पंडित (Chandrakant Pandit) का नाम आज सभी ले रहे हैं. 60 साल के इस पूर्व भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ने कुछ काम ही ऐसा किया है. बतौर कोच यह मप्र की ओर से उनका पहला सीजन था और उन्होंने टीम को पहली बार रणजी ट्रॉफी का चैंपियन भी बना दिया. सिर्फ इतना ही नहीं टीम ने सबसे अधिक 41 बार फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट का खिताब जीतने वाली मुंबई की टीम को फाइनल में मात दी. पंडित इससे पहले बतौर कप्तान मप्र को फाइनल में पहुंचाने में सफल रहे थे. हालांकि 1998-99 में खेले गए इस खिताबी मुकाबले में मप्र को कर्नाटक से हार मिली थी. अब जीत के बाद उन्होंने राहत की सांस ली होगी. हालांकि पंडित को कड़त कोच के तौर पर याद किया जाता है. वे खिलाड़ियों पर काफी कड़ाई रखते हैं.

चंद्रकांत पंडित इससे पहले बतौर कोच मुंबई और विदर्भ को भी चैंपियन बना चुके हैं. लेकिन विदर्भ की जीत इस मायने में खास थी, क्योंकि टीम को रणजी का पहला खिताब 2017-18 में चंद्रकांत की कोचिंग में ही मिला था. टीम ने लगातार 2 सीजन में खिताब जीते. अब मप्र की टीम पहली बार खिताब जीतने में सफल रही. टीम 1950-51 से फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट में उतर रही है. यानी उसे जीत के लिए 70 साल तक इंतजार करना पड़ा. पिछले दिनों उन्होंने Sportstar से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना क्रिकेट मुंबई में खेला. सौभाग्य से मैं एक महान टीम का हिस्सा था. मैंने कभी बड़े स्तर पर क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन मैं उस टीम का हिस्सा था, जिसमें सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, संदीप पाटिल और अशोक मांकड़ थे.’

अशोक मांकड़ से सीखी कोचिंग   

उन्होंने कहा कि मुझे अशोक मांकड़ को धन्यवाद देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने मुझे सिखाया कि कैसे एक टीम की कोचिंग और कप्तानी करनी है. इससे मुझे बहुत मदद मिली है. जीतने के लिए आपको एक खास प्रक्रिया अपनानी होती है. शायद लोग मुझे बहुत सख्त कहते हैं. आप जानते हैं, ठेठ खड़ूस. मैं वो हूं, वह पहचान बनाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि सब कुछ खिलाड़ियों और टीम की बेहतरी के लिए किया जा रहा है. खिलाड़ियों को लेकर उन्होंने कहा कि वे सभी मेरा सम्मान करते हैं. मुझे नहीं पता कि वे मेरे पीठ पीछे क्या कह रहे होंगे, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है. क्योंकि मेरी नौकरी और प्रोफेशनल मेरी प्राथमिकता है.

अशोक भी मुंबई के लिए खेले

अशोक मांकड़ भी मुंबई की ओर से खेल चुके हैं. उन्होंने भारत की ओर से 22 टेस्ट में 25 की औसत से 991 रन बनाए. 6 अर्धशतक लगाया. वहीं एक वनडे में 44 रन की पारी खेली. फर्स्ट क्लास का उनका रिकॉर्ड बेहतरीन रहा. उन्होंने 218 मैच में 51 की औसत से 12980 रन बनाए. 31 शतक और 70 अर्धशतक लगाया. 265 रन की सबसे बड़ी पारी खेली. वहीं चंद्रकांत पंडित ने 5 टेस्ट में 24 की औसत से 171 रन बनाए. 39 रन बेस्ट पारी रही. वहीं 36 वनडे में 21 की औसत से 290 रन बनाए. नाबाद 33 रन उच्चतम स्कोर रहा. उन्होंने 138 फर्स्ट क्लास मैच में 49 की औसत से 8209 रन बनाए. 22 शतक और 42 अर्धशतक जड़ा. 202 रन की बेस्ट पारी खेली.

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वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भी उतरे

चंद्रकांत पंडित भारत की ओर से वर्ल्ड कप में भी उतर चुके हैं. 1987 के सेमीफाइनल में उन्हें विकेटकीपर की जगह बतौर बल्लेबाज मौका दिया गया. किरण मोरे विकेटकीपर के रूप में प्लेइंग-11 में शामिल थे. इंग्लैंड ने पहले खेलते हुए 6 विकेट पर 254 रन बनाए थे. जवाब में भारतीय टीम 45.3 ओवर में 219 रन बनाकर आउट हो गई थी. 5वें नंबर पर उतरे चंद्रकांत पंडित ने 30 गेंद पर 24 रन बनाए थे. 3 चौके लगाए थे.

Tags: BCCI, Mumbai, Prithvi Shaw, Ranji Trophy

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