Bhojpuri: फिल्मी सुग्गा- जब देवानंद अउरी सुरैया के प्यार के दरियाव में डूब गइल लोग


फिल्मी सुग्गा हरमेसा के तरे फेर लेके आइल बा एगो अइसन शानदार प्रेम कहानी, जवना पर जदि फिलिम बने त ऊ फिलिम लोग के सिनेमाघर में खूब हँसाई, खूब रोआई. देव आनंद माने देवानंद आ सुरैया के प्रेम कहानी जवन भारतीय फिल्म उद्योग के सबसे पहिला हाई प्रोफाइल अफेयर मानल जाला.

देव आनंद जब फिल्मन में डैब्यू कइले रहलें तब सुरैया सुपरस्टार रहली. उनका नाम पर दर्शक ब्लैक में टिकट खरीदें. सुरैया जब छोट रहली तबे उनके परिवार मुंबई चल आइल रहे. सुरैया के बचपन राज कपूर अउरी मदन मोहन जइसन भविष्य के प्रभावशाली लोग के साथ गुजरल. तब तीनू जाना बाल कलाकार के तौर पर आकाशवाणी में गीत गावे लोग. सुरैया एगो सफल गायिका भी रहली, आ अपना करियर में लगभग 340 गीत गवले रहली. सुरैया 67 गो फिल्मन में अदाकारी कइली. जब ऊ 7 साल के रहली तब जद्दन बाई के निर्देशन में बनल फिल्म मैडम फैशन में बाल कलाकार बन के पहिला बार स्क्रीन पर अइली. सुरैया जब 12 साल के भइली त उनके मामा के मदद से फिल्म ‘ताज महल’ में मुमताज महल के किरदार निभावे के मिलल. सुरैया के मासूमियत रहे कि उ स्क्रीन पर छा गइली. उनके फिल्म मिले लागल. उ अपना किरदार खातिर गावस भी. संगीतकार नौशाद अली उनकर आवाज सुनले रहलें आ बहुत प्रभावित भी रहले. उ सुरैया से कई गो हिट गीत गववलें. बॉम्बे टॉकिज तब सबसे अधिक फिल्म बनावत रहे. ओकर हेड रहली अभिनेत्री देविका रानी. उ सुरैया के प्रतिभा से इंप्रेस रहली, एही से उनका साथे पाँच साल के डील कइली अउरी सुरैया के करियर एकदम से चमकल चालू भइल.

सुरैया फिल्मन में कबो सह अभिनेत्री त कबो मुख्य भूमिका में रोल करत गइली. उनके 1948 में फिल्म होगी प्यार की जीत से अइसन सफलता मिलल कि हजारों लोग उनका घर के आगे खड़ा रहे लागल. जब उ फिल्म के प्रीमियर में गइली त पुलिस के भीड़ सम्हारे खातिर आवे के पड़ल. कुछ आवारा लोग उनके कपड़ा भी खींचे के कोशिश कइल. एकरा बादे सुरैया फिल्मन के प्रीमियर में जाइल छोड़ देहली.

इहे टाइम रहे, जब देवानंद मुंबई में अपना बड़ भाई चेतन आनंद के साथे थियेटर ग्रुप इप्टा जॉइन कर लेहलें. तब देवानंद एगो ऑफिस में क्लर्क के नौकरी भी करत रहलें. उनका पर अशोक कुमार के फिल्म अछूत कन्या आ किस्मत के बड़ा असर रहे. तबके अग्रणी फिल्म निर्माण कंपनी प्रभात फिल्म स्टूडियो के मालिक बाबू राव पई के नजर देवानंद पर पड़ल अउरी उ आनंद साहब के मुस्कान आ आँखन से प्रभावित भइलें. देव साहब के भाग चमक गइल, उनके पहिला फिल्म ‘हम एक हैं’ में लीड रोल मिल गइल. बात ह 1946 के. एही बेरा सुरैया के सितारा बुलंदी पर रहे.

देव आनंद जब सुरैया के डूबे से बचवलें उहवें से प्यार के बिया अंखुआइल

सुरैया तब स्थापित गायिका अउरी अभिनेत्री रहली. देवानंद के उनके साथे फिल्म मिलल विद्या, बात ह ई 1948 के. देवानंद सुरैया के खूबसूरती से बहुत प्रभावित रहलें. संभव भी रहे अइसन होखल, काहें कि तब सुरैया के मल्लिका – ए – हुस्न कहल जाव. एह फिल्म के शूटिंग के शुरुआत में देव साहब बड़ा घबराइल रहलें, विशेषकर रोमांटिक सीन में. अइसन सुरैया अपना इंटरव्यू में कहले बाड़ी. ओ फिल्म के एगो गाना ‘किनारे किनारे चले जाएंगे’ के शूटिंग होत रहे, जे में दुनू जाना नाइ में बइठल रहे लोग. नाव अचानक डूबे लागल, देवानंद आपन चिंता ना करके सुरैया के बचावे में लाग गइलें अउरी बचा लेहलें. किनारे किनारे जाए वाला गीत में दुनू जाना प्यार के दरियाव में डूब गइल लोग. इहवें से दुनू जाना के बीच नजदीकी बढ़ल.

तब देवानंद से सुरैया कहली कि अगर रउआ हमके ना बचवतीं त हम आज मर जइती. देवानंद कहलें कि अगर रउआ ना रहतीं त हमहूँ खतम हो जइती. इहवें से सुरैया के दिल में प्यार के घंटी बाजल. तब देवानंद जवान अउरी हैन्डसम रहलें. सुरैया के भी लाखों चाहे वाला रहलें. दुनू जाना में प्यार के पींग बढ़त गइल. हालांकि एकरा बारे में अउरी केहू के खबर ना रहे. सुरैया के परिवार देवानंद के बड़ा स्वागत करे, जब भी उनके घरे जास. एह लोग के बीच करीबी अइला के बाद देव साहब के ऊ दुसरका घर हो गइल रहे.

दुनू जाना के साथ में सात गो फिलिम आइल अउरी उहो बैक टू बैक. जब जीत के शूटिंग चलत रहे 1949 में, तबे उ लोग सेट पर असली शादी के योजना बनवले रहे लोग. बाकिर एकर भनक सुरैया के हिटलर नानी के चल गइल. उनके सबसे ज्यादा एह रिश्ता से ऐतराज रहल अउरी उनकरे के लोग एह सुंदर प्रेम कहानी के विलेन मानेला. उनके नानी के पसंद ना रहे कि उनके नातिन के रिश्ता कवनो हिन्दू से होखे. उ मुसलमान बिरादरी से बाहर जाके अपना नातिन के बियाह ना करे चाहत रहली. उनके नानी सुरैया पर निगाह रखल चालू कइली. ई सब धीरे धीरे बढ़े लागल. जब देवानंद सुरैया के घरे जास त केहू ना केहू ओ लोग के इर्द गिर्द बइठल रहे ताकि ई लोग कुछ व्यक्तिगत बात ना कर पावे लोग. हद त तब हो गइल जब उ एगो सीन के शूटिंग रोकवा देहली,काहें कि ओमें देवानंद के सुरैया के पलक पर चुंबन करे के रहे.

ई सब चुपके चुपके रहल बाकिर 1950 में फिल्म अफसर के सेट पर देव साहब पब्लिकली सुरैया के प्रपोज कर देहलें. सुरैया के नानी के शिकंजा कसात गइल, उ दुनू जाना के प्रेम के रिश्ता में लड़ाई के बिया बोए लगली. सुरैया अपना इंटरव्यू में बतवले बाड़ी कि देव के ई बात अच्छा ना लागे कि हम हिम्मत ना देखावत रहनी अउरी नानी के बेतुका फैसला के खिलाफ ना जात रहनी. हालांकि हम देव के भलाई खातिर अइसन करत रहनी. लेकिन बाद में एहसास भइल कि अगर हम हिम्मत कर के कदम आगे बढ़वले रहतीं त नानी भा केहू कुछ कर ना सकित.

खैर ई दुनू जोड़ा साथे अंतिम फिल्म ‘दो सितारे’ कइल लोग जवन 1951 में रिलीज भइल. ओकरा बाद दुनू जाना के बीच दूरी बढ़त गइल, कारण रहली सुरैया के नानी. कई लोग त इहो कहेला कि सुरैया के नानी के धर्म से ज्यादा एह बात से दिक्कत रहे कि सुरैया बड़ परिवार के अकेला कमवइया बाड़ी, अगर उ बियाह कर के चल जइहें त घर कइसे चली.

हालांकि. समय दुनू जाना के जुदाई के घाव त भर पवलस बाकिर देव आनंद लीड रोल में बड़ बड़ फिल्म करे लगलें आ धीरे धीरे बड़ सुपरस्टार के रूप में स्थापित हो गइलें. भविष्य में उनके अभिनेत्री के रोल करे वाली कल्पना कार्तिक से नजदीकी बढ़ल. दुनू जाना कई गो हिट फिल्म दिहल लोग आ आगे जाके बियाह कर लिहल लोग. सुरैया जीवन भर अकेले रहली अउरी 75 बरिस के उमिर में ई दुनिया छोड़ गइली.

(लेखक मनोज भावुक भोजपुरी साहित्य और सिनेमा के जानकार हैं.)

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