नई दिल्ली. सरकार भारती जीवन बीमा निगम (LIC) का IPO लाने के लिए बेरकरार है, लेकिन बड़े और पोटेंशियल इन्वेस्टर्स ने अलग ही चिंता खड़ी कर दी है. इनका कहना है कि वे सरकार के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपने हितों का गला नहीं घोंटेंगे.
मार्च के पहले पखवाड़े में सरकार करीब 8 अरब डॉलर का IPO बाजार में उतारेगी. कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में सरकारी कंपनियों के शेयरों की जमकर खरीदारी की है. उसने कई संस्थानों को उबारने के लिए भी पैसे लगाए हैं. ऐसे में पोटेंशियल इन्वेस्टर्स को लगता है कि लिस्टिंग के बाद LIC के आईपीओ का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक न रहा तो उन्हें घाटा लग सकता है.
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निवेशकों की ये है चिंता
प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म InGovern के फाउंडर श्रीराम सुब्रमणियन ने कहा, सरकार एक नियंत्रक, शेयरधारक और प्रबंधक के रूप में काम करना चाहती है और यह उसकी भूमिका को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा करता है. सरकार की मंशा है कि LIC उसके 100 फीसदी कंट्रोल में रहे और जब भी जरूरत हो उस पर प्रभाव डाला जा सके. यह स्थिति निवेशकों के लिए चिंता का सबब है.
LIC चेयरमैन ने भरोसा भी दिलाया लेकिन…
LIC के चेयरमैन एमआर कुमार ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पोटेंशियल इन्वेस्टर्स को सरकार के नियंत्रण को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए. कंपनी के IPO को लेकर सभी फैसले उनका बोर्ड करेगा, न कि सरकार करेगी. हालांकि, इस बयान के बाद भी कुछ निवेशकों को लगता है कि सरकार की बड़ी हिस्सेदारी और नियंत्रण उनके लिए हितकारी नहीं होगा.
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IPO के बाद भी होगी 95 फीसदी हिस्सेदारी
सरकार ने अभी LIC पर 100 फीसदी नियंत्रण रखा है. यानी उसके पास कंपनी की पूरी की पूरी हिस्सेदारी है. IPO के जरिये वह महज 5 फीसदी हिस्सा ही बाजार के हवाले करेगी और इसके बाद भी 95 फीसदी हिस्से पर उसका हक होगा. ऐसे में निवेशकों चिंता यही है कि सरकार अपने लक्ष्य और हितों की पूर्ति के लिए उनके हितों की कुर्बानी न चढ़ा दे.
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