नई दिल्ली. बड़े बिजनेसमैन और शेयर बाजार के खिलाड़ी रामदेव अग्रवाल का मानना है कि डिजिटल स्पेस में कंसोलिडेशन होगा. उन्होंने आशंका जताई है कि इससे 100 डिजिटल कंपनियों में से करीब 75 फीसदी कंपनियां बंद हो सकती हैं. हालांकि, उनका यह भी मानना है कि 3-4 साल में स्थिति ठीक हो जाएगी.
CNBC-TV18 के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में मार्केट गुरु अग्रवाल ने टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी भारतीय आईटी कंपनियों के बारे में आशावादी नजरिया पेश किया. उन्हें लगता है कि ये कॉरपोरेट्स डिजिटल होने के लिए और अधिक खर्च कर रहे हैं. उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है, जबकि हाल के दिनों में शेयर मार्केट में जोमैटो, पेटीएम, नायका, पॉलिसी बाजार जैसी कंपनियों ने दस्तक दी हैं. इनमें से कई ने निवेशकों को निराश किया है.
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बाजार के दिग्गज अग्रवाल का मानना है कि डिजिटल स्पेस में कंसोलिडेशन होने से करीब 75 फीसदी कंपनियां का सफाया हो जाएगा. उन्होंने कहा कि जब स्थितियां साफ होंगी, तो हर कैटेगरी में 2-3 बड़ी कंपनियां उभरकर सामने आएंगी. हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि यह सब निराशा और कयामत वाली स्थितियां नहीं हैं. वे भारतीय आईटी सेक्टर की विकास क्षमता को लेकर उत्साहित हैं, क्योंकि दुनिया दिन-ब-दिन और अधिक डिजिटल होती जा रही है. अग्रवाल के अनुसार, इस सेगमेंट में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ (Competitive benefits) है.
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टेक बूम, दूसरे देश से कॉम्पिटिशन नहीं
मार्केट गुरु ने कहा, “मुझे लगता है कि एक टेक बूम है और वास्तव में इस स्थान के लिए किसी दूसरे देश से कोई कॉम्पिटिशन नहीं है. मैं सुन रहा हूं कि 3-5 साल के अनुभवी या किसी तकनीक में कुछ विशेषज्ञता वाले लोगों को पैकेज में भारी वृद्धि दी जा रही है.” उन्होंने उम्मीद जताई कि कॉर्पोरेट्स को अपनी सेवाओं के लिए अंततः बहुत अधिक भुगतान करना होगा. भले ही ये सेवाएं भारत से ही उपलब्ध हो रहीं हो. इस वजह से यह बहुत ही अच्छा समय है.
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उम्मीद पर खरी उतरी टीसीएस
मार्केट गुरु रामदेव अग्रवाल ने कहा कि आईटी क्षेत्र की दो सबसे बड़ी कंपनियों के नतीजों पर नजर डालें, तो टीसीएस के नतीजे उम्मीदों पर खरे उतरे हैं. वहीं, दूसरी तरफ इंफोसिस के मामले में नतीजे बाजार की उम्मीद से कमजोर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कमोडिटी की ऊंची कीमतों की वजह से इस तिमाही में सभी क्षेत्रों के मार्जिन में गिरावट नजर आई है. उन्होंने कहा, “हालांकि पूरे निफ्टी के लिए अर्निंग ग्रोथ 23-24 फीसदी रही है, लेकिन हर क्षेत्र में मार्जिन में गिरावट आ रही है. इसलिए मुझे लगता है कि Q1 यानी जून तिमाही में मार्जिन का नुकसान बहुत अधिक होगा.”
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