अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: अपने बिहार ने पेश की मिसाल, 2005 में थे मात्र 2 बाघ, अब हो गए 67


हाइलाइट्स

बिहार में राजगीर जू सफारी में 2 और पटना चिड़ियाघर में 9 बाघ मौजूद हैं.
बिहार ने एक मानक स्थापित किया. अब यहां बाघों की सख्या 67 हो गई है.

पटना. बिहार में 2005 से पहले टाइगर की संख्या मात्र 2 थी और आज बिहार में टाइगर की संख्या बढ़कर 67 तक पहुंच गई है. यह न सिर्फ पर्यावरण के लिहाज से, बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी बेहद सुकून देनेवाली खबर है. बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के लिए 29 जुलाई का दिन तय है और इसी दिन बिहार में बाघों को लेकर यह जानकारी सामने आई है.

दरअसल बिहार में बाघों की संख्या बढ़ने के पीछे वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व की प्रमुख भूमिका है. यहां टाइगर की संख्या बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं, जिसका सुखद नतीजा अब सामने आने लगा है. वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व बिहार का इकलौता होने के साथ-साथ भारत के प्रसिद्ध उद्यानों में से एक है. ताजा आंकड़े के अनुसार, यहां बाघों की संख्या 56 के पार हो गई.

वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए टाइगर रिजर्व ने बाघों के अनुकूल माने जाने वाले कदम उठाए हैं, साथ ही जंगलों का दायरा बढ़ने से भी बेहतर माहौल मिला है. यही वजह है कि बाघों की संख्या में यहां लगातार वृद्धि हो रही है.

वल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के अलावा भी बिहार में राजगीर जू सफारी में 2 और पटना जू में 9 बाघ मौजूद हैं और आनेवाले समय में बहुत जल्द कैमुर टाइगर रिजर्व पर भी जोर-शोर से काम चल रहा है. वल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के साथ-साथ अगर पटना जू और राजगीर जू सफारी के बाघों की संख्या जोड़ दें, तो बिहार में बाघों की संख्या बढ़कर 67 हो गई है. इसमें ताजा पटना जू के चार शावक भी हैं, जिनका नामकरण नीतीश कुमार ने किया है.

मंत्री नीरज कुमार बबलू कहते हैं कि बिहार में बाघों की संख्या लगातार बढ़ने से हम बेहद उत्साहित हैं और आने वाले समय में बिहार में बाघों की संख्या और बढ़े इसके लिए वन पर्यावरण विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. वहीं बिहार की उप मुख्यमंत्री रेणु देवी कहती हैं कि वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व से उनका नजदीकी नाता रहा है. 1994 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था. सरकार द्वारा किए जा रहे बेहतर रख-रखाव के कारण वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व समेत देश के अन्य टाइगर रिजर्वों में बाघों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ रही है. लेकिन बाघों पर खतरा कम नहीं है. शिकारियों से इन्हें बचाना हम सब का कर्तव्य है. यदि हम बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूक नहीं होंगे, तो शक्ति और शान का प्रतीक हमारा राष्ट्रीय पशु बाघ विलुप्त हो जाएगा. उन्होंने कहा कि बाघ हैं, तो वन हैं.

Tags: Bihar News, Good news, Tiger reserve areas



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