दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether के प्राइस में भी लगभग 1.22 प्रतिशत की कमी आई और यह लगभग 1,335 डॉलर पर था। Ethereum ब्लॉकचेन के अपग्रेड के बावजूद इसके प्राइस में कमी हो रही है। इस अपग्रेड में Ethereum के डिवेलपर्स ने इसके माइनिंग प्रोटोकॉल की प्रूफ-ऑफ-वर्क (PoW) सिस्टम से प्रूफ-ऑफ-स्टेक (PoS) पर दोबारा कोडिंग की है। इससे Ethereum की एनर्जी की खपत बहुत कम होने की संभावना है। इस ब्लॉकचेन पर 100 अरब डॉलर से अधिक के डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) ऐप्स को सपोर्ट मिलता है और इस वजह से अपग्रेड को लेकर सतर्कता बरती गई है।
हालांकि, Tether, Binance USD, Ripple, Cardano और Polkadot जैसे ऑल्टकॉइन्स में बढ़त के साथ शुरुआत हुई। क्रिप्टो का मार्केट कैपिटलाइजेशन एक लाख करोड़ डॉलर से कम है। CoinMarketCap के डेटा से पता चलता है कि पिछले एक दिन में 0.94 प्रतिशत की गिरावट के बाद क्रिप्टोकरेंसीज का मार्केट कैपिटलाइजेशन 926.28 अरब डॉलर का है।
CoinDCX की रिसर्च टीम ने Gadgets 360 को बताया, “बिटकॉइन की ट्रेडिंग वॉल्यूम में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसका कारण माइक्रो इकोनॉमिक स्थितियों को लेकर नेगेटिव सेंटीमेंट से वोलैटिलिटी का बढ़ना है।” कुछ अच्छे संकेत मिलने पर बिटकॉइन के प्राइस में तेजी आ सकती है। बिटकॉइन ने पिछले वर्ष नवंबर में 67,000 डॉलर से अधिक का हाई छुआ था। इसके बाद से स्लोडाउन और कुछ अन्य कारणों से इसके प्राइस में काफी गिरावट आई है। इससे इनवेस्टर्स के साथ ही क्रिप्टो सेगमेंट से जुड़ी फर्मों को बड़ा नुकसान हुआ है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिटकॉइन में काफी बिकवाली हुई है। इन्फ्लेशन के भी लगभग पीक पर पहुंचने के संकेत हैं। इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व सहित अन्य देशों के सेंट्रल बैंकों की ओर से मॉनेटरी पॉलिसी में कुछ छूट दी जा सकती है। यह क्रिप्टो मार्केट में तेजी का अगला बड़ा कारण हो सकता है।
भारतीय एक्सचेंजों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें
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