Budget 2022: मनरेगा फंड में ₹25000 करोड़ की कटौती, 2 वित्‍त वर्ष में 1 ट्रिलियन से 73 हजार करोड़ हो गया बजट


नई दिल्‍ली. मोदी सरकार की ओर से वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2022 को आम बजट पेश किया. इस बार के बजट में कई मद के फंड में कटौती की गई तो कुछ सेक्‍टर का वित्‍तीय आवंटन बढ़ाया गया है. ग्रामीण रोजगार के क्षेत्र में फंड कटौती ने सबका ध्‍यान खींचा है. दरअसल, निर्मला सीतारमण ने महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 2005 (MGNREGA-2005) के फंड में भारी कटौती की है. वित्‍त वर्ष 2022-23 के लिए पेश बजट में पिछले वित्‍त वर्ष की तुलना में इस मद में 25 फीसद तक की कमी की गई है. पिछले वित्‍त वर्ष में मनरेगा के लिए 98,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. निर्मला सीतारमण की ओर से पेश इस साल के बजट में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए हैं.

वित्‍त वर्ष 2020-21 में मनरेगा का कुल बजट 1.1 ट्रिलियन रुपये से भी ज्‍यादा का था. अब ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार देने के सबसे बड़े स्रोत का बजट 73 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. माना जा रहा है कि फंड कटौती का असर आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर पड़ सकता है. बता दें कि कोरोना काल में मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वरदान बना हुआ है. हजारों-लाखों लोगों को रोजगार कानून के तहत काम मिल रहा है. कोरोना संक्रमण के कारण औद्योगिक क्षेत्रों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. लाखों-करोड़ों की संख्‍या में लोगों को वापस लौटना पड़ा था. उस वक्‍त मनरेगा के तहत ऐसे लोगों को उनके गांव-घर में रोजगार मिला था, जिससे वे अपना गुजर-बसर करने में सक्षम हो सके.

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क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ?
मनरेगा के बजट आवंटन में हजारों करोड़ रुपये की कटौती पर विशेषज्ञों ने भी अपनी राय रखी है. NREGA संघर्ष मोर्चा से जुड़े विशेषज्ञ का कहना है कि फंड में कटौती से ग्रामीण भारत पर बुरा असर पड़ सकता है. दरअसल, वित्‍त वर्ष 2021-22 का 12,000 करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान अभी बाकी है. इस राशि का भुगतान वित्‍त वर्ष 2022-23 के लिए आवंटित फंड से किया जाना है. ऐसे में यदि देखा जाए तो वर्ष 2022-23 के लिए 61 हजार करोड़ रुपये ही शेष बचेंगे.

कोरोना काल में वरदान बना मनरेगा
कोरोना संक्रमण काल में बड़ी तादाद में लोगों ने देश के विभिन्‍न औद्योगिक क्षेत्रों से अपने घरों की ओर पलायन किया था. इनमें से अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्रों के रहने वाले थे. विषम परिस्थिति में लोगों को उनके ही घर के समीप रोजगार का अवसर मिल सके, इसलिए मनरेगा का इस्‍तेमाल किया गया था. ग्रामीण रोजगार स्‍कीम के तहत बड़ी संख्‍या में लोगों को रोजगार मिला था, जिससे वे अपना गुजर-बसर करने में सक्षम हो सके थे.

Tags: Budget, Finance minister Nirmala Sitharaman

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