Budget 2022 :  Taxpayer को बड़ा झटका दे सकती है सरकार, टैक्स में नहीं मिलेगी कोई छूट


नई दिल्ली. टैक्स छूट की उम्मीद पाले करदाताओं को सरकार इस बजट में बड़ा झटका दे सकती है. लगातार बढ़ रहे खर्च के कारण राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिहाज से इस बजट में टैक्स छूट मिलने की संभावना नहीं है.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव का कहना है कि सरकार को एक फरवरी, 2022 को पेश होने वाले बजट में अर्थव्यवस्था में व्यापक असमानता को कम करने और रोजगार बढ़ाने पर जोर देना चाहिए. हालांकि, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर खर्च बढ़ाने की जरूरत को देखते हुए इस बार टैक्स कटौती की गुंजाइश नहीं है.

ये भी पढ़ें- Credit Card Tips: क्या होता है क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो, जानिए क्यों 30% से कम रखना चाहिए CUR

वृद्धि को रफ्तार देना बजट का मकसद
पूर्व गवर्नर ने कहा कि वृद्धि को गति देना हर बजट का मकसद होता है. इस बजट का भी यह उद्देश्य होना चाहिए. लेकिन,  इस बजट में अर्थव्यवस्था में व्यापक असमानता को पाटने पर खासतौर से ध्यान देना चाहिए. हाल ही में आई विश्व असमानता रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की व्यापक असमानता न केवल नैतिक रूप से गलत और राजनीतिक रूप से नुकसानदेह है बल्कि इससे हमारी दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाएं भी प्रभावित होंगी. ऐसे में हमें रोजगार आधारित वृद्धि की जरूरत है. अगर इस बजट के लिए कोई थीम है तो वह रोजगार होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- LIC IPO पर एक्‍शन मोड में सरकार, सेबी को 21 दिन में काम निपटाने का आदेश

महामारी ने गरीबों के लिए पैदा किया संकट
सुब्बाराव ने कहा कि महामारी की वजह से अमीरों एवं गरीबों के बीच आर्थिक खाई को और गहरा किया है. इसने अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले निम्न आय वर्ग के लिए भारी संकट पैदा कर दिया है. वहीं, उच्च आय वर्ग न केवल अपनी कमाई बढ़ाने में सक्षम है बल्कि महामारी के दौरान उनकी बचत और संपत्ति में इजाफा हुआ है.

आयात शुल्क घटाने की जरूरत
पूर्व गवर्नर ने कहा कि अनुभवों से पता चलता है कि संरक्षणवादी दीवारों के साथ निर्यात को बढ़ावा देने की नीति शायद ही कभी प्रतिस्पर्धी होती है, इसलिए आयात शुल्कों को घटाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस साल देश के कर संग्रह में आया उछाल अगले साल खत्म हो जाएगा क्योंकि अनौपचारिक क्षेत्र फिर से पटरी पर आने लगेगा.

निर्यात बढ़ाने से दोहरा लाभ
उन्होंने कहा कि मंदी के कारण नौकरियां कम हुई हैं. आर्थिक गतिविधियों के श्रम प्रधान अनौपचारिक क्षेत्र से पूंजी प्रधान औपचारिक क्षेत्र की ओर केंद्रित होने से भी रोजगार का संकट पैदा हुआ. रोजगार पैदा करने के लिए वृद्धि जरूरी है, लेकिन पर्याप्त नहीं है। इसके लिए निर्यात पर भी जोर देना होगा. इससे न सिर्फ विदेशी मुद्रा मिलेगी बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

Tags: Budget, Business news in hindi, Taxpayer

image Source

Enable Notifications OK No thanks