Highlights
- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को बार-बार अपने दुख का रोना नहीं चाहिए।
- यदि ऐसा करेंगे तो आप मजाक का पात्र बन सकते हैं।
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार आपको भले ही थोड़े कठोर लगे ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। भागदौड़ भरी जिंदगी में आप इन विचारों को नजरअंदाज ही क्यों न कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार हमेशा दुख का रोना रोने वालों पर आधारित है। तो आइए जानते हैं।
‘जो व्यक्ति हर पल दुख का रोना रोता है उसके द्वार पर खड़ा सुख भी बाहर से ही लौट जाता है।’- आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने इस कथन में बताया है कि व्यक्ति को हर समय अपने दुख का रोना नहीं चाहिए। ऐसा करके आप खुद को परेशानी में तो डालेंगे ही साथ ही खुशियों को भी अपने पास आने से रोक देते हैं।
यूं तो हम सभी जानते हैं कि जीवन में दुख आया है तो खुशी भी जरूर आएगी क्योंकि कोई भी चीज लंबे समय तक नहीं टिकती। लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं कि जब भी उनकी जिंदगी में कोई दुख आता है तो वो हर समय उसी का रोना रोने लगते हैं और अपना दुख दूसरों के सामने जाहिर करते रहते हैं। मगर आपको ऐसा बिल्कुल भी करना चाहिए। किसी के सामने अपना दुख रोने से आपका दुख कम नहीं हो जाएगा।
हालांकि अगर आपके दिल के कोई करीब है तो उसके सामने आपना दुख बयां कर सकते हैं। यदि आप बार-बार घर में आए हुए लोगों को या अपने से जुड़े किसी व्यक्ति के सामने दुख का रोना रोएंगे तो आप मजाक का पात्र बन सकते हैं। ऐसा करने से बचें। इसलिए आचार्य चाणक्य जी कहते है कि जो व्यक्ति हर पल दुख का रोना रोता है उसके द्वार पर खड़ा सुख भी बाहर से ही लौट जाता है।
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