गालियों व गोलियों से घिरता बचपन: बेहद कम उम्र में नाबालिग चुन रहे अपराध की राह, इनको न तो कानून और न ही सजा का डर


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मुंडका में नाबालिग की गला रेतकर हत्या। फर्श बाजार में 73 वर्षीय बुजुर्ग की चाकू घोंपकर हत्या। आनंद पर्वत में बदले के लिए युवक की हत्या। जहांगीरपुरी में वर्चस्व कायम करने के लिए युवक की हत्या। जी हां, हम जिन हत्याओं की बात कर रहे हैं, इन सभी को 14 से 17 साल के बीच के नाबालिग लड़कों ने अंजाम दिया। जिस उम्र में कंधे पर बस्ता और हाथों में कलम होना चाहिए, उसी उम्र में नाबालिग अपराध की दुनिया का रुख कर रहे हैं। इसके पीछे कारण चाहे कुछ भी हो, लेकिन पुलिस के लिए यह नाबालिग मुसीबत बन गए हैं। 

झपटमारी हो, लूटपाट, वाहन चोरी, घरों में चोरी, ठक-ठक गिरोह, ठगी की वारदातें, यहां तक दुष्कर्म के मामलों समेत बड़े जघन्य अपराधों में इन नाबालिगों की मौजूदगी बढ़ती ही जा रही है। कुछ मामलों में तो देखा गया कि बड़े गैंगस्टरों ने इनको टूल बनाकर इस्तेमाल किया। नाबालिगों से कहा जाता है कि पकड़े जाने पर सजा कम होगी, कोई मारेगा-पीटेगा भी नहीं। ऐसे में नाबालिग भी बेफिक्र होकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।

पिछले दो माह को देखें तो शायद ही कोई एक हफ्ता रहा होगा जब नाबालिगों ने किसी न किसी वजह से किसी की हत्या न की हो। जानकारों का कहना है कि आज टीवी और इंटरनेट की दुनिया में अपने आसपास हो रही गतिविधियों का इन नाबागिरों पर खासा असर हो रहा है। कुछ नया करने और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नाबालिग अपराध के दलदल की ओर बढ़ रहे हैं। 

कुछ मामलों में देखा गया कि बड़े गैंगस्टर भी इनको वारदातों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। 23 दिसंबर 2015 को चार नाबालिग लड़कों ने कड़कड़डूमा कोर्ट में जज के कमरे में घुसकर गैंगस्टर इरफान उर्फ छेनू पर हमला करवा दिया था। इन लोगों ने छेनू को पांच गोली मारी, लेकिन उसके बाद भी वह जिंदा बच गया। हमले में दिल्ली पुलिस का एक हवलदार इन नाबालिगों की गोली लगने से मारा गया था। बाद में पता चला था कि छेनू के विरोधी नासिर ने इन नाबालिग शूटरों का इंतजाम किया था। इसके बाद से लगातार इन नाबालिगों के इस्तेमाल का तेजी से ट्रेंड बढ़ गया। मौजूदा समय में बदमाश लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।

कोरोना काल में बच्चों की मनोदशा पर हुआ अधिक प्रभाव…अपराध करने के लिए कोई भी व्यक्ति या बच्चा एक दिन में तैयार नहीं होता है। यह एक सालों की प्रक्रिया है, जिसके तहत मन में वेश व क्रोध को जगह मिलती है। यही वजह है कि बच्चों में सामाजिक सौहार्द व समरसता खत्म हो रही है। बच्चा वही सिखता है, जो उसके आसपास घटित होता है। कोरोना काल में बच्चों की मनोदशा पर अधिक प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह है ऑनलाइन गेमिंग व मेलजोल का कम होना। बच्चे आजकल मोबाइल पर ऑनलाइन गेमिंग में अधिक व्यस्त हैं। इसमें भी बच्चों को आक्रोश वाले गेम अधिक पसंद हैं, जिससे बच्चों की मनोदशा बदलती है। अपराध की कोई श्रेणी नहीं है। एक पढ़ा लिखा हुआ बच्चे से लेकर स्लम में रहने वाला कम शिक्षित या अनपढ़ बच्चा संगीन अपराध के लिए तैयार हो जाता है। -डॉ. ओमप्रकाश, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास)
 

तीन-चार वजहें हैं, जिन पर गौर करना जरूरी है। बच्चा अपने आस-पास से सीखता है और उसके नजदीक सबसे प्रभावी तकनीक है। बच्चों को ही नहीं, बड़ों व बुजुर्गों तक पर यह असर डाल रही है। फिर, सामाजिक नियंत्रण की परिवार, पड़ोस व स्कूल जैसी संस्थाओं को नई चुनौतियों के बीच परिभाषित नहीं किया जा सका है। यह सब कमजोर हुई हैं। अनिश्चितता जनित भय भी इस वक्त ज्यादा है। फिल्मों से ज्यादा घर-घर में पैठ बना चुकी बेबसीरीज में अपराध का महिमामंडन किया जा रहा है। यह सब बच्चों का बचपन छीन रहे हैं। किताब, पेन से ज्यादा वह तवज्जो गाली व गोली को दे रहे हैं। -प्रोफेसर संजय भट्ट, समाजशास्त्री व डीयू के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क में प्रोफेसर
 

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक औसत के मुताबिक हर साल 70 नए नाबालिग लड़के राजधानी में अपराध की दुनिया में कदम रखते हैं। चूंकि कानून में दी गई नरमी इसकी बढ़ी वजह है, इसलिए लड़के बेखौफ होकर इस दलदल में चले जाते हैं। दिल्ली पुलिस इनको सही रास्ते पर लाने के पूरे प्रयास करती है। अक्सर देखा गया है कि अपनी जरूरतें और नशे की लत को पूरा करने के लिए नाबालिग इस ओर आकर्शित हो जाते हैं। उनको नशा मुक्ति केंद्रों में रखकर पहले उनका नशा छुड़वाने का प्रयास किया जाता है, इसके अलावा दिल्ली पुलिस के हर जिले में कौशल विकास के ट्रेनिंग सेंटर चलते हैं, जहां उनको रोजगार से जोड़ने के प्रयास किए जाते हैं। नाबालिगों के साथ उनके माता-पिता की भी काउंसलिंग कराकर इनको सही लाइन पर लाने का प्रयास किया जाता है। 

. 01 जुलाई 2002: मुंडका इलाके में दुष्कर्म के मामले में गवाही देने वाले 12 साल के बच्चे से बदला लेने के लिए नाबालिग ने उसकी गला रेतकर हत्या कर दी। पुलिस ने नाबालिग और उसके दोस्त को पकड़ा।
. 01 जुलाई 2002: फर्श बाजार इलाके में गाली देने पर एक नाबालिग ने 73 वर्षीय बुजुर्ग की चाकू गोदकर हत्या कर दी। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के जरिए नाबालिग को पकड़ा।
. 11 जून 2022: कल्याणपुरी इलाके में नाबालिगों ने अपने बहन के प्रेमी को शराब पिलाकर उसकी हत्या की, बाद में नाले में फेंका शव, पुलिस ने दोनों को पकड़ा।
. 08 जून 2022: आनंद पर्वत इलाके में झगड़े के दौरान बीच-बचाव कराने का बदला लेने के लिए नाबालिगों ने 21 वर्षीय युवक की चाकू घोंपकर हत्या की, पुलिस ने दोनों नाबालिगों को दबोचा।
. 15 मई 2022: नेब सराय इलाके में मामूली बात पर हुए विवाद में तीन नाबालिगों ने जीशान नामक युवक की चाकू गोदकर हत्या की। झगड़ा होने पर नाबालिगों ने जीशान के दोस्त को थप्पड़ मार दिया था, जिसका जिशान ने विरोध किया था। पुलिस ने तीनों नाबालिगों को हिरासत में ले लिया। 
. 08 अप्रैल 2022: आदर्श नगर में झगड़े के दौरान थप्पड़ मारने पर दो नाबालिगों ने चाकू मारकर युवक की हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी नाबालिगों को पकड़ लिया। . 01 मई 2022: सिविल लाइंस इलाके में नाबालिगों ने लूटपाट के लिए बिल्डर राम किशोर अग्रवाल की हत्या की। मेट्रो कार्ड के जरिए पुलिस ने मामले को सुलझाया और वारदात में शामिल दो आरोपियों को पकड़ लिया।  
. 21 जनवरी 2022: जहांगीरपुरी इलाके में वर्चस्व कायम करने और इंस्टाग्राम पर वीडियो अपलोड करने के लिए तीन नाबालिगों ने एक युवक की बिना वजह चाकू गोदकर हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया।
 

पुलिस अधिकारी ने बताया कि सात साल से अधिक सजा वाले मामलों में ही पकड़े जाने पर नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजा जाता है। ऐसे मामलों में हत्या, हत्या का प्रयास, लूटपाट और दुष्कर्म के मामले शामिल हैं। जबकि छोटे मामले जिसकी सजा सात साल या उससे कम होती है, ऐसे मामलों में नाबालिग को उसके परिजनों को सुपुर्द किया जाता है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि छोटे मामलों में जांच अधिकारी महसूस करता है कि नाबालिग बाहर रहकर माहौल बिगाड़ सकता है तो ऐेसी स्थिति में छोटे मामलों में भी शामिल नाबालिगों को बाल सुधार गृह भेजा जाता है।

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मुंडका में नाबालिग की गला रेतकर हत्या। फर्श बाजार में 73 वर्षीय बुजुर्ग की चाकू घोंपकर हत्या। आनंद पर्वत में बदले के लिए युवक की हत्या। जहांगीरपुरी में वर्चस्व कायम करने के लिए युवक की हत्या। जी हां, हम जिन हत्याओं की बात कर रहे हैं, इन सभी को 14 से 17 साल के बीच के नाबालिग लड़कों ने अंजाम दिया। जिस उम्र में कंधे पर बस्ता और हाथों में कलम होना चाहिए, उसी उम्र में नाबालिग अपराध की दुनिया का रुख कर रहे हैं। इसके पीछे कारण चाहे कुछ भी हो, लेकिन पुलिस के लिए यह नाबालिग मुसीबत बन गए हैं। 

झपटमारी हो, लूटपाट, वाहन चोरी, घरों में चोरी, ठक-ठक गिरोह, ठगी की वारदातें, यहां तक दुष्कर्म के मामलों समेत बड़े जघन्य अपराधों में इन नाबालिगों की मौजूदगी बढ़ती ही जा रही है। कुछ मामलों में तो देखा गया कि बड़े गैंगस्टरों ने इनको टूल बनाकर इस्तेमाल किया। नाबालिगों से कहा जाता है कि पकड़े जाने पर सजा कम होगी, कोई मारेगा-पीटेगा भी नहीं। ऐसे में नाबालिग भी बेफिक्र होकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।

पिछले दो माह को देखें तो शायद ही कोई एक हफ्ता रहा होगा जब नाबालिगों ने किसी न किसी वजह से किसी की हत्या न की हो। जानकारों का कहना है कि आज टीवी और इंटरनेट की दुनिया में अपने आसपास हो रही गतिविधियों का इन नाबागिरों पर खासा असर हो रहा है। कुछ नया करने और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नाबालिग अपराध के दलदल की ओर बढ़ रहे हैं। 

कुछ मामलों में देखा गया कि बड़े गैंगस्टर भी इनको वारदातों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। 23 दिसंबर 2015 को चार नाबालिग लड़कों ने कड़कड़डूमा कोर्ट में जज के कमरे में घुसकर गैंगस्टर इरफान उर्फ छेनू पर हमला करवा दिया था। इन लोगों ने छेनू को पांच गोली मारी, लेकिन उसके बाद भी वह जिंदा बच गया। हमले में दिल्ली पुलिस का एक हवलदार इन नाबालिगों की गोली लगने से मारा गया था। बाद में पता चला था कि छेनू के विरोधी नासिर ने इन नाबालिग शूटरों का इंतजाम किया था। इसके बाद से लगातार इन नाबालिगों के इस्तेमाल का तेजी से ट्रेंड बढ़ गया। मौजूदा समय में बदमाश लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।



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