CoinTracker के टैक्स कम्प्लायंस प्रोड्ट से भारतीय यूजर्स को सेंट्रलाइज्ड और डीसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों पर ट्रांजैक्शंस से टैक्स देनदारी का पता लगाने में मदद मिलेगी। यूजर्स अपने क्रिप्टो वॉलेट की डिटेल्स को इस प्लेटफॉर्म पर लिंक कर सर्विस के लिए साइन अप कर सकते हैं। इससे उनकी टैक्स की देनदारी ऑटोमैटिक तरीके से कैलकुलेट होगी, जिसका इस्तेमाल इनकम टैक्स रिटर्न भरने पर किया जा सकेगा। यह सर्विस सब्सक्रिप्शन बेस्ड है और वॉलेट्स पर 25 ट्रांजैक्शंस तक मुफ्त दी जाएगी। पेड सर्विस की शुरुआत 699 रुपये से होगी। CoinTracker के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर Jon Lerner ने एक स्टेटमेंट में कहा, “यूजर्स के लिए क्रिप्टोकरेंसीज को खरीदने, होल्ड करना और इससे जुड़ी ट्रांजैक्शंस जटिल हो सकती हैं और सही टूल के बिना टैक्स का पालन करना बहुत मुश्किल होगा। हमने इस समस्या को सुलझाया है। भारत में हम सभी लोकप्रिय एक्सचेंजों के साथ पार्टनरशिप करने की योजना बना रहे हैं।”
हाल ही में CoinTracker को 10 करोड़ डॉलर की फंडिंग मिली थी। इसका इस्तेमाल प्रोडक्ट्स तैयार करने और नए रीजंस में एक्सपैंशन के लिए किया जा रहा है। पिछले कुछ सप्ताहों में देश में क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी घटी है। इसके बावजूद CoinTracker को अपने प्रोडक्ट्स को अच्छा रिस्पॉन्स मिलने की उम्मीद है।
इस वर्ष के बजट में क्रिप्टो से जुड़े टैक्स कानून का प्रस्ताव दिया गया था और यह संसद में पारित हुआ था। इससे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स देश में टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। हालांकि, वर्चुअल डिजिटल एसेट्स की परिभाषा को लेकर भ्रम की स्थिति है। इन नियमों का उल्लंघन करने वाले मुश्किल में पड़ सकते हैं। नए क्रिप्टो कानून का उल्लंघन करने वालों सात वर्ष तक की कैद हो सकती है। केंद्र सरकार का कहना है कि वह क्रिप्टो माइनिंग करने वालों और इंडस्ट्री से जुड़े अन्य लोगों को टैक्स में कोई छूट देने पर विचार नहीं कर रही।
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