Covid-19: डरा रहे हैं संक्रमण के बढ़ते मामले, वैज्ञानिकों ने विकसित किया किट- ये बता देगा आप संक्रमण से सुरक्षित हैं या नहीं?


पिछले दो सप्ताह से देश में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। शनिवार को देश में 13216 लोगों को संक्रमित पाया गया वहीं रविवार को इसमें जरूर थोड़ी कमी आई पर आंकड़ा अब भी 12 हजार से ऊपर बना हुआ है। पिछले 24 घंटे में 12899 लोग संक्रमण के शिकार पाए गए। कोरोना के इस तेजी से बढ़ते संकट के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ ओमिक्रॉन वैरिएंट को मुख्य कारक मान रहे हैं। कोरोना के इस रूप को अध्ययनों में सबसे संक्रामक पाया गया है।

जनवरी-फरवरी में देश में आई तीसरी लहर के बाद यह पहला मौका है जब देश में दैनिक संक्रमण के मामलों में इस तरह से भारी उछाल देखा जा रहा है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक ही दिन में 1,797 कोविड-19 संक्रमण के मामले दर्ज किए जो लगभग चार महीनों में सबसे अधिक है। वहीं महाराष्ट्र में 1800 से अधिक लोगों को संक्रमण का शिकार पाया गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जांच में पाया गया है कि देश में ओमिक्रॉन के सबसे संक्रामक सब-वैरिएंट्स के भी मामले सामने आ रहे हैं, जो शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा को चकमा दे सकते हैं। ऐसे में सभी लोगों को बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। संक्रमण का खतरा फिलहाल सभी लोगों में बना हुआ है। 

कैसे पता करें आप कोरोना से सुरक्षित हैं या नहीं?

जिस तरह से अध्यनों में पाया जा रहा है कि ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स प्रतिरक्षा प्रणाली को भी चकमा दे सकते हैं, इसे देखते हुए विशेषज्ञ सभी लोगों को सचेत रहने की सलाह देते हैं। कोविड-19 की इम्युनिटी कई कारकों पर निर्भर करती है।, जिसमें  शामिल है- क्या आपको हाल के दिनों में संक्रमण हुआ है, आपका टीकाकरण कितने दिन पहले हुआ है आदि।

तो क्या कोई ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से यह पता लगाया जा सके कि आप कोरोना संक्रमण से कितने सुरक्षित हैं? इस बारे में एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक विशेष परीक्षण के बारे में बताया है। आइए इस संबंध में विस्तार से जानते हैं। 

टूलकिट से हो सकेगी जांच

नेचर बायोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक वैज्ञानिकों ने एक ऐसा टूल विकसित किया है जिसके माध्मय से यह जाना जा सकता है कि आप कोरोना संक्रमण से सुरक्षित हैं या नहीं? अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) अभी इस उपकरण की समीक्षा कर रहा है। इसे यूके स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी हाइरिस द्वारा लाइसेंस दिया गया है। यूरोप के कुछ हिस्सों में इस किट को प्रयोग में भी लाया जा रहा है। 

टी-कोशिकाओं को मापा जाएगा

रिपोर्ट के मुताबिक इस किट में जांच के लिए ब्लड सैंपल लिया जाता है जो टी कोशिकाओं को मापता है। ये कोशिकाएं एक प्रकार की लिम्फोसाइट होती हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली की महत्वपूर्ण श्वेत रक्त कोशिकाओं में से एक हैं। इस टेस्ट के परिणाम 24 घंटे की भीतर प्राप्त किए जा सकते हैं जिसके आधार पर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि आप संक्रमण के खिलाफ कितने सुरक्षित हैं। 

क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता?

अध्ययन के सह-लेखक अर्नेस्टो गुच्चियोन के अनुसार, टी -सेल परीक्षण टीकाकरण के एक वर्ष तक ही कारगर साबित हो सकता है। हालांकि इस किट के माध्यम से सामने आए अब तक के परिणाम बताते हैं कि यह संक्रमण के जोखिमों का पता लगाने का कारगर तरीका हो सकता है। हालांकि जिस तरह से प्रतिरक्षा को चकमा देने वाले वैरिएंट्स के मामले देखे जा रहे हैं ऐसे में यह किट कितना प्रभावी हो सकता है, फिलहाल इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं है। 

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।



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