Covid-19 Side effects: महामारी से लोगों की मानसिक सेहत पर हो रहा बुरा असर, जानें कैसे करें बचाव?


पिछले दो साल से अधिक समय से दुनियाभर में कोरोना संक्रमण का कहर जारी है। अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना के इस दौर ने शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जितनी चुनौतियां पैदा की हैं, लोगों की मानसिक सेहत पर भी इसका उतना ही नकारात्मक असर देखने को मिला है। होम आइसोलेशन, फिजिकल डिस्टेंसिंग, संक्रमण के दौरान अपनों से दूर रहने और समाज में फैली कई तरह की अनिश्चितताओं का कारण उन लोगों के मानसिक सेहत पर भी इसका असर देखा गया जोकि संक्रमण के शिकार भी नहीं थे। मनोरोग विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना के इस दौर में मानसिक स्वास्थ्य के शिकार लोगों के मामलों में 40-60 फीसदी तक का इजाफा हुआ है, साथ ही ऐसी आशंका है कि कोरोना के कारण आने वाले वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य के मामले और भी बढ़ते हुए देखने को मिल सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य के बढ़ते खतरों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने साल 2022-23 के बजट में इस दिशा में कदम उठाते हुए नेशनल टेली मेंटल हेल्थ सेंटर खोलने की घोषणा भी की है। फिलहाल स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक आज के दौर में लोगों को शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी अलर्ट रहना चाहिए। आइए उन उपायों के बारे में जानते हैं जिनको प्रयोग में लाकर आप इस अनिश्चितता भरे दौर में अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं। 

क्या कहते हैं मनोरोग विशेषज्ञ?

अमर उजाला से बातचीत में मनोरोग विशेषज्ञ डॉ सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं, मानसिक रोगों की पहचान और इसका निदान समय पर किया जाना आवश्यक है। पर समस्या इस बात की है कि आपको पता ही नहीं चलता कि कब आप इस तरह की दिक्कतों के शिकार हो गए हैं। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है, इसके अलावा समाज में फैले स्टिग्मा के कारण भी लोग इस बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते हैं। यह दोनों ही स्थितियां बीमारी को बढ़ावा दे सकती हैं। व्यक्ति को हमेशा अपने व्यवहार और दैनिक गतिविधियों का स्व-मूल्यांकन करते रहना चाहिए, ताकि इसमें होने वाले नकारात्मक बदलावों की पहचान की जा सके।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग और मेडिटेशन का ले सहारा

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना आपकी स्वयं की जिम्मेदारी है। कोरोना काल में क्वारंटाइन और आइसोलेशन के कारण लोगों का एक दूसरे से मिलना कम हो गया है, जिसके कारण अकेलेपन और चिंता जैसी समस्याएं बहुत बढ़ गई हैं। इस दौर की नकारात्मकता से निकलने के लिए आपको रिलैक्स रहने की जरूरत है। मेडिटेशन या धीमा संगीत सुनने जैसी आदतें इसमें आपकी मदद कर सकती हैं। मेडिटेशन से दिमाग शांत होता है और सकारात्मकता बढ़ती है।

दूसरों की मदद करें, अच्छा लगेगा

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक इंसान का स्वभाव दूसरों की मदद करने वाला है। अगर आप किसी की मदद करते हैं तो स्वाभाविक रूप से ऐसा करने से आपको अच्छा महसूस होता है। यह खुशी आपमें नई ऊर्जा का संचार करती है जो मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में सहायक है। दूसरों की मदद कई तरीके से की जा सकती है। ब्लड डोनेशन, पैसों की मदद, भूखे को खाना खिलाना या फिर लोगों से अच्छे से बात करना भी आपके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक है।

समस्या को पहचानें और मदद लें

डॉ सत्यकांत कहते हैं, अगर आपको लगातार चिंता-तनाव बनी रहती है, आप अवसाद का अनुभव करते हैं तो इसे छिपाएं नहीं। इस बारे में जल्द से जल्द किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। ध्यान रखें जिस तरह से शारीरिक स्वास्थ्य आवश्यक है, मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी उतना ही जरूरी है। सबसे बड़ी बात मानसिक स्वास्थ्य में समस्या के कारण आपकी उत्पादकता कम हो सकती है, इस बारे में सभी लोगों को जागरूकता दिखाने की आवश्यकता है।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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