COVID Case In France: कोरोना के सबसे ज्यादा मामले फ्रांस से क्यों आ रहे हैं? अप्रैल में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर इसका असर क्या?


सार

माना जा रहा है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फ्रांस में टीकाकरण नहीं कराने वालों के खिलाफ लड़ाई में खुद को खड़ा कर लिया है।

फ्रांस में कोरोना का कहर
– फोटो : सोशल मीडिया

ख़बर सुनें

भारत में कोरोना मामलों की संख्या में कुछ दिनों से कमी आ रही है, लेकिन इससे होने वाली मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना से देश में पिछले 24 घंटे में 1192 लोगों की मौतें हुई हैं। इससे पहले सोमवार को 959 तो रविवार को 893 मरीजों की जान गई थी। दूसरी तरफ दुनिया के अन्य देशों की बात करें तो अब नए संक्रमितों के मामले में अमेरिका को पछाड़कर फ्रांस शीर्ष पर आ गया है। हालांकि सक्रिय मामलों को लेकर अमेरिका अब भी विश्व में शीर्ष पर है। फ्रांस में पिछले एक दिन में 3.33 लाख नए संक्रमितों की पहचान हुई जबकि अमेरिका में सिर्फ 1.92 लाख ही नए संक्रमित मिले हैं। इस दौरान फ्रांस में 178 लोगों की मौतें हुई हैं। 

वजह क्या?
फ्रांस में कोरोना के अधिक मामले आने की वजह कथित तौर पर अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वैरिएंट को बताया जा रहा है। जो वैसे तो कम खतरनाक माना जाता है लेकिन तेजी से संक्रमण फैला रहा है। अस्पतालों कोरोना मरीजों से भरे हुए हैं। फ्रांसीसी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, गहन देखभाल इकाइयों में लगभग 75 फीसदी कोरोना के चपेट में आने वाले मरीज हैं। फ्रांस ने यह मान लिया था कि जनवरी के मध्य में कोरोना अपने चरम पर पहुंच गया है। लेकिन नए मामले तेजी से बढ़ते दिख रहे हैं। इसी महीने 20 जनवरी को कोरोना के 425,183 नए मामले मिले। 
हालांकि बीते 21 जनवरी को फ्रांस की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी के हवाले से बताया गया है कि देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट ‘निम्न स्तर पर’ पाया गया है, लेकिन दुनिया भर में यह वैरिएंट तेजी से फैल रहा है, इसलिए जैसे-जैसे समय बीतेगा सही स्थिति का पता लगेगा। 

इस बीच फ्रांस के वैज्ञानिकों ने कोरोना के एक और वेरिएंट आईएचयू  का भी पता लगाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह वैरिएंट 46 बार अपना रूप बदल चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शोधकर्ता यह पता लगाने में जुटे हैं कि कहीं फ्रांस में कोरोना के बढ़ रहे मामलों में इस वैरिएंट का हाथ भी तो नहीं?

नए नियम क्या?
कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के बाद फ्रांस में पिछले सप्ताह से नए नियम लागू किए गए हैं। 24 जनवरी से देश में विवादास्पद नया ‘वैक्सीन पास’ लागू हुआ है। इस नियम के लागू होने के बाद लोगों को अब बार, रेस्तरां, ट्रेनों और विमानों में प्रवेश करने के लिए टीके की दोनों खुराक लेना आवश्यक है। अब छुट्टी की गतिविधियों, किसी भी कार्य आयोजन और लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए कोरोना का निगेटिव रिपोर्ट पर्याप्त नहीं माना जाएगा। हालांकि प्रधान मंत्री जीन कास्टेक्स ने पिछले हफ्ते दो फरवरी से फ्रांस में कोरोना प्रतिबंध हटाने के लिए एक समय सारिणी की घोषणा की। माना जा रहा है कि नाइट क्लब जो दिसंबर से बंद हैं वह 16 फरवरी से खुल सकेंगे। 
 
कितनी आबादी का टीकाकरण हो गया?
फ्रांस की 77 प्रतिशत से अधिक आबादी को कोरोना टीके की दोनों खुराक मिल चुकी है। करीब 49 फीसदी आबादी ने बूस्टर डोज भी ले लिया है। नए वैक्सीन पास की शुरूआत को टीकाकरण की दर बढ़ाने के एक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। फ्रांस के पर्यटन मंत्री जीन बैप्टिस्ट लेमोयने के एक बयान के मुताबिक वैक्सीन पास एक गेम-चेंजर है जिससे सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू की जा सकेंगी।

राष्ट्रपति चुनाव पर इसका असर क्या? 
फ्रांस में अप्रैल में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। यहां विपक्ष की स्थिति कमजोर मानी जा रही है, इसलिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की फिर से दावेदारी मजबूत बताई जा रही है। जनमत सर्वेक्षणों के पहले दौर में मैक्रोन को आगे दिखाया गया था। लेकिन इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कोरोना टीका नहीं लगाने वालों के खिलाफ गुस्से में ‘आपत्तिजनक’ बयान दिया था। राष्ट्रपति ने एक इंटरव्यू में टीकाकरण पर जोर देने की अपनी रणनीति की चर्चा करने के दौरान अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘मैं वास्तव में ऐसे लोगों को बाहर भगाना चाहता हूं, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है और हम ऐसा करना जारी रखेंगे।’

उनके इस बयान को लेकर पूरे देश में बवाल मचा और संसद से लेकर सड़क तक राष्ट्रपति का विरोध भी हुआ। वैक्सीन पास के विवाद के बीच शिक्षकों ने भी कोरोना पाबंदियो को लेकर हड़ताल की। इसे लकर सड़कों पर प्रदर्शन हुए और सरकार के खिलाफ गुस्सा देखा गया।
राष्ट्रपति चुनाव में बन सकता है मुद्दा
बताया जा रहा है कि इन सभी मुद्दों का असर राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ सकता है। फ्रांसीसी मतदाता पिछले दो साल से कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। स्वास्थ्य संकट जारी है इसलिए महामारी को काबू में रखना मैंक्रों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। वहीं दूसरी तरफ जानकार यह अनुमान लगा रहे हैं कि यदि महामारी फिर से बढ़ती है, तो स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं राष्ट्रपति चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है।

जानकार यह भी मानते हैं कि राष्ट्रपति उम्मीदवार को महामारी के प्रभाव से निपटने और इस वजह से बढ़ते सार्वजनिक घाटे को कम करने के उपाय के बारे में बताना होगा। वैसे कोरोना पाबंदियों के बीच फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार अभियान शुरू हो गया है। उम्मीदवार महामारी की स्थिति को देखते हुए सोशल मीडिया का सहारा लेकर चुनाव प्रचार करने की रणनीति बना रहे हैं।

विस्तार

भारत में कोरोना मामलों की संख्या में कुछ दिनों से कमी आ रही है, लेकिन इससे होने वाली मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना से देश में पिछले 24 घंटे में 1192 लोगों की मौतें हुई हैं। इससे पहले सोमवार को 959 तो रविवार को 893 मरीजों की जान गई थी। दूसरी तरफ दुनिया के अन्य देशों की बात करें तो अब नए संक्रमितों के मामले में अमेरिका को पछाड़कर फ्रांस शीर्ष पर आ गया है। हालांकि सक्रिय मामलों को लेकर अमेरिका अब भी विश्व में शीर्ष पर है। फ्रांस में पिछले एक दिन में 3.33 लाख नए संक्रमितों की पहचान हुई जबकि अमेरिका में सिर्फ 1.92 लाख ही नए संक्रमित मिले हैं। इस दौरान फ्रांस में 178 लोगों की मौतें हुई हैं। 

वजह क्या?

फ्रांस में कोरोना के अधिक मामले आने की वजह कथित तौर पर अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वैरिएंट को बताया जा रहा है। जो वैसे तो कम खतरनाक माना जाता है लेकिन तेजी से संक्रमण फैला रहा है। अस्पतालों कोरोना मरीजों से भरे हुए हैं। फ्रांसीसी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, गहन देखभाल इकाइयों में लगभग 75 फीसदी कोरोना के चपेट में आने वाले मरीज हैं। फ्रांस ने यह मान लिया था कि जनवरी के मध्य में कोरोना अपने चरम पर पहुंच गया है। लेकिन नए मामले तेजी से बढ़ते दिख रहे हैं। इसी महीने 20 जनवरी को कोरोना के 425,183 नए मामले मिले। 

image Source

Enable Notifications OK No thanks