दिल्ली एम्स निदेशक नियुक्ति: इन नामों पर चर्चा हुई तेज, बाहरी राज्य से आए सबसे अधिक आवेदन


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Vikas Kumar
Updated Tue, 01 Feb 2022 01:07 AM IST

सार

चर्चा है कि आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव को इस बार एम्स का निदेशक बनाया जा सकता है। हालांकि डॉ. भार्गव ने पिछली बार भी एम्स निदेशक के लिए काफी प्रयास किए थे लेकिन अंत में डॉ. रणदीप गुलेरिया के नाम पर मुहर लगाई गई और डॉ. भार्गव को आईसीएमआर का महानिदेशक नियुक्त किया गया। 

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देश के चिकित्सीय वर्ग में दिल्ली एम्स को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हुआ है। इस बार दिल्ली एम्स के निदेशक पद के लिए सबसे अधिक आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। इनमें ज्यादातर दावेदारी बाहरी राज्य या अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों ने की है। जबकि एम्स के ही डॉक्टरों की ओर से कम आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। 

जानकारी मिली है कि एम्स निदेशक पद के लिए अब तक 31 दावेदारी हुई हैं जिनमें से 17 यानी 50 फीसदी से अधिक आवेदन बाहरी अस्पताल या राज्यों में कार्यरत डॉक्टरों के प्राप्त हुए हैं। अगले महीने मार्च में डॉ. रणदीप गुलेरिया का कार्यकाल पूरा हो रहा है। उससे पहले इस प्रक्रिया को पूरा करना भी जरूरी है।

चर्चा है कि आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव को इस बार एम्स का निदेशक बनाया जा सकता है। हालांकि डॉ. भार्गव ने पिछली बार भी एम्स निदेशक के लिए काफी प्रयास किए थे लेकिन अंत में डॉ. रणदीप गुलेरिया के नाम पर मुहर लगाई गई और डॉ. भार्गव को आईसीएमआर का महानिदेशक नियुक्त किया गया। कहा जा रहा है कि इस बार भी डॉ. भार्गव ने दावेदारी की है। इनके अलावा एम्स से एक बड़ा नाम ट्रामा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा का है। डॉ. मल्होत्रा की निगरानी में एम्स बीते दो साल से कोविड महामारी का सामना कर रहा है। डॉ. मल्होत्रा को लेकर एम्स के अधिकांश फैकल्टी भी समर्थन में है। उनके व्यवहार और आचरण का हवाला देते हुए इस पद के लिए उन्हें उचित दावेदार माना जा रहा है। 

इनके अलावा जीटीबी अस्पताल के पूर्व निदेशक और वर्तमान में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार का नाम भी इस दौड़ में शामिल है। हालांकि डॉ. सुनील कुमार को लेकर एम्स की फैकल्टी एकमत नहीं है। एम्स के ही न्यूरो सेंटर से डॉ. एमवी पद्मा और डॉ. निखिल टंडन का नाम काफी तेजी से चल रहा है। इनमें से डॉ. निखिल टंडन को दावेदारी मजबूत बताई जा रही है क्योंकि डॉ. टंडन कई वर्षों से सरकार के शीर्ष पदों पर रहने वालों की स्वास्थ्य निगरानी भी देख चुके हैं। इनके अलावा चंडीगढ़ पीजीआई, सफदरजंग, आरएमएल से भी कई डॉक्टरों के नाम दावेदारी में हैं। 

एम्स से ही एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल नवंबर माह में निदेशक पद के लिए आवेदन मांगे गए थे। अब तक 35 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमें से कुछ आधे अधूरे भी हैं। कुल 31 में से 14 आवेदन उन लोगों के हैं जो वर्तमान में दिल्ली एम्स में ही अपनी स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं लेकिन 17 आवेदन एम्स के बाहर से आए हैं। 

निदेशक पद को लेकर एम्स के फैकल्टी में भी काफी चर्चाएं तेज हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस बार प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से ही किसी का नाम अंतिम हो सकता है। वहीं कुछ का कहना है कि वरिष्ठतता की सूची के आधार पर एम्स के ही वरिष्ठ डॉक्टर को इस पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इस जिम्मेदारी को लेने के लिए सियासी गलियारों में भी डॉक्टरों ने चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। 

नियमानुसार निदेशक पद के लिए देश के किसी भी प्रतिष्ठित चिकित्सीय संस्थान में कार्यरत डॉक्टर आवेदन दे सकता है। कम से कम 25 साल का अनुभव और 10 का चिकित्सीय शोध अध्ययन का अनुभव होना अनिवार्य है। 

विस्तार

देश के चिकित्सीय वर्ग में दिल्ली एम्स को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हुआ है। इस बार दिल्ली एम्स के निदेशक पद के लिए सबसे अधिक आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। इनमें ज्यादातर दावेदारी बाहरी राज्य या अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों ने की है। जबकि एम्स के ही डॉक्टरों की ओर से कम आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। 

जानकारी मिली है कि एम्स निदेशक पद के लिए अब तक 31 दावेदारी हुई हैं जिनमें से 17 यानी 50 फीसदी से अधिक आवेदन बाहरी अस्पताल या राज्यों में कार्यरत डॉक्टरों के प्राप्त हुए हैं। अगले महीने मार्च में डॉ. रणदीप गुलेरिया का कार्यकाल पूरा हो रहा है। उससे पहले इस प्रक्रिया को पूरा करना भी जरूरी है।

चर्चा है कि आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव को इस बार एम्स का निदेशक बनाया जा सकता है। हालांकि डॉ. भार्गव ने पिछली बार भी एम्स निदेशक के लिए काफी प्रयास किए थे लेकिन अंत में डॉ. रणदीप गुलेरिया के नाम पर मुहर लगाई गई और डॉ. भार्गव को आईसीएमआर का महानिदेशक नियुक्त किया गया। कहा जा रहा है कि इस बार भी डॉ. भार्गव ने दावेदारी की है। इनके अलावा एम्स से एक बड़ा नाम ट्रामा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा का है। डॉ. मल्होत्रा की निगरानी में एम्स बीते दो साल से कोविड महामारी का सामना कर रहा है। डॉ. मल्होत्रा को लेकर एम्स के अधिकांश फैकल्टी भी समर्थन में है। उनके व्यवहार और आचरण का हवाला देते हुए इस पद के लिए उन्हें उचित दावेदार माना जा रहा है। 

इनके अलावा जीटीबी अस्पताल के पूर्व निदेशक और वर्तमान में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार का नाम भी इस दौड़ में शामिल है। हालांकि डॉ. सुनील कुमार को लेकर एम्स की फैकल्टी एकमत नहीं है। एम्स के ही न्यूरो सेंटर से डॉ. एमवी पद्मा और डॉ. निखिल टंडन का नाम काफी तेजी से चल रहा है। इनमें से डॉ. निखिल टंडन को दावेदारी मजबूत बताई जा रही है क्योंकि डॉ. टंडन कई वर्षों से सरकार के शीर्ष पदों पर रहने वालों की स्वास्थ्य निगरानी भी देख चुके हैं। इनके अलावा चंडीगढ़ पीजीआई, सफदरजंग, आरएमएल से भी कई डॉक्टरों के नाम दावेदारी में हैं। 

एम्स से ही एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल नवंबर माह में निदेशक पद के लिए आवेदन मांगे गए थे। अब तक 35 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमें से कुछ आधे अधूरे भी हैं। कुल 31 में से 14 आवेदन उन लोगों के हैं जो वर्तमान में दिल्ली एम्स में ही अपनी स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं लेकिन 17 आवेदन एम्स के बाहर से आए हैं। 

निदेशक पद को लेकर एम्स के फैकल्टी में भी काफी चर्चाएं तेज हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस बार प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से ही किसी का नाम अंतिम हो सकता है। वहीं कुछ का कहना है कि वरिष्ठतता की सूची के आधार पर एम्स के ही वरिष्ठ डॉक्टर को इस पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इस जिम्मेदारी को लेने के लिए सियासी गलियारों में भी डॉक्टरों ने चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। 

नियमानुसार निदेशक पद के लिए देश के किसी भी प्रतिष्ठित चिकित्सीय संस्थान में कार्यरत डॉक्टर आवेदन दे सकता है। कम से कम 25 साल का अनुभव और 10 का चिकित्सीय शोध अध्ययन का अनुभव होना अनिवार्य है। 

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