बैकफुट पर दिल्ली पुलिस : बवाल की जांच के दौरान भ्रम की स्थिति में है महकमा, कार्यशैली पर कई सवाल 


सार

दिल्ली पुलिस लगातार अपना बयान भी बदल रही है। दिल्ली पुलिस के पास इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं है कि बिना अनुमति शोभायात्रा करने की इजाजत क्यों दी गई। 

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जहांगीरपुरी हिंसा को लेकर पुलिस की जांच में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, जिनका जवाब आना अभी बाकी है। इसी के साथ दिल्ली पुलिस लगातार अपना बयान भी बदल रही है। दिल्ली पुलिस के पास इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं है कि बिना अनुमति शोभायात्रा करने की इजाजत क्यों दी गई। 

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 16 अप्रैल की सुबह और दोपहर में जहांगीरपुरी में आयोजित दो शोभायात्राओं को अनुमति दी गई थी, लेकिन शाम को आयोजित शोभायात्रा को नहीं दी। ऐसे में भारी संख्या में लोग यात्रा में कैसे शामिल हो गए। इसका जवाब पुलिस के पास नहीं है। बिना अनुमति शोभायात्रा होने का खुलासा होते ही पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज कर एक की गिरफ्तारी की जानकारी भी दे दी, लेकिन कुछ ही मिनटों में उस जानकारी को गलत बताया और कहा गया कि आयोजक तफ्तीश में शामिल हो गए हैं। 

इस बीच विहिप की ओर से बयान आया कि उन पर कोई कार्रवाई होती है तो वह आंदोलन करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसी दबाव को लेकर पुलिस अपना स्टैंड बदल रही है। इस सवाल का भी पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है कि यात्रा के निकलने के बाद उसे रोका क्यों नहीं। शोभायात्रा में गड़बड़ी हो सकती है, इसकी खुफिया जानकारी पुलिस को क्यों नहीं थी। किसी भी घटना के बाद फॉरेंसिंक टीम मौके पर पहुंचती है, लेकिन पुलिस के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि फॉरेंसिक टीम 36 घंटे बाद क्यों पहुंची। ब्यूरो

हिंसा की सभी पहलुओं से जांच, 14 टीमें गठित
जहांगीरपुरी हिंसा मामले में पुलिस अब तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनके अलावा 2 नाबालिगों को भी पकड़ा है। आठ आरोपी ऐसे हैं, जिनके खिलाफ पहले से आपराधिक मामले दर्ज हैं। दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हिंसा की हर कोण से जांच की जा रही है। इसमें प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से शामिल किसी भी आरोपी को बक्शा नहीं जाएगा। मामले की जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा कर रही है और 14 टीमें बनाई गई हैं। 

अस्थाना ने मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के सवाल पर कहा कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। विवाद मामूली बात पर शुरू हुआ था और बाद में हिंसा शुरू हो गई। पथराव में आठ पुलिसकर्मियों समेत 9 लोग जख्मी हुए हैं। इससे साफ पता चलता है कि पुलिस ने दोनों पक्षों को अलग-अलग किया। पुलिस की तत्परता के चलते ही आम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचा। पूरे मामले में एकतरफा कार्रवाई के सवाल पर कहा कि दोनों की पक्षों के लोगों को गिरफ्तार किया है। डिजिटल सबूतों को विश्लेषण किया जा रहा है। सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

गलत सूचना फैलाने वालों पर होगी कार्रवाई
अस्थाना ने कहा किलोग सोशल मीडिया के जरिए शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस इन सब पर नजर रख रही है और गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शोभायात्रा में पीछे जो लोग मौजूद थे उनका मस्जिद के आसपास खड़े लोगों से टकराव हो गया था। शांतिपूर्ण माहौल बनाने के लिए 20 अमन कमेटियों के साथ बैठक की है। कोशिश की जा रही है कि पीस कमेटियों के जरिए संवेदनशील इलाकों में शांति स्थापित  की जा सके। जहांगीरपुरी के अन्य संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल तैनात हैं। जब तक पूर्ण शांति नहीं हो जाती पुलिस अफसर फील्ड में रहेंगे।

अंसार और असलम की पुलिस हिरासत दो दिन बढ़ी
अदालत ने जहांगीरपुरी हिंसा मामले के दो मुख्य आरोपियों अंसार और असलम की पुलिस हिरासत सोमवार को दो दिन के लिए बढ़ा दी। वहीं, चार अन्य को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने आरोपियों की एक दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद पुन: अदालत के समक्ष पेश कर पुलिस रिमांड बढ़ाने का आग्रह किया। जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित शोभायात्रा के दौरान हिंसा की साजिश में शामिल अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने के अलावा उनसे अभी पूछताछ करनी है। 

पुलिस ने तर्क रखा कि सीसीटीवी फुटेज  देखने के अलावा इस मामले में शामिल अन्य लोगों की पहचान करनी है,  वहीं चार अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने का आग्रह किया। अदालत ने रविवार को 12 अन्य को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके साथ ही 15 अप्रैल की हिंसा के संबंध में न्यायिक हिरासत में भेजे लोगों की संख्या 16 तक पहुंच गई है।

विस्तार

जहांगीरपुरी हिंसा को लेकर पुलिस की जांच में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, जिनका जवाब आना अभी बाकी है। इसी के साथ दिल्ली पुलिस लगातार अपना बयान भी बदल रही है। दिल्ली पुलिस के पास इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं है कि बिना अनुमति शोभायात्रा करने की इजाजत क्यों दी गई। 

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 16 अप्रैल की सुबह और दोपहर में जहांगीरपुरी में आयोजित दो शोभायात्राओं को अनुमति दी गई थी, लेकिन शाम को आयोजित शोभायात्रा को नहीं दी। ऐसे में भारी संख्या में लोग यात्रा में कैसे शामिल हो गए। इसका जवाब पुलिस के पास नहीं है। बिना अनुमति शोभायात्रा होने का खुलासा होते ही पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज कर एक की गिरफ्तारी की जानकारी भी दे दी, लेकिन कुछ ही मिनटों में उस जानकारी को गलत बताया और कहा गया कि आयोजक तफ्तीश में शामिल हो गए हैं। 

इस बीच विहिप की ओर से बयान आया कि उन पर कोई कार्रवाई होती है तो वह आंदोलन करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसी दबाव को लेकर पुलिस अपना स्टैंड बदल रही है। इस सवाल का भी पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है कि यात्रा के निकलने के बाद उसे रोका क्यों नहीं। शोभायात्रा में गड़बड़ी हो सकती है, इसकी खुफिया जानकारी पुलिस को क्यों नहीं थी। किसी भी घटना के बाद फॉरेंसिंक टीम मौके पर पहुंचती है, लेकिन पुलिस के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि फॉरेंसिक टीम 36 घंटे बाद क्यों पहुंची। ब्यूरो

हिंसा की सभी पहलुओं से जांच, 14 टीमें गठित

जहांगीरपुरी हिंसा मामले में पुलिस अब तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनके अलावा 2 नाबालिगों को भी पकड़ा है। आठ आरोपी ऐसे हैं, जिनके खिलाफ पहले से आपराधिक मामले दर्ज हैं। दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हिंसा की हर कोण से जांच की जा रही है। इसमें प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से शामिल किसी भी आरोपी को बक्शा नहीं जाएगा। मामले की जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा कर रही है और 14 टीमें बनाई गई हैं। 

अस्थाना ने मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के सवाल पर कहा कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। विवाद मामूली बात पर शुरू हुआ था और बाद में हिंसा शुरू हो गई। पथराव में आठ पुलिसकर्मियों समेत 9 लोग जख्मी हुए हैं। इससे साफ पता चलता है कि पुलिस ने दोनों पक्षों को अलग-अलग किया। पुलिस की तत्परता के चलते ही आम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचा। पूरे मामले में एकतरफा कार्रवाई के सवाल पर कहा कि दोनों की पक्षों के लोगों को गिरफ्तार किया है। डिजिटल सबूतों को विश्लेषण किया जा रहा है। सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

गलत सूचना फैलाने वालों पर होगी कार्रवाई

अस्थाना ने कहा किलोग सोशल मीडिया के जरिए शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस इन सब पर नजर रख रही है और गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शोभायात्रा में पीछे जो लोग मौजूद थे उनका मस्जिद के आसपास खड़े लोगों से टकराव हो गया था। शांतिपूर्ण माहौल बनाने के लिए 20 अमन कमेटियों के साथ बैठक की है। कोशिश की जा रही है कि पीस कमेटियों के जरिए संवेदनशील इलाकों में शांति स्थापित  की जा सके। जहांगीरपुरी के अन्य संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल तैनात हैं। जब तक पूर्ण शांति नहीं हो जाती पुलिस अफसर फील्ड में रहेंगे।

अंसार और असलम की पुलिस हिरासत दो दिन बढ़ी

अदालत ने जहांगीरपुरी हिंसा मामले के दो मुख्य आरोपियों अंसार और असलम की पुलिस हिरासत सोमवार को दो दिन के लिए बढ़ा दी। वहीं, चार अन्य को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने आरोपियों की एक दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद पुन: अदालत के समक्ष पेश कर पुलिस रिमांड बढ़ाने का आग्रह किया। जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित शोभायात्रा के दौरान हिंसा की साजिश में शामिल अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने के अलावा उनसे अभी पूछताछ करनी है। 

पुलिस ने तर्क रखा कि सीसीटीवी फुटेज  देखने के अलावा इस मामले में शामिल अन्य लोगों की पहचान करनी है,  वहीं चार अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने का आग्रह किया। अदालत ने रविवार को 12 अन्य को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके साथ ही 15 अप्रैल की हिंसा के संबंध में न्यायिक हिरासत में भेजे लोगों की संख्या 16 तक पहुंच गई है।



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