Deoband: जमीयत के अधिवेशन का आज दूसरा दिन, मुस्लिम धर्मगुरुओं ने रखा प्रस्ताव- कॉमन सिविल कोड बर्दाश्त नहीं


देवबंद में जमीयत के अधिवेशन के प्रथम चरण में कई प्रस्ताव पेश किए गए, साथ ही कुछ अहम सुझाव दिए गए। अधिवेशन में दूसरे दिन ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा शाही ईदगाह और कॉमन सिविल कोड को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए। जिसका अधिवेशन में मौजूद उलमा ने खुले दिल से समर्थन किया। कहा कि कॉमन सिविल कोड को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। मौलाना असद मदनी ने कहा कि कितना कुछ सहने के बावजूद हम चुप हैं। यह हमारे सब्र का इम्तिहान है, कहा कि यदि हमारा खाना, पहनना नहीं पसंद तो हमारे साथ मत रहो, कहीं और चले जाओ। जमीयत उलमा-ए-हिंद के दो दिवसीय अधिवेशन में उलमा देश के मौजूदा हालात समेत अनेक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। अंतिम दिन आज कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगेगी, कई अहम निर्णय भी लिए जाएंगे।

वही अधिवेशन के पहले दिन देश में नफरत के बढ़ते हुए दुष्प्रचार को रोकने के उपायों पर विचार किए जाने और इस्लामोफोबिया की रोकथाम के विषय में प्रस्ताव व सुझाव प्रतिनिधियों के समक्ष रखा गया। सद्भावना मंच को मजबूत करने पर विचार संबंधी प्रस्ताव रखा गया। जिसके तहत विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के लोगों की संयुक्त बैठक करना, आम नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करना, मजदूर भाइयों, किसानों और पिछड़े लोगों की सेवा करना, अनाथ, विधवाओं और मजबूर लोगों की मदद करना, नवयुवकों को नशे की आदत और यौन भटकाव से बचाने के लिए मिलजुलकर प्रयास करना, संवेदनशील धार्मिक मुद्दों (जैसे गोरक्षा, धर्मस्थलों में लाउडस्पीकर का उपयोग, त्योहारों के मौके पर सार्वजनिक जगहों का इस्तेमाल) आदि की समस्या कहीं हो तो उसका शांतिपूर्ण समाधान खोजना आदि सुझाव पेश किए गए। इस सभी सुझावों पर प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। जिस पर आज अंतिम चरण के अधिवेशन में मुहर लगेगी।

ज्ञानवापी मजिस्द समेत अन्य मुद्दो पर चर्चा होगी

जमीयत के राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के चर्चित मुद्दे ज्ञानवापी मस्जिद सहित अन्य धार्मिक स्थलों, वर्तमान देश के हालात सहित अन्य मुद्दे पर चर्चा के उपरांत प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। अधिवेशन के दूसरे या तीसरे चरण में इनको लेकर अहम निर्णय लेने की संभावना है। हालांकि अभी इस पर संगठन का कोई भी पदाधिकारी खुलकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है। देशभर की मीडिया की नजरें भी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जमीयत के अधिवेशन पर टिकी हुई हैं। 

हर वर्ष 15 मार्च को मनाया जाएगा विश्व इस्लामोफोबिया दिवस 

अधिवेशन में जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से वक्ताओं ने वर्तमान हालात पर चिंता जताते हुए कुछ उपाय सुझाए। जिसमें वर्ष 2017 में प्रकाशित विधि आयोग की 267 वीं रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा भड़काने वालों और सभी अल्पसंख्यकों को विशेष रूप से दंडित करने के लिए एक अलग कानून बनाया जाना चाहिए। विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के प्रयासों को विफल किया जाना चाहिए। इस अधिवेशन में हर साल 15 मार्च को विश्व इस्लामोफोबिया दिवस मनाने की भी घोषणा की गई।

शादियों में फिजूलखर्ची पर लगे प्रतिबंध

जमीयत के मंच से समाज सुधार को लेकर भी विचार रखे गए। मौलाना मोअज्जम ने इस्लाही मुआशरा (समाज सुधार) को लेकर रिपोर्ट पेश की, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची पर प्रतिबंध लगाया जाए। इसके साथ ही समाज में फैल रही कुरीतियों जैसे नशाखोरी, बाल मजदूरी सहित अन्य मुद्दों पर ध्यान दिलाया और इन्हें समाप्त करने पर जोर दिया। 

धर्म के खिलाफ उन्माद फैलाने वाले चैनलों पर लगे प्रतिबंध : मंसूरपुरी

जमीयत उलमा-ए-हिंद के उपाध्यक्ष मौलाना सलमान मंसूरपुरी ने इस्लाम धर्म के खिलाफ जारी नफरत ( इस्लामोफोबिया ) से संबंधित मुद्दे पर कहा कि मुसलमान अपने रवैये से ये साबित करने की कोशिश करें कि वे सिर्फ अपने धर्म को ही सर्वोपरि नहीं मानते। इस्लाम के विश्वबंधुत्व के संदेश को आम किया जाए। अंतर धार्मिक संवाद को बढ़ाने के भी प्रयास किए जाए। मुसलमान अपने क्रियाकलापों से इस्लाम के सही पैरोकार बनें। सरकार ऐसे मेनस्ट्रीम और यूट्यूब चैनलों पर रोक लगाए जो इस्लाम धर्म के खिलाफ उन्माद फैलाते हैं।

 



Source link

Enable Notifications OK No thanks