Income Tax: क्‍या PPF, FD और RD पर मिलने वाले ब्याज पर भी देना होता है टैक्स?


नई दिल्‍ली. इनकम टैक्‍स रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है. ITR फाइल करते समय अपनी आय की सही जानकारी देना जरूरी होता है. बहुत से लोगों को इस बात का पता नहीं होता कि सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) पर मिलने वाले ब्याज पर भी इनकम टैक्स देना होता है. फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और प्रोविडेंट फंड में बचत के लिए बहुत ज्‍यादा लोग निवेश करते हैं. ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि वे इनमें निवेश को सहज, सरल व सुरक्षित मानते हैं.

आयकर अधिनियम के अनुसार, सेविंग्स स्कीम्स से मिलने वाले ब्याज को ‘अन्य स्रोत से इनकम’ माना जाता है. यही कारण है कि सेविंग अकाउंट, फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट और रिकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्‍याज पर टैक्‍स लगता है और बैंक टीडीएस काट सकता है. लेकिन, आयकरदाता की कुल आय छूट की सीमा (सालाना 2.5 लाख रुपये) से ज्यादा होने पर ही टैक्स लगता है. आयकर अधिनियम की धारा 80सी, 80डी की मदद से आयकरदाता अपनी टैक्‍स देयता घटा भी सकते हैं.

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फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) ब्‍याज पर टैक्‍स

अगर एक आम आदमी को एक वित्त वर्ष में बैंक FD पर मिलने वाला ब्याज 40 हजार रुपये से कम है तो इस पर कोई टैक्स नहीं देना होता. वहीं सीनियर सिटीजन को FD पर मिले 50 हजार रुपये तक पर कोई टैक्‍स नहीं देना होता है. इससे ज्यादा आय होने पर 10 फीसदी TDS काटा जाता है. अगर बैंक एफडी से इंटरेस्ट की इनकम जोड़ने के बाद भी आपकी कुल इनकम टैक्स छूट की सीमा (सालाना 2.5 लाख रुपये) के अंदर रहती है तो TDS से आपको छूट मिलती है.

RD से ब्याज पर टैक्स

रिकरिंग डिपॉजिट (RD) से होने वाली ब्याज आय अगर 40,000 रुपये तक है तो 60 साल से कम उम्र के व्‍यक्तियों को कोई टैक्‍स नहीं देता होता है. सीनियर सिटीजन के लिए यह छूट 50,000 रुपये तक है. इसके ज्‍यादा रकम पर दस फीसदी टीडीएस काटा जाता है.

पीपीएफ ब्‍याज पर टैक्‍स

PPF सुरक्षित निवेश माध्यमों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. इसकी वजह यह है कि इसमें पैसे की सुरक्षा के साथ बढ़िया ब्‍याज तो मिलता ही है साथ ही इस ब्‍याज पर कोई टैक्‍स भी नहीं चुकाना होता है. पीपीएफ डिपॉजिट, इंटरेस्ट और आखिर में मैच्योरिटी अमाउंट टैक्स के दायरे से बाहर हैं. इसलिए यह पूरी तरह से टैक्स-फ्री निवेश माध्यम है.

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जमा कराना होता है फॉर्म 15H और 15G

अगर फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट या RD से सालाना ब्याज आय 40,000 और 50,000 रुपये से अधिक है, लेकिन कुल सालाना आय (ब्याज आय मिलाकर) उस सीमा तक नहीं है, जहां उस पर टैक्स लगे तो बैंक TDS नहीं काट सकता. इसके लिए सीनियर सिटीजन को बैंक में फॉर्म 15H और अन्य लोगों को फॉर्म 15G देना होता है. ये दोनों ही स्‍वयं की गई घोषणा वाले हैं, जिनके माध्‍यम से बताया जाता है कि यह फॉर्म भरने वाले की आय टैक्स की सीमा से बाहर है.

Tags: Bank FD, Income tax, ITR, Personal finance

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