प्रश्नकाल में सीएम योगी : कहा- चुनावी माहौल पर न किसान आंदोलन का असर है, न सत्ता विरोधी रुझान


अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 10 Feb 2022 05:32 AM IST

सार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में भाजपा की बड़ी जीत का दावा करते हैं। कहते हैं, माहौल भाजपा के पक्ष में है। चुनाव जातियों के दायरे से बाहर निकलकर 2017 की तर्ज पर रिकॉर्ड जीत की तरफ बढ़ गया है। उन्होंने याद दिलाया, 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन था, तब राजनीतिक विश्लेषक क्या बोलते थे ? परिणाम क्या रहा? सपा पांच सीटों पर सिमट गई और भाजपा ने 64 सीटें जीतीं। सीएम दावा करते हैं, पांच साल में भाजपा ने जो कहा, वह करके दिखाया, अब भी जो कहेंगे, करके दिखाएंगे। अन्नदाताओं के लिए जितना काम भाजपा ने किया, उतना किसी ने नहीं किया। इसलिए न तो सरकार के खिलाफ नाराजगी है, न ही किसान आंदोलन का असर। अखिलेश से जयंत की दोस्ती पर वह कहते हैं, बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना। राजेन्द्र सिंह और चंद्रमोहन शर्मा ने सीएम योगी से विस्तार से बातचीत की। पेश है खास अंश…

योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ
– फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

पश्चिमी यूपी और प्रदेश में चुनावी संभावनाएं

विधानसभा चुनाव का पहला चरण हो या आगे के चरण, भाजपा 2017 की तर्ज पर रिकॉड सीट जीतेगी। आपने देखा होगा, मतदाता मुखर है। भाजपा की डबल इंजन सरकार ने जिस पारदर्शिता से प्रदेश की सेवा की है, उसे हर व्यक्ति ने स्वीकारा है। हर मतदाता भाजपा को जिताने के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्रवाद, सुरक्षा, विकास और सुशासन हमारे मुद्दे रहे। पांच साल में एक भी दंगा नहीं हुआ, जबकि सपा की सरकार में 700 से ज्यादा दंगे हुए थे। इनमें सैकड़ों लोगों की जान गई, लाखों लोगों को बेघर होना पड़ा। आज हर बेटी-बहन सुरक्षित है। पहले विकास योजनाओं पर डकैती पड़ती थी, पूंजी निवेश कैसे होता ? दो साल कोरोना महामारी में बीतने के बावजूद प्रदेश में 3.50 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।   

इसलिए पश्चिमी यूपी का साथ

मेरठ समेत पश्चिमी यूपी ही नहीं, मध्य यूपी, बुंदेलखंड और पूर्वांचल में बहुत काम हुए हैं। सहारनपुर में मां शाकंभरी के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय, मेरठ में भारत रत्न मेजर ध्यान चंद के नाम पर खेल विश्वविद्यालय और अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय का निर्माण हो रहा है। जेवर में एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा बन रहा है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे बन चुका है। मेरठ से दिल्ली के बीच 30 हजार करोड़ रुपये की लागत से रेपिड रेल व मेट्रो का काम चल रहा है। ओडीओपी में पश्चिमी यूपी के हर जिले के उत्पाद को नई पहचान दी है। करोड़ों लोग कांवड़ यात्रा में भाग लेते हैं। मुजफ्फरनगर, बिजनौर, संभल और बदायूं समेत विभिन्न जिलों में मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं। जनता को विकास, सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था चाहिए। हम इसी काम को और अच्छे ढंग से आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे।

 किसान आंदोलन निष्प्रभावी रहा

अन्नदाता के लिए डबल इंजन सरकार ने पीएम फसल योजना, मृदा हेल्थ कार्ड, कृषि सिंचाई समेत अनेक योजनाएं चलाई। लागत के डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ दिया। 10 करोड़ लोगों को किसान सम्मान निधि से लाभान्वित कर रहे हैं। मार्च 2017 में सत्ता में आने के बाद 86 लाख किसानों का ऋण माफ किया। गेहूं व धान खरीद करके 72 हजार करोड़ रुपये किसानों के खातों में भेजे गए। इन्हीं सबके चलते प्रदेश में किसान आंदोलन निष्प्रभावी रहा।

 सरकार से नाराजगी नहीं, जनता फिर देगी मौका

सरकार के खिलाफ कहीं कोई नाराजगी नहीं है। यह पहली बार है कि कोई मुख्यमंत्री 403 विधानसभा सीटों पर चला, उसके खिलाफ कोई विरोधाभास नहीं है। पहली बार सत्ता विरोधी रुझान नहीं है। डबल इंजन सरकार ने पांच साल बिना भेदभाव के जनता की सेवा की है। सुरक्षा, विकास और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था दी। कल्याणकारी योजनाएं अनवरत चलती रहें, इसके लिए फिर से कमल चुनाव चिह्न के साथ जनता के बीच आए हैं। यदि लोगों को सुरक्षा, दंगामुक्त व्यवस्था, आस्था का सम्मान, व्यापारियों का कल्याण, गरीबों का सम्मान, जेवर एयरपोर्ट और युवाओं का रोजगार अच्छा लगता है, तो किसी बहकावे में न आकर भाजपा को वोट देना चाहिए।

गन्ना मूल्य बढ़ाया, भुगतान कराया

गन्ना किसानों में सरकार के प्रति कोई नाराजगी नहीं रही। सरकार बनने के बाद से अब तक गन्ना किसानों को 1.59 लाख करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य का भुगतान कराया है। इतना भुगतान तो सपा और बसपा की सरकारों में नहीं हआ। जब हमने सरकार बनाई, तब कई साल का गन्ना मूल्य लंबित था। अब स्थिति यह है कि पिछले साल का पूरा बकाया भुगतान करा दिया है। चालू पेराई सत्र का भी 75 फीसदी गन्ना मूल्य भुगतान हो चुका है। भाजपा सरकार ने गन्ना मूल्य में 40 रुपये क्विंटल की वृद्धि की। कोरोना काल में एक भी चीनी मिल बंद नहीं हुई। सपा-बसपा सरकारों में 29 चीनी मिलें बंद हुईं। हमने नई चीनी मिलें लगवाई। चौधरी चरण सिंह के कर्म क्षेत्र रमाला में पुराने प्लांट की जगह नई चीनी मिल की स्थापना कराई। शुगर इंडस्ट्री को इथेनॉल से जोड़ा।

जाट-मुस्लिम समीकरण नहीं, जातीय सीमाएं टूटीं

पश्चिमी यूपी में सपा-रालोद गठबंधन के जाट मुस्लिम समीकरण का असर नहीं है। दो दिन पहले मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना और खतौली गया था। वहां उमड़ा जनसैलाब जिसने देखा होगा, उन्हें पता है कि ये चुनाव जातियों से बाहर निकल चुका है। प्रदेश की जनता 2014, 2017 और 2019 के चुनावों में जातिवाद को तिलांजलि दे चुकी है। उनकी सोच जातिवादी, परिवारवादी, वंशवादी है और उनका काम दंगावादी है। वे पलायन कराने वालों को संरक्षण देते हैं। जनता जानती है कि जातिवाद, परिवारवाद, वंशवाद की राजनीति से प्रदेश पिछड़ा है। इनसे कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए जनता भाजपा के साथ है। चुनाव विश्लेषक तो 2019 में भी कहते थे कि सपा, बसपा, रालोद का महागठबंधन हुआ है, नतीजों पर असर दिखेगा, लेकिन क्या हुआ। सपा पांच सीटों पर सिमट गई, भाजपा की 64 सीटें आई। चुनाव उसी दिशा में जा चुका है।

पहले कर्मचारियों से अन्याय किया अब पुरानी पेंशन की कर रहे बात

मुलायमसिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते पुरानी पेंशन बंद हुई। न्यू पेंशन स्कीम लागू होने के वक्त मुख्यमंत्री मुलायम ही थे। 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव मुख्यमंत्री रहे। तब पुरानी पेशन की याद क्यों नहीं आई? इन्होंने न्यू पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के खाते नहीं खुलवाए, कर्मचारी के साथ सरकार का अंशदान जमा नहीं कराया। मैंने 2018 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। सपा राज में कर्मचारियों के साथ अन्याय किया गया। तब मैंने खाते खुलवाए। राज्य सरकार के अंशदान को 10 से बढ़ाकर 14 फीसदी करने वाला यूपी देश का पहला राज्य है। इसके लिए दस हजार करोड़ रुपये दिए। जो लोग पहले से कर्मचारियों के अपराधी हैं, वे किस मुंह से इसकी बात कर रहे हैं?

गर्मी शांत हो जाएगी..जैसे बयान क्यों

जनता जिस रूप में समझती है, हम वैसे ही तो बोलेंगे। उन्होंने जगह-जगह तमंचे की फैक्टरी लगवाई। हमने इस पर रोक लगाई, हम डिफेंस कॉरिडोर बना रहे हैं। उनके शासन में पलायन होता था, रंगदारी मांगी जाती थी। अब चुनाव की घोषणा होते ही कुछ गुंडे, अपराधी बिलों से बाहर आ गए हैं, धमकी देने लगे हैं। इन धमकीबाजों को हम क्या बोलते, एक ही शब्द था, गर्मी मत दिखाओ, दस मार्च के बाद यह शांत हो जाएगी।

जयंत बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना

जयंत चौधरी की स्थिति तो बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी है। उनके पिता चौधरी अजित सिंह कहते थे कि जिस गाड़ी पर सपा का झंडा लगा है, तो समझो कि उसमें कोई गुंडा है। जयंत इसी से प्रेरणा ले लेते, तो उनके साथ न जाते। उनके (अखिलेश-जयंत के) पास विकास का विजन नहीं है। इसलिए विकास की बात नहीं करते। मुजफ्फरनगर में 2013 में सचिन और गौरव मारे गए, किसानों पर गोली चलाई गई, तब ये कहां थे ? जब अखिलेश दंगा करा रहे थे, तब रालोद कहां था ? तब जाति याद नहीं  आई, जाट और किसान याद नहीं आए ?

क्या राम जन्मभूमि से ब्राह्मण नाराज होता है?

भाजपा से ब्राह्मण नाराज नहीं हैं। मैं राष्ट्रवाद की बात करता हूं, तो वे जातिवाद की बात करते हैं। क्या रामजन्म भूमि से ब्राह्मण नाराज होता है? क्या  कांवड़ यात्रा से निकलने से नाराज होता है, नए विश्वविद्यालय खुलने और संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने से ब्राह्मण नाराज होता है? नाराज होने की बातें सिर्फ तमंचावादी करते हैं, जिनके समय में नीरज मिश्रा की हत्या हुई। लोग राष्ट्रवाद, विकास और सुशासन के मुद्दे पर मतदान करेंगे।

बेहतरीन कोरोना प्रबंधन, ऑक्सीजन उत्पादन में आत्मनिर्भर

25 करोड़ आबादी वाले यूपी में दो वर्ष में यहां 23000 मौतें हुईं हैं। हर मौत दुखद है, पर पौने दो करोड़ आबादी वाली दिल्ली में 30 हजार और 12 करोड़ वाले महाराष्ट्र में 1.80 लाख लोगों की जान गई। बेहतर सुविधाओं वाले अमेरिका की आबादी 33 करोड़ है, वहां सात लाख लोगों की जान गई। दूसरी लहर खतरनाक थी, लेकिन मैं खुद हर जिले में गया। दिल्ली के मरीजों को पश्चिमी यूपी ने ही ऑक्सीजन और उपचार दिया। ऑक्सीजन उत्पादन में यूपी आत्मनिर्भर हुआ है। 551 नए ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट लग चुके हैं। तीसरी लहर ख्ात्म भी हो चुकी है। यह कोरोना प्रबंधन यूपी का है।



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