नई दिल्ली. जर्मनी की प्रसिद्ध कार कंपनी ऑडी (Audi) भारत में इलेक्ट्रिक रिक्शा के लिए अपनी पॉपुलर इलेक्ट्रिक कार ई-ट्रॉन (Audi e-tron) में इस्तेमाल की गई बैटरी का उपयोग करेगी. भारत के नॉन प्रॉफिट स्टार्टअप नुनम (Nunam) ने ई-रिक्शा के लिए इस्तेमाल की गई ईवी बैटरी हासिल करने के लिए जर्मन कार निर्माता के साथ करार किया है. स्टार्टअप इन बैटरियों का उपयोग करके भारत में तीन इलेक्ट्रिक रिक्शा लॉन्च करेगा. इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि पुरानी इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी का उपयोग फिर से किया जा सकता है.
स्टार्टअप ने ऑडी ई-ट्रॉन ईवी से इस्तेमाल की गई बैटरी से लैस तीन ऐसे इलेक्ट्रिक रिक्शा विकसित किए हैं. ऑडी ने दिखाया है कि ये ई-रिक्शा कैसे दिखेंगे और प्रदर्शन करेंगे. इलेक्ट्रिक रिक्शा ऑडी ई-ट्रॉन टेस्ट वाहनों से ली गई उपयोग की गई बैटरी द्वारा चलते हैं. अगले साल की शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहली बार ई-रिक्शा के भारतीय सड़कों पर उतरने की उम्मीद है.
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अभी कम होती है ई-रिक्शा में इस्तेमाल होने वाली बैटरी की लाइफ
वर्तमान में भारतीय सड़कों पर चलने वाले इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर या ई-रिक्शा लेड-एसिड बैटरी से चलते हैं. जिनकी सर्विस लाइफ तुलनात्मक रूप से कम होती है. हालांकि, ऑडी की इलेक्ट्रिक कार में इस्तेमाल की गई लिथियम आयन बैटरी को फिर से उपयोग में लेने पर भी इसकी लाइफ लेड-एसिड बैटरी से ज्यादा होगी. इस वजह यह है कि ई-रिक्शा बहुत तेज या बहुत दूर की यात्रा नहीं करते हैं.
पुरानी बैटरियां भी बेहद शक्तिशाली होती हैं
Nunam के को-फाउंडर प्रदीप चटर्जी ने कहा, ‘पुरानी बैटरियां भी बेहद शक्तिशाली होती हैं. अगर इनका उचित तरीके से उपयोग किया जाए तो दूसरी बार भी बैटरियों का बहुत बड़ा प्रभाव हो सकता है. इससे लोगों को चुनौतीपूर्ण जीवन स्थितियों में आय अर्जित करने और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद मिलती है. ” नुनम बर्लिन और बैंगलोर में स्थित है. इसे ऑडी पर्यावरण फाउंडेशन की ओर से फंड दिया गया है.
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कम वजन वाले वाहनों के लिए काम आ सकती हैं पुरानी बैटरियां
यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर पुरानी इलेक्ट्रिक कार बैटरियों को नए सिरे से इस्तेमाल करने के रास्ते खोल सकता है. चटर्जी ने कहा, “कार की बैटरी को कार के जीवन को चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन एक वाहन में अपने प्रारंभिक उपयोग के बाद भी, उनके पास अभी भी बहुत अधिक शक्ति बची होती है. कम रेंज और कम बिजली की आवश्यकता वाले वाहनों के साथ-साथ कम वजन वाले वाहनों के लिए ये बहुत काम आ सकती हैं.”
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FIRST PUBLISHED : June 24, 2022, 19:04 IST