कोरोना के डर से पीठ के पसीने से गेंद चमका रहे इंग्लैंड के गेंदबाज, क्या कोविड-प्रतिबंध से खत्म हो जाएगा रिवर्स स्विंग?


नई दिल्ली. भारत और इंग्लैंड के बीच एजबेस्टन के मैदान पर 5वां टेस्ट हो रहा है. पहले दिन भारतीय टीम ने 7 विकेट के नुकसान पर 338 रन बना लिए. तेज गेंदबाजों के अनुकूल पिच और मौसम के बावजूद पहले दिन गेंद पुरानी होने के बाद बल्लेबाज हावी हो गए. एक समय भारतीय टीम 98 रन पर पांच विकेट खोकर संघर्ष कर रही थी. लेकिन ऋषभ पंत और रवींद्र जडेजा ने 239 गेंदों में 226 रनों की साझेदारी कर गेंदबाजों को बेअसर कर दिया. सबसे जरूरी बात यह है कि पहले दिन 90 ओवर का खेल भी नहीं हुआ लेकिन टीम इंडिया 330 पार जाने में सफल रही. 2020 में कोरोना के खतरे के चलते गेंदबाजों को गेंद चमकाने के लिए लार का उपयोग करने से मना कर दिया गया था. इसकी जगह गेंदबाजों को पसीने से गेंद चमकाने की अनुमति है. दो साल से यह बहस चल रही है कि क्या गेंदबाजों पर लगे प्रतिबंध के चलते रिवर्स स्विंग का चलन खत्म हो जाएगा?

वसीम अकरम-वकार यूनुस ने रिवर्स स्विंग से सैकड़ों विकेट हासिल किए
रिवर्स स्विंग ऐसी गेंद को कहा जाता है जिसमें बॉल हवा में सामान्य स्विंग के उलट घूमती है. पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वसीम अकरम और तेज गेंदबाज वकार यूनुस की जोड़ी ने 1990 के दशक में रिवर्स स्विंग गेंदबाजी से टेस्ट क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ियों को बेहद परेशान किया था. रिवर्स स्विंग का उस्ताद पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज सरफाज खान को माना जाता है. उन्होंने ये कला इमरान खान से सीखी थी. भारत में 1990 के दशक में मनोज प्रभाकर रिवर्स स्विंग कराने में पारंगत थे.

रिवर्स स्विंग के लिए गेंदबाजों को क्या करना होता है?
रिवर्स स्विंग हासिल करने के लिए गेंद को सही बनाए रखना एक कला और चुनौती भी है. इसमें गेंद के एक हिस्से को चमकता रखा जाता है. इसके साथ टीम के अन्य खिलाड़ियों की पूरी कोशिश होती है कि दूसरे हिस्से पर किसी तरह की नमी ना हो. बॉलर्स गेंद को चमकाने के लिए पहले लार (स्लाइवा) का उपयोग करते थे. कभी-कभी गेंद से छेड़छाड़ पर भी होती है जिसे बॉल टेम्परिंग कहा जाता है. ऑस्ट्रेलिया के स्टार खिलाड़ी स्टीव स्मिथ को साल 2018 में गेंद से छेड़छाड़ का ही दोषी पाया गया था. इसके बाद स्मिथ और डेविड वॉर्नर पर प्रतिबंध लग गया था.

रिवर्स स्विंग गेंदबाजों के स्ट्राइक रेट में आई कमी
किसी मैदान पर गेंद स्विंग होने के लिए वहां की पिच, मौसम और हवा भी जरूरी कारक है. गर्मी और पिच से मदद मिलने पर गेंद रिवर्स स्विंग जल्दी होने लगती है. भारत में गेंद 10-15 ओवर के बाद ही रिवर्स स्विंग होने लगती है. हालांकि, इंग्लैंड की पिचों पर ऐसा नहीं होता. वहां विकेट पर घास होती है और मौसम भी ठंडा रहता है. टेस्ट क्रिकेट में 650 से ज्यादा विकेट ले चुके एंडरसन भी लार पर प्रतिबंध के बाद स्विंग कराने में खुद को कभी-कभी असहज पाते हैं. उन्हें गेंद की चमक बरकरार रखने में दूसरे गेंदबाज के पीठ के पसीने का इस्तेमाल करना होता है.

जनवरी 2021 से एंडरसन ने 16 टेस्ट मैच में 55 विकेट लिए हैं. उनके स्ट्राइक रेट में अब गिरावट देखने को मिली है. वहीं दूसरे तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड 13 टेस्ट में सिर्फ 35 विकेट ले पाए हैं. टेस्ट क्रिकेट में ब्रॉड के नाम 549 विकेट लेकिन उन्हें विकेट लेने के लिए ज्यादा गेंदें फेंकनी पर रही है. साल 2021 में ब्रॉड ने एक टेस्ट विकेट के लिए 15 ओवर फेंके.

क्या पसीना और लार गेंद की चमक बरकरार रखने के लिए एक तरीके से काम करती है?
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पसीना 99% पानी और 1% नमक और वसा से बना तरल है. वहीं, लार में 99% पानी होता है और एक फीसदी पाचक एंजाइम, यूरिक एसिड, इलेक्ट्रोलाइट्स, बलगम बनाने वाले प्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल होता है.

अगर विज्ञान के नजरिए से देखें तो 1 फीसदी का अंतर रिवर्स स्विंग को खत्म नहीं कर सकता है. ऐसा कहा जा सकता है कि कोविड से पहले वाले स्टार गेंदबाजों को स्विंग कराने की नई कला ढूंढनी होगी. वहीं, स्टार बल्लेबाजों को पसीने के साथ गेंद कैसे घूमती है, उन्हें समझना होगा.

Tags: India Vs England, James anderson, Stuart Broad, Wasim Akram

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