नई दिल्ली. मेडिकल इमरजेंसी (Medical Emergency) और नौकरी छूटने जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए अधिकतर नौकरीपेशा भारतीयों के पास पर्याप्त इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) और इंश्योरेंस नहीं है. इसका कारण वेतनभोगी लोगों द्वारा सही फाइनेंशियल प्लानिंग न करना और सही जगह निवेश न करना है. फाइनेंशियल एजुकेशन फर्म फिनसेफ इंडिया के एक सर्वे में यह तथ्य सामने आए हैं. सर्वे से पता चला है कि फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) अधिकतर लोगों की प्राथमिकता में ही शामिल नहीं है. निवेश के लिए अब भी फिक्स्ड डिपॉजिट और इंश्योरेंस ही लोगों की पहली पसंद है.
मनीकंट्रोल डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में 5,769 वेतनभोगी कर्मचारियों को शामिल किया गया था. सर्वे में शामिल 27 फीसदी लोगों के पास ही मेडिकल इमरजेंसी या फिर नौकरी छूटने जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त फंड और इंश्योरेंस है. 45 फीसदी लोगों ने माना कि अगर उनकी नौकरी अचानक छूट जाती है तो अपने खर्चे चलाने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं. 56 फीसदी लोगों का मानना है कि फाइनेंशियल प्लानिंग काफी कठिन काम है.
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कंपनी पर ही निर्भर
29 फीसदी लोगों ने माना कि वे अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है. सर्वे में शामिल 52 फीसदी लोगों ने माना कि मेडिकल इमरजेंसी के लिए वे नियोक्ता द्वारा कराए गए हेल्थ इंश्योरेंस पर ही निर्भर हैं. 21 फीसदी लोग तो मेडिकल इमरजेंसी का सामना करने के लिए आर्थिक रूप से बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं.
कहां करते हैं निवेश
सर्वे में शामिल लोगों से उनके द्वारा बचत के लिए अपनाए जा रहे साधनों के बारे में भी पूछा गया था. 41 फीसदी लोगों का कहना था कि वे इक्विटी में निवेश करते हैं. वहीं, 35 फीसदी लोग फिक्स्ड डिपॉजिट और इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करते हैं. खास बात यह कि सर्वे में शामिल 71 फीसदी लोग फाइनेंशियल प्लानिंग, म्यूचुअल फंड और टैक्सेशन के बारे में विस्तार से सीखना चाहते हैं. इसके अलावा वे ज्यादा बचत कैसे करें और अपना बजट बनाने के गुर भी जानने के लिए उत्सुक हैं.
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गलत निवेश से नहीं बन पाता फंड
फिनसेफ इंडिया के फाउंडर मरीन अग्रवाल का कहना है कि लोगों के आर्थिक लक्ष्यों का पूरा न होने का सबसे बड़ा कारण गलत निवेश है. अधिकतर लोगों को अपने आर्थिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कहां निवेश करना चाहिए, इसक जानकारी ही नहीं है. भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट 2022 में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि अब भी ज्यादातर भारतीय फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं. जबकि केवल 0.5 फीसदी ही इक्विटी में निवेश करते हैं. अग्रवाल का कहना है कि एफडी में न तो टैक्स छूट मिलती है और न ही यह महंगाई से निपटने में सक्षम है.
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Tags: Health Insurance, Insurance, Personal finance
FIRST PUBLISHED : June 15, 2022, 11:06 IST