Exclusive: रवि शास्त्री ने कहा- भारतीय खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज को क्या हो गया? एकदम फ्लैट, पिच की तरह


नई दिल्ली. टीम इंडिया (Team India) के पूर्व कोच रवि शास्त्री को एजबेस्टन टेस्ट में मिली हार से झटका लगा है. उन्होंने खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज पर सवाल उठाए हैं. मैच के दौरान वे इंग्लैंड में ही कॉमेंट्री पैनल का हिस्सा थे. भारतीय टीम ने शास्त्री (Ravi Shastri) की कोचिंग में ही टेस्ट सीरीज में (IND vs ENG) 2-1 से बढ़त बनाई थी. लेकिन काेरोना के कारण पिछले साल अंतिम टेस्ट नहीं खेला जा सका. इसके बाद उनका बतौर काेच कार्यकाल खत्म हो गया. उनकी जगह राहुल द्रविड़ को नया कोच बनाया गया. अंतिम टेस्ट में इंग्लैंड ने भारत को 7 विकेट से मात दी. इस तरह से भारत का सीरीज जीतने का सपना टूट गया और सीरीज 2-2 से बराबर हो गई.

रवि शास्त्री ने एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि कॉमेंट्री करने और कोचिंग देने में बहुत अंतर है. कोच की बजाए काॅमेंटेटर बेहद कम तनाव वाला काम है. लेकिन, शास्त्री के काम करने की शैली नहीं बदली है. उनका वर्कलोड शायद बढ़ गया है. वो मैदान में टीम इंडिया के पहुंचने से पहले ही आ जाते हैं और काम में जुट जाते हैं. मैच खत्म होने के बाद वो अगले 2 घंटे तक फिर से चर्चा में जुड़े रहते हैं और तब तक टीम इंडिया अपने होटल लौट चुकी होती है. शास्त्री जब टीम इंडिया के कोच थे, तब उनके पास इतना वक्त नहीं होता था कि वो फैंस को नजदीक आने का मौका दे, लेकिन अब वो सहज रहते हैं. फैंस से मुलाकात के बाद वे कहते हैं, अरे इन्हीं दीवानों के चलते तो हमारी पूछ है भाई और फिर वे आगे बढ़ जाते हैं.

कोचिंग ने मुझे धनी बना दिया

रवि शास्त्री ने कहा कि टीम इंडिया के साथ 7 साल की कोचिंग ने मुझे बहुत धनी बना दिया. उन्हाेंने बताया कि मैं पैसे की बात नहीं कर रहा, बल्कि जिस तरह का अनुभव मुझे उस टीम के साथ मिला, जो बातें मुझे सीखने को मिली. वो शानदार सफर का हिस्सा है. चाहे भारतीय फैंस हो या इंग्लिश फैंस, हर किसी का शास्त्री से टेस्ट के दौरान एक ही कॉमन सवाल रहता कि उन्होंने कोच के तौर पर टीम इंडिया को 2-1 से बढ़त दिलाई. मुमकिन है कि टीम सीरीज भी जीते- अगर वो जीतते हैं, तो मजा आ जाएगा. बहुत अच्छा लगेगा. शास्त्री ने यह बात तीसरे दिन कही थी और ऐसा लग रहा था कि जसप्रीत बुमराह की कप्तानी में ये जीत सिर्फ औपचारिकता है.

अंतिम 2 दिन में बदला खेल

लेकिन, अगले 2 दिन में पासा पूरी तरह से पलट गया और शास्त्री का मूड और उनकी बातें भी. जब शास्त्री गुस्से में पांचवें दिन का खेल खत्म होने के बाद नासिर हुसैन के साथ लिफ्ट में उतर रहे थे, तो मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं फिर से उनकी राय जान सकूं. लेकिन मैं धीरे-धीरे उनके पीछे-पीछे मैदान पर गया. वो अपना काम कर रहे थे. बीच में जब ब्रेक हुआ तो, उन्होंने खुद ही कह डाला- क्या यार, हारने का मलाल नहीं है, लेकिन अपने लड़कों की बॉडी लैंग्वेज को क्या हो गया? एकदम फ्लैट, पिच की ही तरह. मुझे लगा कि ये बात मुझे ऑन रिकॉर्ड नहीं लिखनी चाहिए, लेकिन अगले ही वाक्य में टीम इंडिया के पूर्व कोच ने कहा कि- मैंने तो यही बात अपनी कॉमेंट्री में भी कही हैं.

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पूरे 5 दिन के दौरान सिर्फ ये पहला मौका था, जब शास्त्री के चेहरे पर खुशनुमा भाव ना होकर मायूसी और नाराजगी थी. और हो भी क्यों ना. पिछले साल इतनी मेहनत और रणनीति के साथ उन्होंने विराट कोहली के साथ मिलकर टीम इंडिया को 2007 के बाद टेस्ट सीरीज में जीत दिलाने के बेहद करीब ले आ चुके थे. एजबेस्टन टेस्ट उस पुराने और अधूरे सपने को पूरा करने का मौका था, जो हो ना सका.

Tags: IND vs ENG, India Vs England, Jasprit Bumrah, Ravi shastri, Team india, Virat Kohli

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