नई दिल्ली. पिछला डेढ़ महीना एशिया के शेयर बाजारों के लिए बहुत बुरा साबित हुआ है. चीन में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण अब शंघाई के बाद बीजिंग में भी लॉकडाउन लगने की आशंका का गहरा असर एशियाई बाजारों पर पड़ा है. धीमी ग्रोथ रेट और ब्याज की दरों में बढ़ोतरी के कारण डॉलर 2 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. बढ़ती ब्याज दरों से मांग में कमी आने की चिंता बनी हुई है. एशियाई बाजारों की तरह ही अमेरिकी बाजार का हाल भी कुछ ठीक नहीं है.
चीन सहित कुछ देशों में कोविड-19 के दोबारा सिर उठाने से बाजारों में चिंता का माहौल है. चीन के सरकारी टेलीविजन के अनुसार, बीजिंग के चेआयांग जिले के निवासियों को सरकार ने जिले से बाहर न जाने की सलाह दी है. शनिवार और रविवार को ही इस जिले में दो दर्जन से ज्यादा कोरोना के केस मिलने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.
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हर तरफ गिरावट
सीएनबीसी TV 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एमएससीआई एशिया-पैसेफिक शेयर सूचकांक में जापान 2.5 फीसदी तक गिरकर 6 सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गया है. वहीं, चीन की करेंसी युआन भी एक साल के निचले स्तर पर आ गई है. हॉगकॉग के हेंगसेंग ने 3.6 फीसदी गोता लगाया है. शंघाई कंपोजिट 4 फीसदी गिरा है. महत्वपूर्ण कमोडिटी के दामों में गिरावट से भी मांग में कमी की आशंकाओं को मजबूती मिली है. डालियान आयरन ओरे 9 फीसदी गिर चुका है. कॉपर में भी 1.6 फीसदी की गिरावट आई है तो ब्रेंट क्रूड फ्यूचर भी 3.8 फीसदी गिरा है. डॉलर की कीमत बढ़ने से सोना 0.8 फीसदी गिरकर 1,913 डॉलर औंस हो गया है.
ऑस्ट्रेलियन डॉलर 1.2 फीसदी गिरा है तो यूरो में भी 0.8 फीसदी की गिरावट आई है और यह दो साल के निचले स्तर 1.07 डॉलर पर पहुंच गया है. रूस यूक्रेन युद्ध के लंबा खिंचने से महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है. यही वजह, निवेशकों को शेयर बाजारों से दूर कर रही है. एस एंडी पी 500 एशिया फ्यूचर एशिया में 0.8 फीसदी गिरा है तो एफटीएसई फ्यूचर और यूरोपियन फ्यूचर में 1.5 फीसदी की गिरावट आई है.
अमेरिका में मंदी की आशंका
ऐपल इंक, अमेज़न.डॉट इंक, माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन और अलफाबेट जैसी बड़ी कंपनियों के नतीजे भी इसी सप्ताह आने हैं. निवेशक इन कंपनियों के परिणामों को लेकर भी ज्यादा उत्साहित नहीं हैं. अमेरिकी बाजार भी शुक्रवार औंधे मुंह गिरे. अक्टूबर 2020 के बाद डाउ जोंस में सबसे बड़ी गिरावट आई और सीबीओई वोलेटिलिटी इंडेक्स ने बाजार में कंपकंपी चढ़ा दी.
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बैंक ऑफ अमेरिका के ग्लोबल रिसर्च हैड कैंडेस ब्राउनिंग का कहना है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी और मंदी आने की आशंका, निवेशकों की सबसे बड़ी चिंता है. डिमांड को लेकर भी आशंका है. ब्राउनिंग का कहना है कि खाद्य पदार्थों और गैसोलिन की बढ़ती कीमतों से निवेशकों को लगता है कि कम आय वाले उपभोक्ता की खर्च करने की क्षमता घट जाएगी जिससे डिमांड में भारी गिरावट होगी.
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