Food Crisis: पांच महीने के युद्ध के बाद पहली बार रूस-यूक्रेन में समझौता, दुनिया को मिल सकती है महंगाई से राहत


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रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुए करीब पांच महीने हो चुके हैं। हालांकि, दोनों ही देशों के बीच अब तक किसी भी एक मुद्दे को लेकर सहमति नहीं बनी थी। अब 150 दिन बाद दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थता कराने के बाद ब्लैक सी (काला सागर) से अनाज के निर्यात को बेरोकटक जारी रखने के लिए समझौता किया है। इस डील के रूस अब यूक्रेन के बंदरगाहों से निकलने वाले अनाज भरे जहाजों को नहीं रोकेगा। माना जा रहा है कि इसके बाद दुनियाभर में बढ़ते खाद्य संकट को टाला जा सकेगा। 

दोनों देशों के बीच इस समझौते पर तुर्की के डोलमाबाचे पैलेस में हस्ताक्षर हुए। बैठक में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और तुर्की के राष्ट्रपति तैयब रजब अर्दोआन भी मौजूद रहे। गुटेरेस ने इस बैठक के बाद कहा कि समझौते के जरिए यूक्रेन से खाद्य सामग्रियों के निर्यात का रास्ता खुल गया है। इससे विकासशील देशों को खाद्य और आर्थिक संकट से निकाला जा सकता है।
अब तक क्यों रुका था निर्यात?
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच इस साल फरवरी से ही युद्ध जारी है। रूस ने यूक्रेन के कई अहम ठिकानों पर कब्जा कर लिया है। इनमें काला सागर (ब्लैक सी) से जुड़े कई अहम ठिकाने शामिल हैं। इसके अलावा यूक्रेन के कई अहम बंदरगाहों पर भी रूस ने या तो कब्जा कर लिया है या उसकी ओर से हमले जारी हैं। ऐसे में यूक्रेन की तरफ से अनाज के निर्यात पर करीब पांच महीनों से रोक लगी है। इसी गतिरोध को खत्म करने के लिए यूएन और तुर्की ने रूस-यूक्रेन के बीच बातचीत शुरू कराने पर जोर दिया है। 
कैसे पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है रूस-यूक्रेन संकट?
रूस की वजह से जो गतिरोध पैदा हुआ है, उसके चलते पूरी दुनिया में खाद्य सामग्रियों की महंगाई दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) का फूड प्राइस इंडेक्स, जो कि पूरी दुनिया में खाद्य सामग्रियों की कीमतों को ट्रैक करता है, मार्च में ही अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था। यह ट्रैकर 1990 में ही शुरू हुआ था। यानी पूरे 32 वर्षों में खाद्य सामग्रियों के दाम सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किए गए थे। 
रूस-यूक्रेन की वजह से क्यों वैश्विक स्तर पर बढ़ रहे खाद्य सामग्रियों के दाम?
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से ही कीव की ओर से निर्यात में बड़ा गतिरोध आया है। उधर रूस पर भी पश्चिमी देशों ने जबरदस्त प्रतिबंध लगाए हैं। नतीजतन यूक्रेन के साथ रूस से निर्यात में भी कमी आई है। ज्यादातर देश रूस से सीधी खरीद करने से बच रहे हैं। ऐसे में खाद्य पदार्थों की महंगाई सबसे ऊंचे स्तर पर है। 

यह दोनों ही देश अनाज निर्यात के मामले में पावरहाउस हैं। इन्हीं दोनों देशों से दुनिया की गेहूं की 24 फीसदी जरूरते पूरी होती हैं। इतना ही नहीं दुनिया की 57 फीसदी सुरजमुखी के तेल की जरूरत भी रूस-यूक्रेन ही पूरी करते हैं। यूएन कॉमट्रेड के मुताबिक, 2016 से 2020 तक यह दोनों देश दुनिया की 14 फीसदी भुट्टे के निर्यात के लिए भी जिम्मेदार थे। लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद से ही रूस-यूक्रेन निर्यात में बुरी तरह पिछड़ गए हैं और कई देशों में इन खाद्य सामग्रियों की कमी पैदा हो गई है।

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रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुए करीब पांच महीने हो चुके हैं। हालांकि, दोनों ही देशों के बीच अब तक किसी भी एक मुद्दे को लेकर सहमति नहीं बनी थी। अब 150 दिन बाद दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थता कराने के बाद ब्लैक सी (काला सागर) से अनाज के निर्यात को बेरोकटक जारी रखने के लिए समझौता किया है। इस डील के रूस अब यूक्रेन के बंदरगाहों से निकलने वाले अनाज भरे जहाजों को नहीं रोकेगा। माना जा रहा है कि इसके बाद दुनियाभर में बढ़ते खाद्य संकट को टाला जा सकेगा। 

दोनों देशों के बीच इस समझौते पर तुर्की के डोलमाबाचे पैलेस में हस्ताक्षर हुए। बैठक में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और तुर्की के राष्ट्रपति तैयब रजब अर्दोआन भी मौजूद रहे। गुटेरेस ने इस बैठक के बाद कहा कि समझौते के जरिए यूक्रेन से खाद्य सामग्रियों के निर्यात का रास्ता खुल गया है। इससे विकासशील देशों को खाद्य और आर्थिक संकट से निकाला जा सकता है।



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