गडकरी बोले- भारत बन सकता है वाहन स्क्रैपिंग का हब, शहर से 150 किमी के दायरे में स्क्रैपिंग सेंटर बनाने का लक्ष्य


नई दिल्ली. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने शनिवार को कहा कि वह प्रत्येक शहर के केंद्र से 150 किलोमीटर के दायरे में कम से कम एक वाहन स्क्रैपिंग (Automobile Scrapping) केंद्र विकसित करना चाहते हैं.

गडकरी ने यहां ‘मैटेरियल रिसाइकलिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (ARAI) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि देश में पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र का वाहन स्क्रैपिंग हब (Vehicle Scrapping Hub) बनने का माद्दा है. राष्ट्रीय वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी भारतीय ट्रांसपोर्ट एवं संस्टेबलिटी सेक्टर के लिए एक अहम पहल है और इसके माध्यम से पुराने और बेकार वाहनों को हटाकर नए एवं कम प्रदूषण करने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से लाया जा सकेगा.

शहरों के केंद्र से 150 किमी के दायरे में वाहन स्क्रैपिंग केंद्र बनाना चाहती है सरकार
गडकरी ने शनिवार को आयोजित इस कार्यक्रम में कहा, ‘‘सभी शहरों के केंद्रों से 150 किलोमीटर के दायरे में एक वाहन स्क्रैपिंग केंद्र बनाना मेरा मकसद है.’’ उन्होंने कहा कि एक शहर के भीतर कबाड़ बन चुके वाहनों को इकट्ठा करने वाले कई अधिकृत केंद्र खोले जा सकते हैं जिन्हें वाहन का रजिस्ट्रेशन खत्म करने का अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वाहन स्क्रैप पॉलिसी कुछ इस तरह तैयार की है जो सभी प्रकार और आकार के निवेशकों को आने और स्क्रैपिंग सेंटर खोलने का मौका देगी.

ये भी पढ़ें- सरकार ने वाहन स्क्रैप पॉलिसी में किया बड़ा बदलाव, सब कुछ होगा डिजिटल, जानें क्या है नया नियम

साल 2021 में हुई थी स्क्रैपेज पॉलिसी की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष अगस्त में राष्ट्रीय वाहन स्कैपेज पॉलिसी की शुरुआत करते हुए कहा था कि इसके जरिए बेकार हो चुके और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चलन से बाहर किया जा सकेगा.

दक्षिण एशिया क्षेत्र में वाहन स्क्रैपिंग का हब
गड़करी ने इस कार्यक्रम में कहा, ‘‘भारत पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में वाहन स्क्रैपिंग का हब बन सकता है. हम बांग्लादेश, भूटान, म्यांमा, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका से पुराने वाहनों का आयात हमारे देश में स्क्रैपिंग के लिए कर सकते हैं.’’

Tags: Nitin gadkari, Scrapping Policy

image Source

Enable Notifications OK No thanks