पी चिदंबरम के खिलाफ लगे गो बैक के नारे, अधीर रंजन के विरोध में कर रहे हैं पैरवी


नई दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (P. Chidambaram) को उस समय भारी विरोध का सामना करना पड़ा, जब वे कलकत्ता हाईकोर्ट में अपनी ही पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ पैरवी करने पहुंच गए. कांग्रेस समर्थित वकीलों ने उनका हाईकोर्ट के बाहर पुरजोर विरोध किया जिसके कारण सुरक्षा बलों को भारी मशक्कत करनी पड़ी. चिदंबरम के खिलाफ गो बैक के नारे लगे. पी चिदंबरम निजी कंपनी की ओर से अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ वकील हैं. यानी एक तरह से वे तृणमूल सरकार के बचाव में उतरे हैं. अधीर रंजन चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर मेट्रो डेयरी के शेयर को एग्रो फर्म केवेंटर को देने के खिलाफ कोर्ट में चुनौती दी है. अधीर रंजन ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा बेचे गए शेयर में घोटाला हुआ है.

कांग्रेस पतन के लिए जिम्मेदार
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक प्रदर्शनकारी वकीलों ने पी चिदंबरम के बारे में कहा कि कांग्रेस का नेता होने के बावजूद चिदंबरम पार्टी की भावनाओं के साथ खेल रहे हैं. कांग्रेस और अधीर रंजन चौधरी समर्थित वकीलों ने कहा कि चिदंबरम का इस तरह कांग्रेस नेता के खिलाफ कोर्ट में पेश होना अच्छी बात नहीं है. वीडियो में देखा जा रहा है कि कांग्रेस समर्थिक आक्रोशित वकील पी चिदंबरम पर कोर्ट से बाहर चिल्ला रहे हैं. वे कोर्ट की ओर जा रहे हैं. इतना ही नहीं कई वकील उनके खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. कई वकीलों ने चिदंबरम गो बैक के नारे भी लगाए. एक वकील चिल्लाकर बोल रहे थे कि कांग्रेस के पतन के लिए इस तरह के नेतृत्व ही जिम्मेदार हैं.

अधीर रंजन ने कहा स्वभाविक प्रतिक्रिया

अधीर रंजन चौधरी का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राजनीतिक रंजिश किसी से छुपी नहीं है. उन्होंने याचिका में कहा है कि सरकार ने शेयर को कौड़ियों के भाव बेच दिया. इसलिए इसमें जांच के आदेश जारी किया जाए. इस पूरे घटनाक्रम पर पी चिदंबरम ने कहा, यह स्वतंत्र देश है, लेकिन मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. इधर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह स्वभाविक प्रतिक्रिया है. उन्होंने कहा, मुझे पता चला है कि मेरे कुछ समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया है. वैसे यह स्वभाविक प्रतिक्रिया है.


क्या है मामला

दरअसल, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने मेट्रो डेयरी का विनिवेश किया. इसके 47 प्रतिशत शेयर को निजी एग्रो फर्म केवेंटर (Keventer) को बेच दिया. केवेंटर ने इनमें से 15 प्रतिशत शेयर को ऊंची कीमत पर सिंगापुर की एक निजी कंपनी को ट्रांसफर कर दिया. 2018 में ही अधीर रंजन चौधरी ने इस केस के संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है. मेट्रो डेयरी की स्थापना 1991 में हुई थी. इसमें वेस्ट बंगाल मिल्क प्रोडक्शन फेडरेशन का 47 प्रतिशत शेयर था. इसके अलावा नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की 10 प्रतिशत और बाकी की 43 प्रतिशत हिस्सेदारी केवेंटर एग्रो की थी. पहले नेशनल डेयरी बोर्ड ने अपने सभी शेयर को केवेंटर को दे दिया और बाद में वेस्ट बंगाल मिल्क प्रोडक्शन फेडरेशन ने अपने शेयर को केवेंटर को दे दिया.

Tags: Congress, P Chidambaram



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