सरकार ने कहा: रूस से भारत का तेल निर्यात बहुत कम, वैध बिजली लेनदेन का राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता


सार

तेल मंत्रालय ने कहा है कि भारत की बिजली की जरूरतें बहुत अधिक हैं। ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और सभी नागरिकों तक बिजली पहुंचाने के लिए भारतीय कंपनियां दुनिया के सभी प्रमुख तेल उत्पादकों से खरीद करती हैं।

ख़बर सुनें

भारत मे बुधवार को कहा कि हमारी रूस से हमारी बिजली खरीद कुल उपभोग के मुकाबले बहुत कम बनी हुई है। इसके साथ ही यह भी कहा कि वैध बिजली लेन-देन का राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता क्योंकि रूस से बिजली निर्यात को अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है। 

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल की खपत और आयात करने वाले देश भारत ने हाल के हफ्तों में रूस की ओर से उपलब्ध कुछ कार्गो को अपनी आयात टोकरी में विविधता लाने की योजना के हिस्से के रूप में भारी छूट पर खरीदा है।

तेल मंत्रालय ने इस खरीद पर आ रही सवाल उठाने वाली रिपोर्ट्स को लेकर कहा कि भारत के वैध बिजली लेन-देन का राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता है। बिजली के निर्यात को अभी भी अनुमति मिलना बाकी है। 

यह कहा गया कि रिपोर्ट अनुमान लगाती है और रूस स्थित भारतीय तेल कंपनियों द्वारा कच्चे तेल की नियमित खरीद को सनसनीखेज बनाने की कोशिश करती है और यह पहले से ही नाजुक वैश्विक तेल बाजार को और अस्थिर करने के लिए एक पूर्व-विचारित प्रयास का एक हिस्सा है।

मंत्रालय ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट्स केवल अनुमानों पर आधारित हैं और रूस स्थित भारतीय तेल कंपनियों की ओर से कच्चे तेल की नियमित खरीद को सनसनीखेज बनाने की कोशिश करती हैं। यह पहले से ही नाजुक वैश्विक तेल बाजार को अस्थिर करने के प्रयासों का एक हिस्सा है।

मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत की बिजली की जरूरतें बहुत अधिक हैं। दैनिक उपभोग 50 लाख बैरल के आसपास और एक रिफाइनरी की क्षमता 25 करोड़ टन बैरल प्रतिवर्ष है। ऊर्जा सुरक्षा और सभी नागरिकों तक बिजली पहुंचाने के लिए भारतीय कंपनियां दुनिया के सभी प्रमुख तेल उत्पादकों से खरीद करती हैं।

इसे लेकर मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि हमारे शीर्ष 10 आयात केंद्र मुख्य रूप से पश्चिमी एशिया से हैं। हाल के बीते समय में अमेरिका भारत के लिए कच्चे तेल का एक प्रमुख स्रोत बना है। कच्चे तेल के आयात के बाजार में इसकी हिस्सेदारी लगभग 7.3 फीसदी है।

विस्तार

भारत मे बुधवार को कहा कि हमारी रूस से हमारी बिजली खरीद कुल उपभोग के मुकाबले बहुत कम बनी हुई है। इसके साथ ही यह भी कहा कि वैध बिजली लेन-देन का राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता क्योंकि रूस से बिजली निर्यात को अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है। 

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल की खपत और आयात करने वाले देश भारत ने हाल के हफ्तों में रूस की ओर से उपलब्ध कुछ कार्गो को अपनी आयात टोकरी में विविधता लाने की योजना के हिस्से के रूप में भारी छूट पर खरीदा है।

तेल मंत्रालय ने इस खरीद पर आ रही सवाल उठाने वाली रिपोर्ट्स को लेकर कहा कि भारत के वैध बिजली लेन-देन का राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता है। बिजली के निर्यात को अभी भी अनुमति मिलना बाकी है। 

यह कहा गया कि रिपोर्ट अनुमान लगाती है और रूस स्थित भारतीय तेल कंपनियों द्वारा कच्चे तेल की नियमित खरीद को सनसनीखेज बनाने की कोशिश करती है और यह पहले से ही नाजुक वैश्विक तेल बाजार को और अस्थिर करने के लिए एक पूर्व-विचारित प्रयास का एक हिस्सा है।

मंत्रालय ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट्स केवल अनुमानों पर आधारित हैं और रूस स्थित भारतीय तेल कंपनियों की ओर से कच्चे तेल की नियमित खरीद को सनसनीखेज बनाने की कोशिश करती हैं। यह पहले से ही नाजुक वैश्विक तेल बाजार को अस्थिर करने के प्रयासों का एक हिस्सा है।

मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत की बिजली की जरूरतें बहुत अधिक हैं। दैनिक उपभोग 50 लाख बैरल के आसपास और एक रिफाइनरी की क्षमता 25 करोड़ टन बैरल प्रतिवर्ष है। ऊर्जा सुरक्षा और सभी नागरिकों तक बिजली पहुंचाने के लिए भारतीय कंपनियां दुनिया के सभी प्रमुख तेल उत्पादकों से खरीद करती हैं।

इसे लेकर मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि हमारे शीर्ष 10 आयात केंद्र मुख्य रूप से पश्चिमी एशिया से हैं। हाल के बीते समय में अमेरिका भारत के लिए कच्चे तेल का एक प्रमुख स्रोत बना है। कच्चे तेल के आयात के बाजार में इसकी हिस्सेदारी लगभग 7.3 फीसदी है।



Source link

Enable Notifications OK No thanks