कर्मचारी नाराज: केंद्रीय कर्मियों को लगा ‘डीए-डीआर’ के एरियर का फटका, 18 महीनों के भुगतान पर सरकार चुप


सार

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया है कि सरकार अपने कर्मियों के वेतन को स्थायी रूप से नहीं रोक सकती। वेतन आयोग ने उन मामलों में भी निर्णयों की सिफारिश की है, जहां एक समूह या सरकारी कर्मचारियों की श्रेणी के लिए लागू सामान्य प्रकृति का एक सिद्धांत या सामान्य मुद्दा उन कर्मचारियों पर भी लागू होगा, जिन्होंने मुकदमा नहीं किया है या अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाया है…

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केंद्र सरकार ने बुधवार को अपने कर्मियों का ‘डीए’ बढ़ा दिया है। डीए की दर 31 फीसदी से बढ़ाकर 34 फीसदी कर दी गई है। नई दरें, पहली जनवरी 2022 से लागू होंगी। कर्मियों को उम्मीद थी कि केंद्र सरकार द्वारा 18 महीनों के डीए के भुगतान को लेकर कोई घोषणा की जाएगी। हालांकि केंद्र ने इस संबंध में कुछ नहीं कहा है। जेसीएम के सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस संबंध में कैबिनेट सचिव को पत्र लिखा था। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने घोषणा नहीं की।  

श्रीकुमार के मुताबिक, पिछले साल केंद्र सरकार ने कोविड-19 की आड़ लेकर सरकारी कर्मियों और पेंशनरों के डीए-डीआर पर रोक लगा दी थी। महामारी के दौरान रेलवे, रक्षा, डाक और स्वास्थ्य सहित अन्य विभागों के कर्मियों ने अच्छे से अपनी जिम्मेदारी निभाई थी। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार के इन कर्मियों ने पीएम केयर फंड में एक दिन का वेतन भी जमा कराया था। बतौर श्रीकुमार, केंद्र सरकार ने कर्मियों के 11 फीसदी डीए का भुगतान रोक कर 40000 करोड़ रुपये बचा लिए थे। कर्मियों को अपने डीए के लिए संघर्ष करना पड़ा था।

कर्मचारी संगठनों के दबाव के चलते केंद्र ने गत वर्ष एक जुलाई से 11 फीसदी की दर से डीए-डीआर जारी करने की घोषणा की थी। उस वक्त सरकार ने एक जनवरी 2020 से लेकर एक जुलाई 2021 तक के डीए-डीआर की बकाया राशि को लेकर कोई बात नहीं की। इससे पहले कि कर्मचारी संगठन विरोध के लिए आगे आते, सरकार ने यह आदेश भी जारी कर दिया कि एक जनवरी 2020 से लेकर एक जुलाई 2021 तक डीए-डीआर फ्रीज कर दिया गया था। उस अवधि में डीए की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं। इन 18 महीनों में डीए की दर 17 फीसदी ही मानी जाए।

एरियर के लिए कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया था। श्रीकुमार के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में कहा था कि वेतन और पेंशन कर्मियों का पूर्ण अधिकार है। राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव/कर्मचारियों ने अपने पत्र दिनांक 16/04/2021 के माध्यम से डीए/डीआर को फ्रीज करने के सरकार के फैसले का बड़ा विरोध किया था। सरकार का यह कदम वेतन आयोगों की स्वीकृत सिफारिशों के खिलाफ है। 26 जून 2021 को आयोजित राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) की 48वीं बैठक में स्टाफ साइड ने मांग की थी कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को डीए/डीआर की तीन किस्तों का भुगतान 01/01/2020 से किया जाए।

वित्त मंत्रालय ने दिनांक 20 जुलाई 2021 को जारी अपने कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से डीए को मूल वेतन के मौजूदा 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी करने के आदेश जारी किए। इसका मतलब ये हुआ कि 01/01/2020, 01/07/2020 और 01/01/2021 से बढ़ाए गए डीए/डीआर की बकाया राशि देने की बात को केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दिया है।  

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया है कि सरकार अपने कर्मियों के वेतन को स्थायी रूप से नहीं रोक सकती। वेतन आयोग ने उन मामलों में भी निर्णयों की सिफारिश की है, जहां एक समूह या सरकारी कर्मचारियों की श्रेणी के लिए लागू सामान्य प्रकृति का एक सिद्धांत या सामान्य मुद्दा उन कर्मचारियों पर भी लागू होगा, जिन्होंने मुकदमा नहीं किया है या अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाया है। श्रीकुमार के अनुसार, यदि केंद्र सरकार उपरोक्त अनुरोध के अनुसार डीए/डीआर की बकाया राशि जारी करने का कोई निर्णय नहीं ले रही है, तो कर्मचारी संघ न्याय पाने के लिए दोबारा से संघर्ष करने पर मजबूर होंगे। कर्मियों को उम्मीद थी कि सरकार तीन फीसदी डीए बढ़ाने के साथ पुराने एरियर को लेकर कोई घोषणा करेगी। कर्मियों ने उस वक्त सरकार से आग्रह किया था कि वह चाहे तो तीन-चार किश्तों में एरियर की राशि का भुगतान कर सकती है। अब दोबारा से केंद्रीय कर्मचारी संगठन इस बाबत आवाज उठाएंगे।

विस्तार

केंद्र सरकार ने बुधवार को अपने कर्मियों का ‘डीए’ बढ़ा दिया है। डीए की दर 31 फीसदी से बढ़ाकर 34 फीसदी कर दी गई है। नई दरें, पहली जनवरी 2022 से लागू होंगी। कर्मियों को उम्मीद थी कि केंद्र सरकार द्वारा 18 महीनों के डीए के भुगतान को लेकर कोई घोषणा की जाएगी। हालांकि केंद्र ने इस संबंध में कुछ नहीं कहा है। जेसीएम के सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस संबंध में कैबिनेट सचिव को पत्र लिखा था। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने घोषणा नहीं की।  

श्रीकुमार के मुताबिक, पिछले साल केंद्र सरकार ने कोविड-19 की आड़ लेकर सरकारी कर्मियों और पेंशनरों के डीए-डीआर पर रोक लगा दी थी। महामारी के दौरान रेलवे, रक्षा, डाक और स्वास्थ्य सहित अन्य विभागों के कर्मियों ने अच्छे से अपनी जिम्मेदारी निभाई थी। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार के इन कर्मियों ने पीएम केयर फंड में एक दिन का वेतन भी जमा कराया था। बतौर श्रीकुमार, केंद्र सरकार ने कर्मियों के 11 फीसदी डीए का भुगतान रोक कर 40000 करोड़ रुपये बचा लिए थे। कर्मियों को अपने डीए के लिए संघर्ष करना पड़ा था।

कर्मचारी संगठनों के दबाव के चलते केंद्र ने गत वर्ष एक जुलाई से 11 फीसदी की दर से डीए-डीआर जारी करने की घोषणा की थी। उस वक्त सरकार ने एक जनवरी 2020 से लेकर एक जुलाई 2021 तक के डीए-डीआर की बकाया राशि को लेकर कोई बात नहीं की। इससे पहले कि कर्मचारी संगठन विरोध के लिए आगे आते, सरकार ने यह आदेश भी जारी कर दिया कि एक जनवरी 2020 से लेकर एक जुलाई 2021 तक डीए-डीआर फ्रीज कर दिया गया था। उस अवधि में डीए की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं। इन 18 महीनों में डीए की दर 17 फीसदी ही मानी जाए।

एरियर के लिए कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया था। श्रीकुमार के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में कहा था कि वेतन और पेंशन कर्मियों का पूर्ण अधिकार है। राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव/कर्मचारियों ने अपने पत्र दिनांक 16/04/2021 के माध्यम से डीए/डीआर को फ्रीज करने के सरकार के फैसले का बड़ा विरोध किया था। सरकार का यह कदम वेतन आयोगों की स्वीकृत सिफारिशों के खिलाफ है। 26 जून 2021 को आयोजित राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) की 48वीं बैठक में स्टाफ साइड ने मांग की थी कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को डीए/डीआर की तीन किस्तों का भुगतान 01/01/2020 से किया जाए।

वित्त मंत्रालय ने दिनांक 20 जुलाई 2021 को जारी अपने कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से डीए को मूल वेतन के मौजूदा 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी करने के आदेश जारी किए। इसका मतलब ये हुआ कि 01/01/2020, 01/07/2020 और 01/01/2021 से बढ़ाए गए डीए/डीआर की बकाया राशि देने की बात को केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दिया है।  

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया है कि सरकार अपने कर्मियों के वेतन को स्थायी रूप से नहीं रोक सकती। वेतन आयोग ने उन मामलों में भी निर्णयों की सिफारिश की है, जहां एक समूह या सरकारी कर्मचारियों की श्रेणी के लिए लागू सामान्य प्रकृति का एक सिद्धांत या सामान्य मुद्दा उन कर्मचारियों पर भी लागू होगा, जिन्होंने मुकदमा नहीं किया है या अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाया है। श्रीकुमार के अनुसार, यदि केंद्र सरकार उपरोक्त अनुरोध के अनुसार डीए/डीआर की बकाया राशि जारी करने का कोई निर्णय नहीं ले रही है, तो कर्मचारी संघ न्याय पाने के लिए दोबारा से संघर्ष करने पर मजबूर होंगे। कर्मियों को उम्मीद थी कि सरकार तीन फीसदी डीए बढ़ाने के साथ पुराने एरियर को लेकर कोई घोषणा करेगी। कर्मियों ने उस वक्त सरकार से आग्रह किया था कि वह चाहे तो तीन-चार किश्तों में एरियर की राशि का भुगतान कर सकती है। अब दोबारा से केंद्रीय कर्मचारी संगठन इस बाबत आवाज उठाएंगे।



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