लिस्ट फेस्ट में गुलजार और विशाल की जुगलबंदी से जमा रंग, बोले- फिल्मी गीतों का काम सत्ता को जगाना भी


शिमला. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल में कला, साहित्य और सिनेमा के दो दिग्गजों गुलजार और विशाल भारद्वाज ने बताया कि फिल्मी गीत मनोरंजन तक ही सीमित न हों बल्कि सत्ता और समाज को जगाने वाले भी हों. दोनों दिग्गजों ने सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर कई गाने लिखे हैं, उन्होंने इसके बारे में साहित्य उत्सव में इसके बारे में विस्तार से बताया और उदाहरण भी दिए. इस फेस्टिवल के दूसरे दिन दिग्गजों ने एक सत्र के दौरान संदेश दिया कि साहित्य, कला और सिनेमा से जुड़े लोगों को सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना जरूरी है.

गेयटी थिएटर के गोथिक शैली में बने हॉल में फेस्टिवल के दूसरे दिन “In Conversation Exploring Literary Aesthetics in Film Songs” सेशन के दौरान गुलजार ने बताया कि ओमकारा फिल्म में जो गाना था ‘बीड़ी जल्लई ले जिगर से पिया’ जिसे आइटम सांग के रूप में जाना गया वो वास्तविकता में एक ऐसे वर्ग की पीड़ा पर लिखा गया जो शोषित था. शोषण और निराशा की वजह से पीड़ित व्यक्ति के जिगर में आग लगती है.

गुलजार ने आंधी फिल्म के गाने का भी किया जिक्र
गुलजार ने आंधी फिल्म के एक गाने का जिक्र किया जिसमें सत्ता से 5 साल का हिसाब मांगा गया था. उन्होंने गीत की लाइन ‘ सलाम कीजिए आली जनाब आए हैं, 5 सालों का हिसाब देने आए हैं’ को भी पढ़ा, जिस पर सभागार में मौजूद लोगों ने खूब तालियां बजाईं. गुलजार ने जनता को वोट की ताकत के बारे में बताया कि सत्ता में बैठे लोग हर 5 साल बाद हिसाब देने आते हैं और जनता को हिसाब लेना चाहिए.

एक वोट में बड़ी ताकत होती है… गुलजार
उन्होंने कहा कि एक वोट में बड़ी ताकत होती है, जिसे अब हर हिंदुस्तानी समझता है. उन्होंने कहा कि हमारा एक साधारण नागरिक अब सब समझता है, उसे ये भी पता है कि एक वोट का मतलब पूरे हिंदुस्तान की जिम्मेवारी लेना है. गुलजार ने लोगों को हर बुराई से लड़ने के लिए जनता को एकजुट होने का संदेश दिया. इस पर विशाल भारद्वाज ने हू तू तू फिल्म का गाना बंदोबस्त है, बंदोबस्त है गाकर सुनाया. विशाल भारद्वाज ने संदेश दिया कि किस तरह से आम जनता के पास हर सवाल का जबाव और हर समस्या का हल है. उन्होंने इस गाने को सभागार में बैठे लोगों को भी उनके साथ गाने को कहा तो लोगों ने गाया भी.

गुलजार और विशाल की जुगलबंदी, खूब बजी तालियां
वर्तमान में देश में कई जगहों पर फैल रही नफरत पर गुलजार बताया कि ये समझना होगा कि ये किसी एक, दो या किसी एक समुह की समस्या नहीं है बल्कि पूरे समाज की है, पूरे देश की है, इसमें हर साधारण व्यक्ति का जिक्र है. उन्होंने कहा कि मेरी अपील है कि सभी इसके प्रति जागरूक रहें… इस पर विशाल भारद्वाज ने जागते रहो, जागते रहो गाना गाया. दोनों ने बताया कि कैसे उन्होंने अपनी फिल्मों में कहानी के अनुसार गाने लिखे हैं, हर स्थिती को समझने के बाद उस स्थिती के अनुसार गाने लिखे और गाए हैं.

उन्होंने बताया कि कैसे इश्किया फिल्म का गाना इब्नेबतूता लिखा, इस गाने में सड़क पर चलते हुए स्पीड ब्रेकर, दुर्घटना से बचने के लिए साइन बोर्ड में लिखी बातों और शब्दों का इस्तेमाल किया. इसके अलावा कई गानों को लिखने के अनुभव को साझा किया. विशाल भारद्वाज ने अपनी गायकी के जरिए सेशन में खूब रंग जमाया.

Tags: Gulzar, Literature and Art, Shimla News



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