ज्ञानवापी विवाद: असदुद्दीन ओवैसी बोले- निचली अदालत का आदेश गलत, सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की उम्मीद 


एएनआई, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Tue, 17 May 2022 07:12 PM IST

सार

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि निचली अदालत का आदेश अनुचित है, हम आशा करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से आदेश पर रोक लगाएगा। 

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ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले में बढ़ते विवाद और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बीच एआईएमआईएम प्रमुक असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने बयानों से सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। ओवैसी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट पूर्ण न्याय करेगा क्योंकि इस मामले गंभीर प्रक्रियात्मक गलती हुई है। आयुक्त ने निचली अदालत के न्यायाधीश को रिपोर्ट नहीं दी, याचिकाकर्ता ने आवेदन किया और मुस्लिम पक्ष को नोटिस दिए जाने से पहले अब न्यायाधीश ने शिवलिंग वाले इलाके की रक्षा करने और नमाजियों को 20 तक सीमित करने का आदेश पारित किया है।  

ओवैसी ने कहा कि आदेश अनुचित है, हम आशा करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से आदेश पर रोक लगाएगा और 1991 के पूजा स्थल अधिनियम, इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने और दूसरे पक्ष की सुनवाई के बिना जगह सील करने में अनुचितता को पहचानेगा। निचली अदालत का आदेश गलत, अनुचित और अवैध है। 

सिर्फ 20 लोगों को दी जाएगी प्रार्थना करने की इजाजत
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को उस परिसर को सील करने का निर्देश दिया जहां शिवलिंग पाया गया है। वजू खाना में प्रवेश प्रतिबंधित है और इसका उपयोग नहीं किया जाएगा। केवल 20 लोगों को नमाज की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने सर्वे पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। साथ ही मामले की सुनवाई गुरुवार तक स्थगित कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उसे कुछ मुद्दों पर उनसे मदद की जरूरत है।

विस्तार

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले में बढ़ते विवाद और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बीच एआईएमआईएम प्रमुक असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने बयानों से सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। ओवैसी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट पूर्ण न्याय करेगा क्योंकि इस मामले गंभीर प्रक्रियात्मक गलती हुई है। आयुक्त ने निचली अदालत के न्यायाधीश को रिपोर्ट नहीं दी, याचिकाकर्ता ने आवेदन किया और मुस्लिम पक्ष को नोटिस दिए जाने से पहले अब न्यायाधीश ने शिवलिंग वाले इलाके की रक्षा करने और नमाजियों को 20 तक सीमित करने का आदेश पारित किया है।  

ओवैसी ने कहा कि आदेश अनुचित है, हम आशा करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से आदेश पर रोक लगाएगा और 1991 के पूजा स्थल अधिनियम, इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने और दूसरे पक्ष की सुनवाई के बिना जगह सील करने में अनुचितता को पहचानेगा। निचली अदालत का आदेश गलत, अनुचित और अवैध है। 

सिर्फ 20 लोगों को दी जाएगी प्रार्थना करने की इजाजत

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को उस परिसर को सील करने का निर्देश दिया जहां शिवलिंग पाया गया है। वजू खाना में प्रवेश प्रतिबंधित है और इसका उपयोग नहीं किया जाएगा। केवल 20 लोगों को नमाज की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने सर्वे पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। साथ ही मामले की सुनवाई गुरुवार तक स्थगित कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उसे कुछ मुद्दों पर उनसे मदद की जरूरत है।



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